Advertisment

घुटने लगातार मोड़े तो होगी समस्या होगा इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम

author-image
hastakshep
24 Oct 2018
Pollution Increases the risk of osteoporosis

Advertisment

घुटने लगातार मोड़े तो होगी समस्या होगा इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम

Advertisment

नई दिल्ली, 24 अक्तूबर। जॉगिंग और दौड़ने का चलन आजकल बढ़ रहा है, लेकिन जैसे-जैसे ये चलन बढ़ रहा है उसी अनुपात में इससे होने वाली परेशानियां भी बढ़ रही हैं। धावकों के घुटनों के पार्श्व पक्ष में चोट लगना सबसे आम चोट है। एक अनुमान के अनुसार  धावकों में घुटनों की चोट की घटनाएं  5% से 14% के बीच होती हैं।  धावकों में घुटने की चोट को इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम (आईटीबीएस)  Iliotibial band syndrome (ITBS) या iliotibial band friction syndrome भी कहते हैं। 

Advertisment

धावकों में आईटीबीएस के सबूत-आधारित प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने के लिए, इस चोट के एटियोलॉजी, निदान और उपचार के बारे में अधिक जानने की जरूरत है।

Advertisment

इस आलेख में सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली के ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट, आर्थोस्कोपी के वरिष्ठ परामर्शदाता व विभागाध्यक्ष डा.अनुज मल्होत्रा बता रहे हैं कि घुटने लगातार मोड़े तो होगी समस्या।

Advertisment

दौड़ने वालों में घुटनों के दर्द की समस्या के बारे में पढ़ें डा.अनुज मल्होत्रा के विचार -

Advertisment

इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम

Advertisment

Iliotibial band syndrome in Hindi

रेगुलर एक्सरसाइज करने वाले लोगों या खासकर दौडने वालों को कई घुटने में बाहर की तरफ दर्द का एहसास हो सकता है. यह स्थिति इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम के कारण भी हो सकती है. इसका इलाज आसान होता है, इसलिए समस्या को नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

क्यों उभर आता है घुटनों का दर्द

Why the knee pain emerges

इस दर्द के उभरने की वजह कई सारी गतिविधियां हो सकती हैं. इन गतिविधियों में दौड़ने के अलावा साइकिलिंग, स्वीमिंग और क्लाइम्बिंग आदि शामिल हैं. ऐसी जो भी फिजिकल एक्टिविटी होती है जिनमें घंटों को बार-बार, लगातार मोडना पड़ता है, उससे यह स्थिति पनप सकती है. इलियोटिबियल यानी आईटी बैंड असल में फाइबर्स का एक समूह होता है. जब इसका अधिक उपयोग किया जाता है, तो यह बैंड टाइट हो जाता है. जिससे यह बैंड घुटने से रगड़ खाने लगता है और दर्द तथा सूजन पैदा हो जाती है. शुरआत में यह दर्द माइल्ड होता है, लेकिन लापरवाही बरतने या इलाज न करवाने पर तेज और गंभीर हो सकता है.

इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम के लक्षण जो उभरते हैं

इस समस्या के लक्षण हर व्यक्ति में थोड़े अलग हो सकते हैं. कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं-दौड़ने या कोई भी एक्टिविटी करने पर घुटने में बाहर की ओर दर्द होना. जब भी बैंड घुटने से टकराये तब खट-खट की आवाज होना. एक्सरसाइज के बाद देर तक रहने वाला दर्द. घुटने को छूने से भी तकलीफ  होना. कूल्हों तक तकलीफ  का एहसास होना. घुटने के आस-पास लाली या गर्माहट जैसा महसूस होना. यह लक्षण आमतौर पर फिजिकल एक्टिविटी के शुरू होने के कुछ देर बाद ही दिखाई देने लगते हैं. सबसे आम लक्षण दर्द ही है जो एक्टिविटी जारी रखने पर और बढ़ जाता है.

कैसे होगा इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम का इलाज

इस समस्या का इलाज कठिन नहीं है, लेकिन अगर लम्बे समय तक इसे नजरअंदाज किया जाए तो दिक्कत हो सकती है. इस स्थिति के लिए इलाज के दो मुख्य लक्ष्य होते हैं-

दर्द और सूजन को कम करना.

स्ट्रेचिंग की प्रक्रिया अपनाना और अगर और चोट लगने से बचाना.

इन दोनों ही परिस्थितियों में जो आम तरीके अपनाये जाते हैं उनमें शामिल हैं-

एक्टिविटीज से कुछ समय तक दूर रहना और आराम करना.

आईटी बैंड पर आइस यानी बर्फ का सेक करना.

हलके हाथों से मसाज करना. एंटीइंफ्लेमेटरी दवाइयां लेना.

प्रभावित जगह पर तनाव को दूर करने के लिए अल्ट्रासाउंड या इलेक्ट्रोथैरेपीज का उपयोग करना. आराम करने और एक्टिविटी को कम से कम 6 हफ्तों तक रोके रखने से पैर को पूरी तरह ठीक होने में मदद मिल सकती है.

स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज

इस तकलीफ से बचाव और इसके इलाज में भी कुछ एक्सरसाइज काम आ सकती हैं. खासतौर पर दौडने या एक्टिविटी शुरू करने से पहले स्ट्रेचिंग पर फोकस करना बहुत जरूरी है. यह स्ट्रेचिंग आईटी बैंड पर फोकस करने वाली होनी चाहिए. ऐसी कुछ एक्सरसाइज में ग्लूट स्ट्रेच, स्टैंडिंग स्ट्रेच, फोम रोलर स्ट्रेच, लेइंग हिप अब्डक्शन शामिल हैं. इन एक्सरसाइज के अलावा बाजार में मिलने वाले रजिस्टेंस बैंड की मदद भी ली जा सकती है.

इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम में इन चीजों का ध्यान रखें

आईटी बैंड सिंड्रोम से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति के लिए एक्सरसाइज या दौड़ने जैसी गतिविधियों को तुरंत रोकना जरूरी है. इसके अलावा कुछ और भी चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता है. जैसे-एक्सरसाइज के तरीके को फिजियोथैरेपी के विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह से परिवर्तित करें, उबड़-खाबड़ सडकों या सरफेस पर दौडने से बचें, कुछ समय सीढियां चढ़ने और साइकल चलाने से भी बचें. इलाज के बाद फिर से एक्सरसाइज रूटीन में लौटने पर धीरे-धीरे शुरुआत करें और दौडने की दूरी को भी धीरे-धीरे बढ़ाएं, दर्द और तकलीफ  होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें, अपनी मर्जी से दवाइयां न खाएं आदि. (सम्प्रेषण)

कृपया हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें





Topics - Jogging, injuries in the lateral side of runners' knees, knee pain in the runners, knee pain problem, Dr. Anuj Malhotra, joint replacement, arthroscopy, ITBS, iliotibial band friction syndrome, Iliotibial band syndrome, iliotibial band syndrome treatment, it band syndrome exercises to avoid, it band treatment, how long does it band syndrome last, it band syndrome exercises,

Advertisment
सदस्यता लें