मोदीजी, ट्रम्प का इतना डर कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर परमाणु हथियारों की आजादी पर कुछ नहीं बोले !

hastakshep
21 Sep 2019
मोदीजी, ट्रम्प का इतना डर कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर परमाणु हथियारों की आजादी पर कुछ नहीं बोले ! मोदीजी, ट्रम्प का इतना डर कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर परमाणु हथियारों की आजादी पर कुछ नहीं बोले !

बड़ी शक्तियां युद्ध के खिलाफ या विश्व शांति के लिए साहस व्यक्त करने में विफल

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2019.  नेशनल पैंथर्स पार्टी (National Panthers Party) के मुख्य संरक्षक और भारतीय छात्र की विश्व शांति कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष प्रो.भीम सिंह ने, जिन्होंने 1963 से 1973 तक मोटरसाइकिल पर विश्व शांति मिशन (World Peace Mission) के तहत पूरी दुनिया का दौरा किया था, विश्व नेताओं विशेषकर परमाणु शक्तियां जिनकी वजह से विश्व शांति को खतरा (threat to world peace) है, के व्यवहार पर दुख जाहिर किया।

विश्व शांति मिशन के तहत लगभग 140 देशों-यूरोप, मध्य-पूर्व, लैटिन अमेरिका, चीन, जापान समेत उत्तर-पूर्व एशिया दौरा करने वाले प्रो.भीम सिंह ने कहा कि मैने अपने विश्व यात्रा के दौरान पाया कि दुनिया में हरेक व्यक्ति विशेषकर युवा शांति चाहते हैं और युद्ध पंसद लोगों के खिलाफ हैं।

पैंथर्स सुप्रीमो ने अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस (international peace day) के थीम, ‘युद्ध और हथियारों के खिलाफ आवाज‘ के साथ 1981 में शुरुआत करने वाले संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव की तरफ से अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर इस सम्बंध में किसी विशेष कार्यक्रम का आयोजन न किये जाने पर आश्चर्य प्रकट किया।

नेशनल पैंथर्स पार्टी ने नई दिल्ली में एक विशेष बैठक का आयोजन किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्रसंघ के नेतृत्व पर जोर दिया गया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ पूर्ण निरस्त्रीकरण और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के स्पष्ट संदेश के साथ अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस का आयोजन करे।

विश्व शांति में भारत की भूमिका India's role in world peace

उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि यहां तक कि भारतीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय समाज के साथ कुछ बातचीत की, वे भी अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस, निरस्त्रीकरण और युद्ध के शस्त्रों और परमाणु हथियारों की आजादी पर कुछ नहीं बोले, जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और दुनिया के अस्तित्व को भी खतरा है।

पैंथर्स सुप्रीमो ने आश्चर्य प्रकट किया कि विश्वविद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं ने इस दिन के संदेश के साथ क्यों अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस नहीं मनाया। क्यों विश्व नेता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दुनिया की बड़ी शक्तियां अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस का संदेश (message of international peace day) पहुंचाने में विफल रहे।

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