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सरल उपाय अपनाकर एड्स पर लगाम लगाना है संभव : चिकित्सक

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hastakshep
01 Dec 2018
New Update
क्या है एचआईवी / एड्स, कैसे फैलता है

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It is possible to avoid AIDS by taking simple steps: Doctor

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर। भारत में 2010 के बाद से एचआईवी संक्रमण के नए मामलों की संख्या में 46 फीसदी की कमी आई है और एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएन्सी सिन्ड्रोम) के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी 22 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। चिकित्सकों का कहना है कि कुछ सरल उपाय अपनाकर इस बीमारी पर लगाम लगाई जा सकती है।

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क्यों होता है एड्स ?

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नोएडा स्थित जेपी हॉस्पिटल के डिपार्टमेन्ट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, हिस्टोकम्पेटिबिलिटी एण्ड मॉलीक्यूलर बायोलोजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रशांत पाण्डे का कहना है कि एड्स, एचआईवी के कारण होता है। इस सिन्ड्रोम में शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति बड़ी आसानी से किसी भी संक्रमण या अन्य बीमारी की चपेट में आ जाता है। सिन्ड्रोम के बढ़ने के साथ लक्षण और गंभीर होते चले जाते हैं। हालांकि कुछ सरल उपाय अपनाकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।

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- बॉडी फ्लूड से बचें (Avoid Body Flood) : किसी भी अन्य व्यक्ति के खून या अन्य बॉडी फ्लूड से दूर रहें, अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो त्वचा को तुरंत अच्छी तरह धोएं। इससे संक्रमण की संभावना कम हो जाती है।

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- ड्रग के इन्जेक्शन और नीडल शेयर करना (Drug injection and needle sharing) : कई देशों में ड्रग्स के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीरीज को शेयर करना एचआईवी फैलने का मुख्य कारण है। यह एचआईवी के अलावा हेपेटाईटिस का भी कारण हैं। हमेशा साफ, नई नीडल इस्तेमाल करें।

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- असुरक्षित यौन संबंध (Unprotected sex) : बिना कंडोम के यौन संबंध बनाने से एचआईवी एवं अन्य यौन संचारी रोगों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

- गर्भावस्था (Pregnancy) : एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से उसके बच्चे में एचआईवी का संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा स्तनपान कराने से भी एचआईवी का वायरस बच्चे में जा सकता है। हालांकि अगर मां उचित दवाएं ले रही है तो यह संभावना कम हो जाती है।

- खून चढ़ाने/ रक्ताधान के दौरान सुरक्षा बरतना (Safety during blood transfusion / blood transfusion) : स्वयंसेवी रक्तदाताओं के खून की एनएटी जांच के बाद किसी को खून देना एचआईवी को फैलने से रोकने का सुरक्षित तरीका है।

- दवाओं का सेवन ठीक से न करना (Do not eat drugs properly) : एचआईवी के मामले में डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेना जरूरी है, अगर आप कुछ खुराकें छोड़ देते हैं तो इलाज में रुकावट आ सकती है इसलिए पूरी खुराक लें। एचआईवी से पीड़ित लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, नियमित रूप से व्यायाम करें, सेहतमंद आहार लें और धूम्रपान न करें तथा नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलते रहें।

रेट्रोवायरस है एचआईवी (HIV is Retrovirus)

hiv aids

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डॉ. प्रशांत पाण्डे ने कहा,

"एचआईवी एक रेट्रोवायरस है जो शरीर के मुख्य अंगों को संक्रमित कर देता है, इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली/ इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। अलग-अलग मरीजों में वायरस के फैलने की दर अलग होती है जो कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे मरीज की उम्र, एचआईवी से लड़ने की ताकत, स्वास्थ्यसेवाओं की उपलब्धता, शरीर में अन्य संक्रमणों की मौजूदगी, व्यक्ति की वंशागत स्थिति, एचआईवी के किसी स्ट्रेन से लड़ने की क्षमता आदि।"

Symptoms of AIDS | एड्स के लक्षण

एड्स के लक्षण के बारे में बताते हुए डॉ. प्रशांत पाण्डे ने कहा कि कुछ लोगों में एचआईवी संक्रमण के बाद कई महीनों तक बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते। हालांकि 80 फीसदी मामलों में दो से छह सप्ताह के भीतर फ्लू जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसे एक्यूट रेट्रोवायरल सिन्ड्रोम (Acute retroviral syndrome) कहा जाता है। एचआईवी संक्रमण के लक्षण हैं बुखार, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पसीना आना (खासतौर पर रात में), ग्रंथियों का आकार बढ़ना, त्वचा पर लाल रैश, थकान, बिना किसी कारण के वजन में कमी।

Diagnosis of HIV

इसके निदान के बारे में बताते हुए डॉ. प्रशांत पाण्डे ने कहा,

"एचआईवी का निदान ब्लड टेस्ट स्क्रीनिंग की मदद से किया जाता है। अगर इसमें एचआईवी पाया जाए तो टेस्ट का परिणाम 'पॉजिटिव' होता है। 'पॉजिटिव' परिणाम देने से पहले खून की कई बार जांच की जाती है।"

उन्होंने कहा, "एचआईवी वायरस का संक्रमण होने के बाद यह तीन सप्ताह से छह महीने के अंदर जांच में स्पष्ट होता है। जितनी जल्दी इसका निदान हो जाए, उतना ही इलाज की संभावना अधिक होती है। एचआईवी का पता लगने पर व्यक्ति को तनाव या अवसाद होना बेहद आम है। अगर आप ऐसे लक्षणों से परेशान हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।"

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