सर्वेक्षण में खुलासा, कुल 87 आंगनबाड़ियों में से 79% आगनवाड़ी में शौचालय नहीं, कहाँ चल रहा स्वच्छता अभियान
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सावर्जनिक वितरण प्रणाली से मिलने वाली राशन की गुणवत्ता खराब होती है - सर्वेक्षण
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन की स्थिति और चुनौतियों को लेकर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन
भोपाल (19 सितंबर 2018) मध्य प्रदेश लोक सहभागी साझा मंच द्वारा “मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन की स्थिति और इस दिशा में आने वाली चुनौतियां“ विषय पर कल भोपाल में राज्य स्तरीय सम्मलेन का आयोजन किया गया.
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इस दौरान मध्य प्रदेश राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर स्वाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि
“हमारा उद्देश्य है कि मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून प्रभावी रूप से लागू हो, इसके लिये सरकार, सामाजिक संगठनों और समाज के जागरूक लोगों साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.”
राज्य खाद्य आयोग के सदस्य-सचिव आर.बी. प्रजापति द्वारा राज्य खाद्य आयोग की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया गया, उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में खाद्य सुरक्षा कानून के प्रावधानों के अनुसार सतर्कता समितियों का गठन तो हो गया है लेकिन अब जरूरत है कि इसकी बैठकें भी नियमित रूप से हों.
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सम्मेलन के दौरान मध्यप्रदेश खाद्य सिविल आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सयुंक्त संचालक सुकृति सिंह द्वारा सतर्कता समिति के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया गया.
खाद्य सुरक्षा कानून – एक सर्वेक्षण
सम्मेलन के दौरान मध्यप्रदेश लोक सहभागी साझा मंच द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की जमीनी स्थिति को लेकर 8 जिलों में किये अध्ययन के निष्कर्षों को भी प्रस्तुति किया गया. इस अध्ययन में 26% परिवारों द्वारा बताया गया कि उन्हें सावर्जनिक वितरण प्रणाली से मिलने वाली राशन की गुणवत्ता खराब होती है जबकि 56% परिवारों को इस बारे में जानकारी ही नहीं थी कि कि पी.डी.एस.की शिकायत कहाँ दर्ज की जा सकती है. इसी तरह से अध्ययन में शामिल कुल 87 आंगनबाड़ियों में से 79% आगनवाड़ी में शौचालय नहीं हैं जबकि 59% आगनवाड़ी में बच्चों के लिये पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. अध्ययन के दौरान पाया गया कि कुल 109 शालाओं 93% शालाओं में मेनू के हिसाब से मध्यान्ह भोजन नहीं मिलता है और 18% शालाओं में तो बच्चों को नियमित रूप से मध्यान भोजन भी नहीं मिलता है.
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इस सम्मेलन में मध्यप्रदेश के पंद्रह जिलों में खाद्य सुरक्षा को लेकर काम कर रहे संगठनों/ कार्यकर्ताओं और हितग्राहियों द्वारा भागीदारी की गयी, जिन्होंने जिलों में इसके क्रियान्वयन को लेकर हुये अपने अनुभवों को भी साझा किया गया, जिसमें कई बातें निकल कर आयीं। जैसे अभी भी कई ऐसे पात्र परिवार हैं जिन्हें राशन नहीं मिल रहा है, पीडीएस के तहत मिलने वाली राशन की गुणवत्ता बहुत खराब हैं, राशन की दुकानों पर शिकायत निवारण तंत्र के अधिकारीयों जैसे जिला शिकायत निवारण अधिकारी, सतर्कता समिति के सदस्यों, राज्य खाद्य आयोग के पदाधिकारीयों के नाम, पद और फ़ोन नंबर प्रदर्शित नहीं हैं आदि.
पांच साल को हो गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून
गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 05 जुलाई, 2013 को लागू हुआ था जिसके इस साल पांच साल पूरे हो रहे हैं. इस कानून के अंतर्गत चार हकदारियां दी गयी हैं जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आगनबाडी में पोषण आहार, मध्यान भोजन और मातृत्व हक़ शामिल हैं. मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का क्रियान्वयन 1 मार्च 2014 से शुरू हुआ है.