Advertisment

देशद्रोह : मोदी को पत्र लिखने से रोकने के लिए हिंदी विवि ने बिछाया जाल, तो बोले छात्र हम डरेंगे नहीं,लड़ेंगे!

author-image
hastakshep
08 Oct 2019

छात्रों ने हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन के तुगलकी फरमान को चुनौती देते हुए कहा कि इससे हम डरेंगे नहीं,लड़ेंगे!

Advertisment

वर्धा, 8 अक्तूबर 2019. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi International Hindi University) के छात्र-छात्राओं ने एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने का सोशल मीडिया पर ऐलान किया था। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने फरमान जारी कर किसी भी प्रकार का कार्यक्रम किए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी दी है.

यह जानकारी देते हुए छात्र नेता चंदन सरोज ने बताया कि अपने परिपत्र में विश्वविद्यालय प्रशासन ने समस्त विद्याथियों-शोधार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर में कार्यक्रम के पूर्व विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी बताया है, नहीं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह परिपत्र छात्र-छात्राओं द्वारा देश में घट रही घटनाओं दलितों-मुस्लिमों के मॉबलिंचिंग, बलात्कार व यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं,कश्मीर को कैद करने,एनआरसी, रेलवे व बीएसएनएल के निजीकरण जैसे देश बेचने के जारी अभियान तथा लुटेरे कॉरपोरेटों के हित में बैंकों को बर्बाद करने आदि समेत संविधान व लोकतंत्र पर जारी फासीवादी हमले पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखे जाने की सोशल मीडिया पर घोषणा करने के बाद आया है.

Advertisment

बता दें कि विश्वविद्यालय के दर्जनों छात्र-छात्राओं ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर 6 अक्टूबर को एक सूचना सर्कुलेट की थी कि हिंदी विश्वविद्यालय परिसर के गांधी हिल पर इकट्ठे होकर आगामी 9 अक्टूबर को दर्जनों छात्र-छात्राएं प्रधानमंत्री मोदी को सामूहिक पत्र लेखन का कार्यक्रम आयोजित करेंगे. हस्तक्षेप.कॉम ने इस बावत खबर भी प्रकाशित की थी।

छात्र नेता चंदन सरोज बताते हैं कि छात्र-छात्राओं की इसी अपील को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की यह मोदी भक्ति सामने आई है.

उन्होंने बताया कि जब हम लोग 7 अक्टूबर को कार्यक्रम की लिखित सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को देने गए तो हमारा पत्र रिसीव तो किया गया, किंतु कार्यक्रम करने की लिखित अनुमति प्रदान नहीं की गई. इसके बाद ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना तुगलकी फरमान विश्वविद्यालय के बेबसाइट पर जारी कर दिया और एक घंटे बाद उसे हटा भी लिया।

Advertisment

इस परिपत्र पर छात्र नेता चन्दन ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के शैक्षणिक- लोकतांत्रिक अधिकार को खत्म करने पर तुला हुआ है. मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में अजीब स्थिति पैदा कर दी गई है। लोकतंत्र की पाठशाला कहे जाने वाले शैक्षणिक संस्थानों में लगातार छात्रों के हितों को कुचला जा रहा है। एक तरफ अपराधियों-बलात्कारियों व मॉबलिंचिंग करने वाले को सरकार के मंत्री फूलमाला पहना रहे हैं और दूसरी तरफ बलात्कारियों को बचाने में सत्ता अपनी पूरी ताकत झोंक दे रही है.

जब देश के गृह मंत्री खुलेआम किसी समुदाय विशेष को टारगेट कर रहा है वहीं दूसरी तरफ मॉबलिंचिंग के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने वाले बुद्धिजीवी व लेखकों पर न्यायालय के निर्देश पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाता है. ऐसे तमाम मामलों पर छात्र-छात्राएं कैसे चुप रह सकते हैं!

उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं विश्विद्यालय की गीदड़-भभकियों से डरने वाले नहीं हैं। इस देश में घटने वाली घटनाओं को हम तमाशबीन बनकर नहीं देख सकते! हम तयशुदा समय-स्थान पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लेखन का कार्यक्रम करेंगे और उनसे जवाब मांगेंगे। जरूरत पड़ने पर सड़क पर भी उतरेंगे।

Advertisment

वहीं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता और वर्तमान में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस के छात्र कौशल यादव ने विश्वविद्यालय द्वारा जारी परिपत्र पर अपनी फेसबुक वॉल पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि अब विरोध भी तय दायरों में किया जायेगा? कुछ अफसर होंगे जो तय करेंगे कि किसका विरोध करना है और किसका नहीं? विरोध में ब्राह्मणवाद को चोट पहुंचाना है या नहीं। एक कार्यक्रम कराने के लिए जो लोग कमरे नहीं देते वो विरोध करने के लिए अनुमति देंगे? विरोध करने का अधिकार, असहमति का अधिकार भारतीय संविधान देता है तब उसको रोकने या अनुमति देने का फरमान तानाशाही है, जिसको संघ पूरे मुल्क में लागू करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि संघ की गोद में बैठकर विश्वविद्यालय चलाये जाएंगे तो गाँधी की हत्या करने वाले गोडसे की पूजा भी की जायेगी। जिस भारत माता का प्रचार विश्वविद्यालय में किया जा रहा है वह पूरे मुल्क की नहीं बल्कि वह एक खास समूह की माता है जो उच्च वर्ग है उसने अपने देवी और देवता खुद बनाये हैं। आज अब वह नियम भी खुद ही बनायेगा।

बाकी संघी कुलपति का नया फरमान मुबारक हो. यह प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखे जाने के बाद जारी किया गया है। शर्मनाक है ! इस तरह के फरमान जिसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।

Advertisment
Advertisment
Subscribe