Modi app survey on demonetisation i.e. fraud of fraud
अधिकांश भाजपाईयों ने नोटबंदी पर मोदी एप सर्वे का बहिष्कार किया
नोटबंदी पर मोदी एप सर्वे में विपक्ष ने भाग नहीं लिया, सिर्फ भाजपा-आरएसएस ने इसमें भाग लिया। मोदी की साइबरमंडली-मीडिया मंडली ने जनमत जुटाने का काम किया और इसके बाद 125करोड़ की आबादी में वे मात्र पाँच लाख लोगों की राय ही वे जुटा पाए। इससे एक बात साफ है कि अधिकांश भाजपाईयों ने इस सर्वे का बहिष्कार किया है।
भाजपा यदि पूरी तरह दिलचस्पी लेती तो यह सर्वे कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में लोगों की राय जुटा पाता।
इस तरह के सर्वे की सबसे बडी कमज़ोरी यह है कि सर्वे कर्ता मानकर चल रहा है कि सर्वे में जो लोग भाग ले रहे हैं वे कालेधन, भ्रष्टाचार और नोटबंदी के सभी पहलुओं से वाक़िफ़ हैं। जबकि सच इसके एकदम विपरीत है।
अधिकतर लोगों की बात छोड़ दें सिर्फ 9 नवम्बर से कल तक के अखबार उठाकर देखेंगे तो उपरोक्त विषयों से संबंधित बहुत कम सामग्री इनमें मिलेगी। इतनी कम जानकारी के आधार देश की महत्वपूर्ण नीति के बारे में जन समर्थन का दावा करना गलत है, अवैज्ञानिक है।
सवाल यह है जिस व्यक्ति को नोट बंदी का बेसिक नहीं मालूम उसकी राय को सही कैसे कहते हैं ?
स्वयं पीएम मोदी ने आज तक नहीं बताया कि नोटबंदी का फैसला उन्होंने कैसे और किस अधिकार से लिया? जबकि संवैधानिक तौर पर ने यह फैसला वे नहीं ले सकते।
नोटबंदी का फैसला लेने का एकमात्र संवैधानिक हक रिजर्व बैंक के पास है और सच यह है कि रिजर्व बैंक ने नोटबंदी का फैसला नहीं लिया, बल्कि रिजर्व बैंक पर मोदी ने अपना फैसला थोप दिया और आदेश दिया कि इसे लागू करो। यह कदम अपने आप में असंवैधानिक है।
मोदी अपने असंवैधानिक फैसले को छिपाने के लिए मोदी एप सर्वे का मुखौटे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
सवाल यह भी है मोदीजी ने स्वयं सर्वे क्यों किया ? कभी भी कोई नीति निर्धारक स्वयं सर्वे नहीं करता। तटस्थ संस्थाएँ सर्वे करती हैं। उससे जनमत की सही भावनाएँ सामने आती हैं। सर्वे के पहले जनमत को विवादास्पद मसले पर शिक्षित किया जाता है उसके बाद राय ली जाती है।
मोदी यह मानकर चल रहे हैं कि नोटबंदी पर जनता सब कुछ जानती है और उससे सीधे सवाल किए जाने चाहिए।
हालात यह है कि स्वयं मोदीजी ने आज तक विस्तार से कालेधन और नोट नीति के संवैधानिक पहलुओं पर किसी भी पेशेवर पत्रकार के सवालों के सीधे जवाब नहीं दिए हैं, क्योंकि वे जानते नहीं हैं।
सवाल यह है जब पीएम अपनी नीति के बारे में अज्ञानी हो तब आम जनता कैसे ज्ञानी हो सकती है?
जगदीश्वर चतुर्वेदी