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यह खुद बेहद डरे हुए हैं ....इस नंगी औरत से ....
कौन है ..? किसकी क्या लगती है ?
कुछ भी तो नहीं पता ...बद़जात का ...
एैसी वैसी ही है ...यह औरत ...
शायद औरत भी नहीं है ...
यह तो महज़ जिस्म है ...
जिस्म ...
रेड लाइट एरिया का ...
बिका हुआ ..जिस्म ..
जिस पर ..
इस भीड़ का ही हक़ है ...
यह जो ...
दिन के उजालों में इसे खदेड़ रहे हैं ...
डरा रहे हैं ..
दरअसल यह इसे नहीं डरा रहे ....
यह खुद बेहद डरे हुए हैं ....इस नंगी औरत से ....
यह जो चैनलों पर ...
दिखाई जा रही है ...
पिटती हुई औरत ..
झूठ है ...
सरासर झूठ ....
नहीं कहीं कोई भीड़ ... इसे ...नहीं मार रही ....
इस भीड़ की यह लानतें ...खुद के लिये हैं ...
यह भीड़ ...शर्मिन्दा है खुद पर ...
यह धिक्कार रही है ...
खुद के भीतर छिपे ..घटिया, ..ग़लीज़ ...डरपोक आदमी को ...
क्योंकि यह जानते हैं कि इनका मर्द होना ....
मात्र ...
इक भ्रम है ...
और कुछ भी नहीं ...
और
बद क़िस्मती से ..
यह नंगी औरत ..जान चुकी है ..
इनकी मर्दाना ताक़तों का नंगा सच ...
अब यह औरत औरत नहीं है ...नक़ाब है ...
इस भीड़ के दिखावटीं ..शरीफ़ ...मर्दाना चेहरों का नक़ाब ...
जो ग़लती से ज़रा सा भी ...
सरका तो तो इन सबको ...नंगा कर देगा ...
नहीं ...
झूठ बक रहा है मीडिया कहीं ...कोई....नंगी औरत नहीं चल रही
....बल्कि इक नंगे जिस्म के पीछे ...छुपे छुपे ..चल रहे हैं ..इक भीड़ ...के सैकड़ों.. करोड़ों ..नंगे सच....