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पीएम को जवाब देना होगा भारत का जम्मू-कश्मीर से क्या सम्बंध है, भारतीय संसद को सभी सवालों के जवाब शब्दों में देना चाहिए ना कि गोलियों से

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hastakshep
23 Mar 2019
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प्रधानमंत्री को हुर्रियत कांफ्रेंस नेता को जवाब देना होगा
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नई दिल्ली। नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो. भीमसिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मई, 2018 को जम्मू-कश्मीर का ऐतिहासिक दौरा किया, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाना चाहिए, मगर देश के लोगों को सयैद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूख सहित गुस्साए कश्मीर नेताओं द्वारा उठाए गए 70 वर्ष पुराने सवाल का जवाब देना होगा कि जम्मू-कश्मीर का भारत संघ के साथ क्या सम्बंध है?

     गुस्साए जानेमाने नेता सयैद अली शाह गिलानी के वक्तव्य का भारतीय नेतृत्व सहित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जवाब देना होगा। श्री गिलानी में अपने वक्तव्य में कहा है कि यह 15 मिलियन (भारत नागरिकों) के मौलिक अधिकारों का मामला है। विकास का ढोल पीटना सभी मुद्दो का उपाय नहीं है, जो अस्वाभाविक लगता है।

    नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो. भीमसिंह, जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा एवं परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं, कहा कि सयैद अली शाह गिलानी 1977 में विधायक चुने गये थे, उसी समय मैं भी विधायक चुना गया था। हमने पांच वर्ष विधानसभा में एक ही बैंच पर साथ में गुजारे थे और लगभग सात-आठ महीने एक साथ जम्मू और श्रीनगर की जेलों में रहे। हम दोनों ने जम्मू-कश्मीर और भारतीय संविधान की वफादारी की शपथ ली थी। प्रो.भीमसिंह ने विधानसभा से एक वर्ष पहले ही इस्तीफा दे दिया था, जब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के नेतृत्व में विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाते हुए उसे छः वर्ष कर दिया गया था। प्रो.भीमसिंह ने इस्तीफा देकर पैंथर्स पार्टी का गठन किया और विधानसभा में पैंथर्स विधायक के रूप में फिर से दाखिल हुए, जबकि अली शाह गिलानी विधानसभा का चुनाव हार गये।

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उन्होंने सयैद अली शाह गिलानी के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय संसद पर जोर दिया कि वह उनके द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब दे और देश को बताए कि क्यों अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को भारतीय संविधान में शामिल किया गया? क्यों भारतीय संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों का अध्याय राज्य विधानसभा को सौंप दिया गया?

    प्रो.भीमसिंह ने प्रधानमंत्री पर जोर दिया कि वे जम्मू-कश्मीर का भारत संघ के साथ सम्बंध मामले पर शीघ्र राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद को सभी सवालों के जवाब शब्दों में देना चाहिए ना कि गोलियों से। अन्य 576 रियासतों की तरह जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भी मौलिक अधिकार दिये जायं। जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन किया जाय, जिससे जम्मू और कश्मीर घाटी के लोगों को शेष भारत के नागरिकों की तरह मौलिक अधिकार प्राप्त हो सकें।

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