विश्व स्पाइन दिवस 2019 – 16 अक्टूबर
नई दिल्ली: आज की आधुनिक जीवनशैली ने कई शारीरिक पेरशानियों और बीमारियों को बढ़ावा दिया है। जिसमें कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं जो कि ऑफिस में बैठने के कारण पनपती हैं। घंटो एक ही जगह बैठने से हमारी रीढ़ गंभीर रूप से प्रभावित होती है जिससे पीठ दर्द की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
एक हालिया अध्ध्यन के अनुसार, 30-40 आयु वर्ग में हर पांचवा भारतीय किसी न किसी प्रकार की रीढ़ की समस्या से पीड़ित है। पिछले एक दशक में युवा पीढ़ के बीच रीढ़ की हड्डी संबंधित समस्याओं में 60% वृद्धि देखी गई है।
हर दूसरे व्यक्ति को है पीठ दर्द की शिकायत Every 2nd person complains of back pain
नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरो एंड स्पाइन विभाग के निदेशक, डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा (Dr. Satnam Singh Chhabra, Director, Neuro and Spine Department, Sir Gangaram Hospital, New Delhi) ने बताया कि, “रीढ़ की हड्डी की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। रीढ़ की हड्डी और पीठ दर्द का सीधा संबंध है। ऑफिस में गलत तरीके से बैठने से, एक ही पोस्चर में लगातार काम करने से और गर्दन को कई घंटों तक एक ही अवस्था में रखने से व्यक्ति की रीढ़ गंभीर रूप से प्रभावित होती है जिससे पीठ में दर्द शुरू हो जाता है। इसके अलावा ज्यादा देर ड्राइव करने से भी रीढ़ प्रभावित होती है, जिससे पीठ में दर्द और अकड़न जैसी समस्याएं होती हैं। ये दर्द पीठ के किसी भी हिस्से में हो सकता है।”
कुछ ऐसे संकेत हैं जो गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं, जिसके लिए व्यक्ति को तुरंत न्यूरोसर्जन से संपर्क करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति उम्र के अनुसार (20 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक आयु) पीठ के दर्द का अनुभव करता है, आराम के साथ दर्द कम नहीं होता है, बिना कारण वजन कम हो रहा हो और आंत की समस्या हो तो उसे तत्काल परीक्षण की आवश्यकता है।
आधुनिक जीवनशैली : पीठ दर्द का एक प्रमुख कारण Modern Lifestyle: A Major Cause of Back Pain
डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा ने आगे बताया कि, “ रीढ़ को प्रभावित होने से रोकना चाहते हैं तो एक मुद्रा में बहुत देर तक खड़े या बैठे न रहें। प्रेस करने, बर्तन धोने व खाना बनाने आदि जैसे कामों के लिए पीठ और गर्दन झुकानी पड़ती है इसलिए अपने शरीर के पॉस्चर पर ध्यान दें। आज कल स्लिप्ड डिस्क की शिकायत भी आम हो गई है। यदि कमर की डिस्क बाहर निकल आए तो पैरों में कमजोरी हो सकती है या दर्द भी हो सकता है। कई बार बाहर निकली डिस्क इतना दबाव डाल सकती है कि पेशाब में भी रूकावट आती है। हालांकि, यदि इस प्रकार का दर्द पहली बार है तो 10% लोगों में यह केवल आराम करने से ही ठीक हो जाता है और 10% लोगों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके इलाज के लिए स्पाइनल इंडोस्कोपी जैसी सर्जरी संभव हो गई है, जिसके परिणाम बेहतर होते हैं।”
पीठ दर्द से प्रभावित हो रहा लोगों का जीवन
एक सक्रिय जीवनशैली के साथ संतुलित आहार और बैठने, चलने और झुकने के दौरान सतर्कता से रीढ़ की हड्डी संबंधी इन समस्याओं में से अधिकांश को रोका जा सकता है। सबसे पहले दर्द के कारण को पहचानना जरूरी है, जिसके लिए जांच कराना आवश्यक होता है। मामूली दर्द मरहम लगाने और आराम करने से ठीक हो जाता है। यदि यह दर्द गंभीर है और आराम के बाद भी ठीक न हो या बार-बार दर्द की शिकायत हो तो जांच अवश्य कराएं। सही समय पर उपचार और जीवनशैली में बदलावों का साथ इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
best post sir
sir, your post is very informative post and its a very knowlegeble post.sir please my post comment is Approved it.