वर्धा (महाराष्ट्र) 09 अक्तूबर 2019. आज देश गांधी जी के जन्म के150 वीं सालगिरह मना रहा है। एक ऐसे दौर में जब बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खाने पीने के तरीकों को तय कर रहा है और जब वह संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं तब उनको जान से मार दिया जा रहा है। गाँधी को याद करना तब अधिक आवश्यक होता जा रहा है। महाराष्ट्र के अंदर स्थापित एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय (हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा) जिसकी स्थापना का सपना गाँधी का सपना था। उसी विश्वविद्यालय में छात्रों, शिक्षकों के असहमत होने के अधिकार का हनन किया जा रहा है, जिसका सबसे ज्यादा उपयोग गाँधी ने अपने जीवन में सबसे ज्यादा किया। वह अनशन पर बैठते, धरने देते और अपनी मांगों को शाशन से मनवाकर रहते।
हाल ही में हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति ने धरना देने को अवैध करार दिया है। और ऐसा करने पर उनको सजा भी हो सकती है ऐसा उन नोटिस में लिखा है। वहां पर छात्र जाति, धर्म, लिंग, समुदाय, क्षेत्र, भाषा, स्थान इन तमाम आधारों पर प्रताड़ित होते रहते हैं। उसके ख़िलाफ़ उनके पास जो लोकतांत्रिक अधिकार है वह है धरना, प्रदर्शन करना। जिसको अब अवैध करार दिया गया है। जिसके विरोध में छात्र जब आंदोलन करने गए तब वहां पर मौजूद गार्ड ने उनको प्रदर्शन करने से रोका और फिर छात्रों ने वहीं प्रदर्शन किया।
वर्धा विश्वविद्यालय से mphil कर रहे चंदन सरोज की रिपोर्ट…
*हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन के पीएम को पत्र लिखने से रोकने की कोशिश को छात्र-छात्राओं ने किया नाकाम
*हिंदी विश्वविद्यालय के सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने देश की मौजूदा समस्याओं को लेकर पीएम मोदी को लिखा पत्र
*विवि प्रशासन द्वारा पीएम मोदी को पत्र लिखने से रोके जाने के खिलाफ छात्र-छात्राओं ने की प्रतिरोध सभा
दर्जनों छात्र-छात्राओं ने इकट्ठे होकर देश के हालात पर पीएम मोदी को पत्र लिखा है. इससे पूर्व देश की चार दर्जन नामी हस्तियों द्वारा पीएम मोदी को पत्र लिखने के कारण एक याचिका के जवाब में बिहार की एक अदालत ने देशद्रोह की धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इस अलोकतांत्रिक कार्रवाई का विरोध करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के दर्जनों छात्र-छात्राओं ने 9 अक्टूबर को विश्वविद्यालय कैंपस में इकट्ठे होकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है.
इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र-छात्राओं को पत्र लेखन करने से रोकने का भरपूर प्रयास किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारी संख्या में सुरक्षाबल को तैनात कर छात्र-छात्राओं को गांधी हिल में घुसने से रोका, जिसका छात्र-छात्राओं ने ज़ोरदार विरोध किया और गेट पर ही प्रतिरोध सभा की और जमकर नारे लगाए। छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि विवि कैम्पस में साम्प्रदायिक नफरत और मनुवादी-यथास्थितिवादी समाज बनाने में लगे आरएसएस की शाखाएं नियमित रूप से लगाई जा रही हैं, किंतु लोकतंत्र, संविधान व न्याय में यकीन रखने वाले छात्रों को शांतिपूर्ण कार्यक्रम करने और देश की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लेखन तक से रोका जा रहा है।
छात्र-छात्राओं ने अपने पत्र में पीएम मोदी से देश के मौजूदा हालात के बरक्स कुछ मौजूं सवालों का जवाब मांगा है. छात्र-छात्राओं ने देश में दलित-अल्पसंख्यकों के मॉबलिंचिंग से लेकर कश्मीर को पिछले दो माह से कैद किए जाने; रेलवे-बीपीसीएल-एयरपोर्ट आदि के निजीकरण; दलित-आदिवासी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं एवं बुद्विजीवी- लेखकों के बढ़ते दमन और उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने पर भी सवाल खड़े किए हैं. छात्र-छात्राओं ने महिलाओं पर बढ़ती यौन हिंसा व बलात्कार की घटनाओं पर भी पीएम मोदी से चुप्पी तोड़ने की अपील की है.
प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए छात्र नेता चंदन सरोज ने कहा कि देश में आज दलितों-अल्पसंख्यकों की मॉबलिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के लिए बीजेपी-RSS जैसे संगठन जिम्मेवार है. बीजेपी-RSS के नेता मॉबलिंचिंग करनेवालों को सम्मानित करते रहे हैं। एक सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने वालों को आज केन्द्र-राज्य की सरकारों में अहम ओहदे पर बिठाने का भी काम आरएसएस-बीजेपी ने ही किया है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार के मुखिया होने के नाते पीएम मोदी की ही यह जिम्मेदारी है कि वे इन घटनाओं पर रोक लगाएं, इसके खिलाफ सख्त कानून बनाएं.
वहीं छात्र नेत्री शिल्पा भगत ने कहा कि आज देश में बलात्कार और यौन हिंसा के मामले थमने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं. कुलदीप सेंगर से लेकर चिन्मयानंद जैसों को बचाने में सरकार ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है. बलात्कारियों के पक्ष में जुलूस तक निकाले जा रहे हैं. इसलिए हम प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि वे महिलाओं पर जारी यौन हिंसा-बलात्कार को रोकने हेतु सख्त कदम उठाएं.
जबकि छात्र नेता रजनीश कुमार अम्बेडकर ने कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए कश्मीर से जिस प्रकार धारा-370 हटाया गया और यह कहा गया कि इससे कश्मीर के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी होगी. जबकि आज दो माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी कश्मिरीयों को कैद कर रखा गया है. वहां आज भी कर्फ्यू जैसे हालात क्यों हैं? इसका पीएम मोदी को जवाब देना होगा.
छात्र नेता वैभव पिम्पलकर ने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे, बीपीसीएल, एयरपोर्ट से लेकर कई अन्य राष्ट्रीय महत्व के उद्दमों को पूंजीपतियों के हाथों बेच रही है. सरकार देश के विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है और स्थिति यह है कि रिजर्व बैंक से लेकर अन्य बैंक कंगाली की तरफ बढ़ रहे हैं. कंपनियों में नौकरी करनेवालों की बड़ी पैमाने पर छंटनी हो रही है. बेरोजगारी कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है. छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ किए जा रहे इस खिलवाड़ का प्रधानमंत्री मोदी को सामने आकर जवाब देना चाहिए. क्योंकि उन्होंने प्रतिवर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का देश की जनता से वादा किया था।
छात्र-छात्राओं ने कहा कि सरकार ने आदिवासी नेता सोनी सोरी, दलित नेता चंद्रशेखर से लेकर दर्जनों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व लेखकों-बुद्धिजीवियों के खिलाफ खनिज लूट एवं अन्याय-उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के एवज में लगातार दमन चक्र चला रखा है. लोगों के नागरिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है. देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं जबकि सरकार कॉरपोरेट घरानों को लाखों करोड़ रूपये की छूट दे रही है और इस पर सवाल उठाने वालों पर देशद्रोह के मुकदमे लगाकर उनकी आवाज को दबाया जा रहा है.
छात्र नेता नीरज कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून को सामने लाकर मुसलमानों में खौफ पैदा कर रही है. कई पीढ़ियों से किसी जगह पर रह रहे आम लोगों को लगातार भयभीत किया जा रहा है. देश के गृहमंत्री धर्म के आधार पर मुस्लिमों को नागरिकता के मामले में टारगेट कर देश-समाज में हिंसा, नफरत व अशांति फैला रहे हैं. प्रधानमंत्री को ऐसे गंभीर मामले में संज्ञान लेना चाहिए. यह देश सभी धर्म के लोगों का है. भारत का संविधान जाति, धर्म, वर्ण, लिंग, संप्रदाय के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है. पीएम को संविधान के इन मूल्यों की रक्षा करनी होगी.
छात्र-छात्राओं ने पीएम मोदी से उक्त सभी अहम सवालों का माकूल उत्तर देने की अपील की है. छात्र-छात्राओं ने कहा है कि यह देश हमारा है और देश को हम इस कदर बर्बाद होते हुए देखकर चुप नहीं बैठ सकते हैं. हमें पीएम मोदी से सवाल पूछने का संवैधानिक अधिकार है.
वैभव पिम्पलकर, प्रेम, राजेश, शिल्पा भगत, शिवानी, पंकज बेला, केशव, अजय, बापू चव्हाण सहित अन्य ने प्रतिरोध सभा को संबोधित किया। उक्त मौके पर दर्जनों छात्र-छात्राएं मौजूद थे।