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नई दिल्ली, 26 सितंबर 2019. सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे व कश्मीरी पंडित जस्टिस मार्कण्डेय काटजू (Justice Markandey Katju, the retired judge of the Supreme Court and EX. chairman of the Press Council of India) ने भारतवासियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि आज भारत में वैसा ही कुछ हो रहा है जो कभी नाजी युग के दौरान जर्मनी में हुआ था।
जस्टिस काटजू ने न्यूज़ वेब साइट पंजाब टुडे में लिखे एक लेख में देश को चेताया है कि संभल जाओ इंडिया, बुरे दिन आने वाले हैं।
अपने इस लेख में जस्टिस काटजू ने वर्तमान दौर की हिटलर के शासनकाल से तुलना की है। उन्होंने लिखा है कि आज भारत में वैसा ही कुछ हो रहा है जो कभी नाजी युग के दौरान जर्मनी में हुआ था।
जस्टिस काटजू ने लिखा कि जनवरी 1933 में हिटलर के सत्ता में आने के बाद लगभग पूरा जर्मनी पागल हो गया था, हर तरफ लोगों ने 'हेल हिटलर' के नारे लगते हुए उस पागल आदमी को महान बना दिया था।
उन्होंने लिखा कि जर्मन बहुत संस्कारी लोग हैं जिन्होंने मैक्स प्लैंक और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक, गोएथे और शिलर जैसे महान लेखक, हेइन जैसे महान कवि, मोजार्ट, बाख और बीथोवेन जैसे महान संगीतकार, मार्टिन लूथर जैसा महान समाज सुधारक, किंत, नीत्शे, हेगेल और मार्क्स जैसा महान फिलोसोफर दिये हैं। मैंने पाया हर जर्मन एक अच्छा इंसान है।
अवकाशप्राप्त न्यायाधीश ने लिखा, कि सत्ता में आते ही हिटलर ने जर्मनी के लोगों के दिमाग में यहूदियों के खिलाफ जहर घोलना शुरू कर दिया था। ये कैसे हुआ? निश्चित रूप से जर्मन बेवकूफ लोग नहीं हैं, न ही वे स्वाभाविक रूप से बुरे हैं। मुझे लगता है हर देश, समाज, धर्म के 99% लोग अच्छे होते हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जर्मनी के लोगों ने 6 मिलियन यहूदियों को मरने के लिए गैस चैंबर में भेज दिया।
वह लिखते हैं कि जब से भाजपा, जो एक दक्षिणपंथी हिंदू नव-फासीवादी पार्टी है, 2014 में सत्ता में आई है, तब से भारत में भारतीय अल्पसंख्यकों (विशेष रूप से मुसलमानों) के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों, गायों की हत्या का आरोप लगाते हुए एक बड़ा सांप्रदायिक प्रचार किया गया है। हिंदू लड़कियों (लव जिहाद) आदि ने भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं के दिमाग को जहर से भर दिया है। राम मंदिर के निर्माण की मांग और मुसलमानों की लिंचिंग पिछले कुछ वर्षों में एक नियमित कार्यक्रम थी।
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले बालाकोट में की गई कथित एयर स्ट्राइक और अब कश्मीर से अनुछेद 370 हटाना सब प्रोपोगैंडा का हिस्सा है। इस लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी, बाल कुपोषण, बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या, जनता के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा का लगभग जैसे अहम मुद्दे गायब थे।
उन्होंने कहा अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों से घृणा हमेशा से अधिकांश हिंदुओं के अंदर थी बस उसे एक चिंगारी देने की जरूरत थी जो भाजपा और आरएसएस ने 2014 और 2019 के बीच किया।
उन्होंने लिखा कि मेरी अपनी समझ यह है कि अधिकांश हिंदू, साथ ही भारत के अधिकांश मुसलमान सांप्रदायिक हैं। जब मैं अपने हिंदू रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच होता हूं तो वे मुसलमानों के खिलाफ सबसे ज्यादा जहर उगलते हैं। जब किसी मुसलमान की लिंचिंग होती है तो अधिकाँश हिन्दू उदासीन होते हैं, यहां तक कि कुछ खुश होते हैं कि एक आतंकवादी कम हुआ।
जस्टिस काटजू का लेख का साराँश अल्लामा इकबाल के इस शेर में समाहित है –
न समझोगे तो मिट जाओगे ए हिन्दोस्तां वालों!
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में!
बता दें, जस्टिस काटजू आजकल अमेरिका प्रवास पर कैलीफोर्निया में हैं और सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं।
जस्टिस मार्कण्डेय काटजू का स्थानीय भाषा में संवाद और क्षेत्रीय भाषाएं सीखने पर जोर
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