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कॉरपोरेट के सामने मोदी जी की सारी हेकड़ी ढीली हो गई, चाबुक सिर्फ गरीब पर

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भारत अडानी अंबानी के लिए ही महाशक्ति बनने जा रहा है आम आदमी के लिए नहीं

भारत के कॉरपोरेट (Corporate of india) के सामने मोदी जी की सारी हेकड़ी ढीली हो गई है। पिछले कई दिनों से वित्त मंत्रालय में कॉरपोरेट के लोगों का जो ताँता लगा हुआ था, वह असरदार साबित हुआ है। पिछले बजट तक में कॉरपोरेट को कोई छूट नहीं देने का जो रौब गाँठा गया था, वह अब पानी-पानी हो चुका है।

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आज यह साफ है कि मोदी जी की हेकड़ी का चाबुक सिर्फ ग़रीब किसानों, मज़दूरों और अनौपचारिक क्षेत्र के कमजोर लोगों पर ही चलता है।

आज की सीतारमण की आयकर में छूट की घोषणाओं ने मोदी के कॉरपोरेट के हितों के चौकीदार के रूप पर से सारे पर्दे उतार दिये हैं।

Income tax finishes on corporate

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ये चले थे कॉरपोरेट के आयकर-चोरों को जेल में बंद करने, लेकिन अब कॉरपोरेट पर आयकर ही ख़त्म कर दिया है। अब आयकर वस्तुत: सिर्फ मध्यमवर्गीय कर्मचारियों और दुकानदारों के लिये रह गया है। कॉरपोरेट से आयकर वसूलने के सारे लक्ष्य त्याग दिये गये हैं।

एक अर्से से ‘रोज़गार और संपदा पैदा करने वाले’ कॉरपोरेट का सम्मान करने की जो हवा बनाई जा रही थी, आज उस अभियान का वास्तविक मक़सद सामने आ गया है। भारत कॉरपोरेट के लिये वास्तव अर्थों में आयकर-मुक्त देश हो गया है।

कॉरपोरेट की सामाजिक सेवा ज़िम्मेदारियों के दायरे को भी जिस तरह बढ़ाया गया है, उससे साफ है कि सरकार ने जन-कल्याण के सारे कामों से अपने को पूरी तरह से अलग कर लेने का निर्णय ले लिया है।

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निर्मला सीतारमण के कदम से साफ है कि सरकार आर्थिक मंदी के मूल में कारपोरेट की खस्ता वित्तीय हालत और निवेश के प्रति उसकी बेरुखी को देख रही है, जब कि वास्तव में इसके मूल में जनता की बढ़ती हुई कंगाली और आम आदमी की बाजार-विमुखता है ।

अरुण माहेश्वरी

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