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हाइपरटेंशन (Hypertension) के कारण उच्च रक्तचाप (high blood pressure) हृदय की सामान्य गतिविधियों को बाधित कर देता है। शरीर के अन्य अंगों की जरूरत के मुताबिक हृदय को अधिक तेज गति से रक्त पंप करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में दिल पर काम का दबाव बढ़ जाता है जिससे रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और आपको स्ट्रोक का खतरा (stroke risk) भी बढ़ जाता है।
डायबिटीज पीड़ितों को ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना जरूरी
डायबिटीज या डायबिटीज पूर्व स्थिति से गुजर रहे व्यक्तियों को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इंसुलिन लेने और अपना ग्लूकोज लेवल कम रखते हुए हम इस खतरे को कम कर सकते हैं। हालांकि इसके बावजूद क्लिनिकल स्तर पर डायबिटीज से जुड़े कई खतरे बने रहते हैं, मसलन हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा। डायबिटीज पीड़ितों को स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति बरकरार रखने के लिए अपना ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना जरूरी होता है।
डायबिटीज एक्सपर्ट की सलाह (Diabetes expert advice) के मुताबिक इसे एक निश्चित लेवल पर स्थिर रखने के लिए नियमित रूप से इसकी निगरानी करना भी जरूरी है।
इसके अलावा मरीजों को लगातार अपने खानपान की निगरानी रखना, खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना और सिर्फ डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन करना भी जरूरी होता है।
स्ट्रोक क्या है?
नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरो एंड स्पाइन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डा. सतनाम सिंह छाबड़ा का कहना है कि क्लिनिकल नजरिये से स्ट्रोक तभी माना जाता है जब मस्तिष्क तक होने वाली रक्त आपूर्ति अचानक अवरुद्ध हो जाती है। स्ट्रोक के कारण बोलने या देखने में दिक्कत आने लगती है और गंभीर मामलों में शरीर को पक्षाघात भी झेलना पड़ सकता है। शरीर में फैटी एसिड के कारण रक्त थक्का बनने से भी स्ट्रोक हो सकता है क्योंकि ऐसी स्थिति में मस्तिष्क या गर्दन की रक्त नलिका संकीर्ण या अवरुद्ध हो जाती है। डायबिटीज के कारण भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि रक्त नलिकाओं के अवरुद्ध होने का सीधा संबंध डायबिटीज से ही होता है। वहीं मस्तिष्क की रक्त नलिका में रक्त स्राव होने के कारण भी स्ट्रोक हो सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण भी रक्त नलिका क्षतिग्रस्त हो जाती है और इस स्थिति को एन्यूरिज्म कहा जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने गौर किया है कि डायबिटीज की स्थिति में स्ट्रोक का दोहरा खतरा रहता है। डायबिटीज के कारण शुरुआती चरण में भी स्ट्रोक का अधिकतम खतरा बना रहता है। कुछ मामलों में विशेषज्ञों ने पाया है कि अधेड़ उम्र के व्यक्ति और टाइप-2 पीड़ितों में स्ट्रोक की आशंका अधिक रहती है।
डायबिटीज के मामले में हृदय रोग रिस्क फैक्टर (Heart disease risk factor in case of diabetes)
डायबिटीज के मामले में महिलाओं को स्ट्रोक का अधिक खतरा रहता है क्योंकि डायबिटीज किसी महिला के प्रजनन काल में उसके सुरक्षात्मक असर कम कर देता है। किसी डायबिटीज पीड़ित को यदि एक बार स्ट्रोक भी हो चुका है, तो उस व्यक्ति में दूसरा अटैक पड़ऩे का खतरा अभी अधिक हो जाता है। डायबिटीज की स्थिति में हृदय रोग और स्ट्रोक से पीड़ित होने का एक बड़ा खतरा परिवार के किसी व्यक्ति में हृदय रोग होने से जुड़ा होता है। यदि आपके परिवार में एक या अधिक व्यक्ति कम उम्र (55 वर्ष के पुरुष या 65 वर्ष की महिला) में स्ट्रोक का शिकार रहे हों तो आप में भी यह खतरा बढ़ा हो सकता है।
डायबिटीज के मामले में हृदय रोग से बचाव
डा.सतनाम सिंह छाबड़ा का कहना है कि डायबिटीज पीड़ित स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए कुछ उपाय आजमा सकते हैं। एक बुनियादी सावधानी है अतिरिक्त वजन पर काबू रखना। पेट पर अधिक चर्बी जमने से खराब कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन अधिक होने लगता है जो रक्त नलिकाओं में जमा होने लगता है। रक्त नलिकाओं में यह रक्त जमते रहने के कारण शरीर में रक्त थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल आपकी रक्त नलिकाओं पर जमे इस अवशिष्ट को हटाने का काम करता है। इसलिए स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बनाए रखना जरूरी है।
हाइपरटेशन के कारण उच्च रक्तचाप हृदय की सामान्य गतिविधियों को बाधित कर देता है। शरीर के अन्य अंगों की जरूरत के मुताबिक हृदय को अधिक तेज गति से रक्त पंप करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में दिल पर काम का दबाव बढ़ जाता है जिससे रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और आपको स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।
डायबिटीज पीड़ितों के लिए धूम्रपान करना (smoking for diabetics) जानलेवा साबित हो सकता है। इससे रक्त नलिकाएं संकीर्ण होते हुए आर्टरी तक होने वाली रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है।
घर पर दिल के लिए सेहतमंद खानपान ही करें। घर पर कुछ आसान उपाय करने से आप यह लक्ष्य पा सकते हैं। रेशेदार खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करने से आप अपने खराब कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रख सकते हैं। रोजाना के कई सारे ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा रहती है। ओट्स, गेहूं की रोटियां जिनमें गेहूं, सेरेल्स, मटर शामिल हों तथा फल और सब्जियों का सेवन करें।
सैचुरेटेड फैट से तौबा करें क्योंकि इसके सेवन से आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। जैसे मीट, बटर, चर्बीयुक्त डेयरी उत्पादों, नारियल या पाम आयल में बने भोजन में पाया जाता है। इसके लिए अपने डायटिशियन से सलाह-मशविरा करें।
यदि आप चेन स्मोकर हैं तो धूम्रपान की आदत त्यागने के लिए किसी डॉक्टर से सलाह लें। अपने डॉक्टर की सलाह पर बचावकारी दवाइयों का सेवन करना भी लाजिमी है। मिनी स्ट्रोक के लक्षणों में अचानक कमजोरी, संतुलन का अभाव, सुन्नापन, भ्रम, एक या दो आंखों में धुंधलापन, दोहरी दृष्टि, बोलने में दिक्कत या भयंकर सिर दर्द शामिल हैं। जल्दी उपचार कराने से ही भविष्य में होने वाले किसी बड़े संकट को टाला जा सकता है।
इंसुलिन और डायबिटीज की अन्य दवाइयां (Insulin and other diabetes medicines) किसी डायबिटीक के लिए प्री-मेडिकेशन उपचार हैं और आपके ब्लड शुगर लेवल पर नियंत्रण रखने के लिए यह महत्वपूर्ण होती हैं। लेकिन इन दवाइयों का प्रभाव बहुत हद तक खुराक की मात्रा और उसके समय पर निर्भर करता है। किसी तरह की असामान्य स्थिति से बचने के लिए नियमित मेडिकल चेकअप कराने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के अलावा अन्य समस्याओं के इलाज के लिए अन्य दवाइयां भी आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती हैं। इसी तरह रक्तचाप पर नियंत्रण रखने के लिए आप घर पर भी कुछ आसान उपाय आजमा सकते हैं।
स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप को प्रभावित करने वाले अन्य स्वास्थ्य डिसऑर्डर (Stroke and other health disorders affecting high blood pressure) का संभावित खतरा टालने के लिए लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव लाना जरूरी है।
उमेश कुमार सिंह