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सेहत : मॉनसून में सबसे ज्यादा होती हैं बीमारियां इसलिए जरूरी हैं परीक्षण

बारिश का जमा हुआ पानी और वायु में नमी (Air humidity) मच्छरों की बड़ी संख्या को पैदा करता है जो घातक बीमारियों का कारण बनते हैं. इम्यून सिस्टम धीमी गति में काम करने लगता है इसलिए इस मौसम में लोगों को बुखार सबसे ज्यादा होता है.

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hastakshep
09 Sep 2019 एडिट 28 Jul 2023
Health News

सेहत : मॉनसून में सबसे ज्यादा होती हैं बीमारियां इसलिए जरूरी हैं परीक्षण

बारिश का जमा हुआ पानी और वायु में नमी (Air humidity) मच्छरों की बड़ी संख्या को पैदा करता है जो घातक बीमारियों का कारण बनते हैं. इम्यून सिस्टम धीमी गति में काम करने लगता है इसलिए इस मौसम में लोगों को बुखार सबसे ज्यादा होता है. डॉक्टर के परामर्श पर दी गई दवाइयों से कुछ प्रकार के बुखार मॉनसून अपने साथ खुशियों की बहार लेकर आता है, लेकिन साथ ही यह कई प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस (बैक्टीरिया और वायरस) को पनपने का वातावरण भी तैयार करता है, जिसके कारण लोगों को कई बीमारियों से जूझना पड़ता है. को आसानी से ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ को ठीक करने के लिए उचित मेडिकल टेस्ट करना पड़ता है. यदि ऐसा न किया जाए तो भविष्य में बीमारी घातक हो सकती है. यहां हम कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जो मॉनसून में सबसे ज्यादा होती हैं और उनसे संबंधित जरूरी टेस्ट क्या हैं.

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मानसून में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियां Most monsoon diseases

मलेरिया Malaria

यह मॉनसून में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है. मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है, जो स्थिर पानी में पनपता है. मलेरिया के बुखार में व्यक्ति के शरीर में कंपकंपी और तेज दर्द के साथ पसीने की भी शिकायत होती है. इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर एक साइकल में दिखाई देते हैं, ऐसा मलेरिया पैरासाइट के कारण होता है, क्योंकि वे व्यक्ति के शरीर में ही विकसित होते हैं और प्रजनन करते हैं. मलेरिया से बचने के लिए पानी की टंकी को बार-बार साफ  करवाएं और आसपास सफाई रखें.

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मलेरिया का टेस्ट व जांच

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की सलाह के अनुसार मलेरिया के बुखार की पहचान के लिए मलेरिया पैरासाइट टेस्ट (Malaria parasite test) जिसे माइक्रोस्कोपी से किया जाता है और रैपिड एंटिजन टेस्ट (Rapid antigen test) करवाना चाहिए. मलेरिया के इलाज (Treatment of malaria) को शुरू करने से पहले इन दोनों परीक्षणों को अच्छे से किया जाना चाहिए.

टाइफायड : पानी से पनपने वाली बीमारी

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यह पानी से पनपने वाली बीमारी (Water borne disease) है. टाइफायड गंदगी रखने के कारण होता है, इसका अर्थ यह है कि गंदगी में रखे हुए भोजन, गंदे पानी या गंदे पानी में पकाए गए भोजन के सेवन से ही ये बीमारी जन्म लेती है. टाइफायड का बुखार (Typhoid fever) एस.टाइफी नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है. समय के साथ बुखार धीरे-धीरे बढ़ता जाता है लेकिन सुबह के वक्त बिल्कुल उतर जाता है. यह उतार-चढाव वाला बुखार गंभीर पेट दर्द, दस्त, थकान और सिरदर्द से जुड़ा हो सकता है. हर समय अपने साथ एक हैंड सेनिटाइजर रखना, स्ट्रीट फूड से परहेज करना और ढेर सारा पानी पीने से टाइफायड के बुखार से बचा जा सकता है.

टेस्ट-जांच

टाइफायड बुखार के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट (Blood culture test for typhoid fever) किया जाता है. रैपिड टाइफी आईजीएम और वाइडल एग्लूटिनेशन कुछ अन्य सामान्य परीक्षण हैं.

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डेंगू

यह (Dengue) एक प्रकार का फैलने वाला संक्रमण है जो मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. अचानक बहुत तेज बुखार होना, तीव्र सिरदर्द, गंभीर शारीरिक दर्द, भूख न लगना, त्वचा पर चकत्ते पडना और थकान डेंगू के बुखार के कुछ आम लक्षण हैं. जोड़ों में जबरदस्त दर्द होने के कारण डेंगू का एक नाम ब्रेक कोन फीवर (break bone fever dengue) भी है. बुखार तो दस दिनों में ठीक हो जाता है, पर पूरी तरह स्वच्छ होने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है. बड़े बच्चो व वयस्कों को यह छोटे बच्चों के मुकाबले अधिक सताता है. ज्यादातर डेंगू के संक्रमण में मामूली बुखार होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह हेमोरेजिक फीवर का रूप धारण कर लेता है. अधिकांशतरः बच्चों और वयस्कों में होने वाला डेंगू हेमोरेजिक बुखार पांच फीसदी मामलों में जानलेवा साबित होता है. डेंगू बुखार के कई मामलों में व्यक्ति की जान तक गई है. डेंगू का अचानक से बढना बारिश के लगातार होने और उमस के उच्च स्तर पर निर्भर करता है. मच्छरों को मारने वाली दवाई और कीड़ों को मारने वाले पौधों की मदद से डेंगू के बुखार से बचाव किया जा सकता है.

डेंगू बुखार की पहचान के लिए टेस्ट व जांच - tests to identify dengue fever
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डेंगू बुखार की पहचान के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. प्लेटलेट्स का कम होना डेंगू बुखार का पहला संकेत है इसलिए नियमित रूप से जांच करना जरूरी है. आमतौर पर किए गए परीक्षणों में सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट), डेंगू आईजीएम और एनएस1 डेंगू एंटिजेन शामिल हैं.

चिकनगुनिया - Chikungunya

यह एसी, कूलर, पौधों, बर्तनों और पानी की पाइप में स्थिर हुए पानी में जन्म लेने वाले मच्छरों के कारण होता है. यह बीमारी संक्रमित एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलती है. यह मच्छर आपको सिर्फ  रात में ही नहीं बल्कि कड़ी धूप में भी काट सकता है. इस बुखार में उल्टी, त्वचा के चकत्ते, जी मिचलाना और जोड़ों में दर्द महसूस होता है. फर्श को साफ  रखने से और कीड़ों को मारने वाले स्प्रे की मदद से चिकन गुनिया से आसानी से बचा जा सकता है.

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चिकनगुनिया की पहचान के लिए टेस्ट जांच - Tests to identify chikungunya

हालांकि वायरस आईसोलेशन टेस्ट को पूरा होने में 1-2 हफ्ते लगते हैं, लेकिन चिकनगुनिया का यह सबसे बेहतर टेस्ट है. चिकनगुनिया आईजीएम टेस्ट भी किया जा सकता है.

हेपेटाइटिस ए - hepatitis A

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यह हेपेटाइटिस ए वाइरस (एचएवी) नाम के संक्रमण से होता है. इस तरह का हेपेटाइटिस उस भोजन या पानी के सेवन के कारण होता है जो मल से संक्रमित होता है. इस बीमारी के लक्षणों में हल्का बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, पेट के निचले हिस्से में दर्द और भूख न लगना शामिल है. बाथरूमध् रेस्टरूम के इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह से हाथ धोना जरूरी है और ऐसा तब भी किया जाना चाहिए जब आप किसी संक्रमित व्यक्तिके खून, मल और अन्य शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं. गंदे खाने और पानी से दूर रहकर भी आप इस बीमारी से बच सकते हैं.

हेपेटाइटिस ए के लिए टेस्ट जांच

इस बीमारी के निदान के लिए खून की जांच की जाती है जो वायरल एंटिजन और हेपेटाइटिस ए आईजीएम एन्टीबॉडी की पहचान करती है. फुल बॉडी चेकअप या रेग्यूलर ब्लड टेस्ट की सलाह दी जाती है जिससे आपके स्वास्थ्य के बारे में अच्छे से जानकारी रहे और बीमारी की शुरुआत में ही इसकी पहचान की जा सके. मॉनसून का आनंद लेने के लिए शारिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है. इस मॉनसून में बारिश से बचने के लिए सिर्फ  छाते का इस्तेमाल न करें, बल्कि खुद का अच्छी तरह से ख्याल रखें, जिससे कोई बीमारी आपके पास भी न आ सके.

डॉ. रुचि गुप्ता

सीईओ और संस्थापक

3 एच केयर डॉट इन, नई दिल्ली

(सम्प्रेषण)

Health: Diseases are most common in monsoon, so tests are necessary

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