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खोखला लोकतंत्र साहित्य के लिये खतरा बन रहा है
'वर्तमान समय और युवा साहित्य’ विषय पर साहित्यकार सम्मेलन
अलवर। दिल्ली से आये कथाकार भगवानदास मोरवाल ने कहा है कि साहित्य में दलाल संस्कृति पैदा हो गयी है जिसके कारण आलोचना के सामने चुनौतियाँ बढ़ी हैं।
श्री मोरवाल राजस्थान साहित्य अकादमी तथा बी एस मेमोरियल शिक्षा समिति के संयुक्त तत्वावधान में अलवर में ‘वर्तमान समय और युवा साहित्य’ विषय पर आयोजित साहित्यकार सम्मेलन में बोल रहे थे।
सम्मेलन में अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा कि बाजारवाद ने समाज में व्याप्त बुराइयों के लिये मूल तक पहुँच कर उन्हें समाप्त करने की कोशिश करने वाले लेखन की कमर तोड़ दी है।
बनासजन के संपादक पल्लव ने कहा कि साहित्यकारों ने दिल्ली को साहित्य का केंद्र मान लिया है जबकि हिन्दी की रचनाशीलता कहीं अधिक व्यापक है। उन्होंने इधर के परिदृश्य में आयी कुछ उल्लेखनीय किताबों की चर्चा करते हुये बताया कि इस दौर में राजस्थान के लेखकों ने भी खासी पहचान बनायी है।
युवा लेखिका डॉ. प्रज्ञा ने कहा कि खोखला लोकतंत्र साहित्य के लिये खतरा बन रहा है। इसकी जन विरोधी नीतियों की खिलाफत करने पर दमन कर दिया जाता है। उन्होंने युवा लेखन में गहरे वैचारिक सरोकारों की जरूरत बतायी।
वर्धा से आये समालोचक प्रो शंभू गुप्त ने कहा कि आचरण को लेकर बहस हो तो साहित्य जगत से आधा साहित्य निकालना होगा। उन्होंने कहा कि हर दस साल बाद साहित्य की पीढ़ी बदल जाती है ऐसे में युवा विशेषण की अधिक प्रासंगिकता नहीं रह जाती।
समालोचक डॉ. जीवन सिंह ने कहा कि जीवन में अनुभवों की परिपक्वता आने पर ही लेखक युवा होता है। अनुभव की कमी के बिना युवा लेखक वास्तविकता के करीब नहीं पहुँच पाते हैं। लेखक के परिपक्व होने पर ही साहित्य का युवापन शुरू होता है। फिर भी युवा लेखक अच्छा लेखन कर रहे हैं।
चितौड़गढ़ से आये युवा लेखक डॉ. कनक जैन ने कहा कि वर्तमान दौर में साहित्य गौण हो गया है। युवा लेखकों को इस समझते हुये अपनी भूमिका को प्रभावी बनाना होगा।
कार्यक्रम में राजकीय महाविद्यालय गोविंदगढ़ की प्रवक्ता डॉ. जयश्री ने भी विचार व्यक्त किये। अध्यक्षता प्रो. जुगमंदिर तायल ने की। संचालन संयोजक रेवती रमण शर्मा व जगदीश शर्मा ने किया। विषय प्रवर्तन डॉ. नंद किशोर नीलम ने किया।
रेवतीरमण शर्मा