तो नाकारा विपक्ष को भूलकर तैयार करना होगा नया नेतृत्व
नई दिल्ली। कुछ भी हो महाराष्ट्र में जिस तरह से देवेन्द्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली (Devendra Fadnavis sworn in as Chief Minister and Ajit Pawar as Deputy Chief Minister in Maharashtra), उससे यह तो स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी देश में जो चाहेगी वह करेगी। सब कुछ ताक पर रखकर भी। इस जोड़ी की देश में बढ़ती मनमानी का बड़ा कारण देश में बैठे विपक्ष के नेताओं का आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा होना है। ऐसा नहीं है कि मोदी और शाह की जोड़ी ने महाराष्ट्र में फड़णवीस की सरकार बनाने के लिए शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार को ही डराया है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की बोलती भी बंद इन लोगों ने इनकी कमजोरियों को पकड़कर की है। नहीं तो उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेश में लंबे समय से राज करने वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के होते हुए विपक्ष नाम की चीज प्रदेश में दिखाई नहीं दे रही है।
बताया जाता है कि समाजवादी पार्टी के मुख्य महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और अमित शाह बीच एक डील हुई है जिसमें परिवार के नेताओं का गला बचाने के लिए बस चुप रहना है।
ऐसा ही मायावती के भाई आनंद मामले में बहुजन समाज पार्टी के साथ हुआ है। मायावती को हर हाल में बस चुप ही रहना है।
ऐसा ही बिहार में नीतीश कुमार के साथ होना बताया जाता है। गैर संघवाद का नारा देने वाले नीतीश कुमार ऐसे ही भाजपा की गोद में जाकर नहीं बैठ गये थे। इस जोड़ी के बिहार में हत्या के एक मामले में नीतीश कुमार को भी जेल में डालने की धमकी देने की बातें सामने आई थी।
बाबरी मस्जिद मामले में सबसे ज्यादा चर्चित रहने वाले मुलायम सिंह यादव ऐसे समय में चुप नहीं बैठे हैं, वह भी ऐसे समय में जब अयोध्या में राम मंदिर बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आ चुका है।
ये वही नेताजी हैं जो जरा-जरा सी बातों पर कारसेवकों को गोली चलवाने की बात कह देते थे।
बंगाल में ममता बनर्जी को भी एक तरह से चुप कर दिया गया है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल मौका देखकर बोलते हैं। वोटबैंक की राजनीति में वह दूसरे दलों से भी आगे निकल गये हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को नोएडा की मोजरवेयर कंपनी मामले में शिकंजा कस रखा है। लालू प्रसाद यादव जेल में बंद हैं। परिवारवाद और वंशवाद के नाम तैयार किये गये नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, जयंत चौधरी, ज्योतारादित्य सिंधिया, दीपेंद्र हुड्डा कहीं नहीं दिखाई पड़ रहे हैं।
भाजपा के खिलाफ बेबाक रूप से लालू प्रसाद बोलते थे, तो उनको जेल में ऐसा डाला गया कि निकलने ही नहीं दिया। उनके परिवार पर भी पूरी तरह से शिकंजा कस दिया।
मोदी और शाह ने देश के विपक्ष को ऐसी ही बंधक नहीं बनाया है। क्षेत्रीय दलों ने राजनीति को व्यापार बना लिया था, जिसका फायदा मोदी और अमित शाह ने उठाया। लगभग सभी दलों ने दोनों हाथों से विभिन्न प्रदेशों के संसाधनों का दोहन कर अथाह संपत्ति अर्जित कर ली। बिना संघर्ष कराकर अपने बेटे-बेटियों को स्थापित संगठनों की बागडोर सौंप दी। विपक्ष में बैठे दलों की इन कमजोरियों का ही फायदा यह जोड़ी उठा रही है। विपक्ष की कमियों की वजह से इनकी सभी गलतियों पर पानी फिर जा रहा है।
वैसे भी विपक्ष में अब कोई ऐसा दमदार नेता नहीं है जो राजनीति के मंझे और खिलाड़ी मोदी और अमित शाह का मुकाबला कर सके।
दरअसल नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने यह खेल गुजरात में लंबे समय तक खेला है। यह जोड़ी राजनीति के सब हथकंडे जानती है। आज देश में लंबे समय तक चली वंशवाद और जातिवाद राजनीति के चलते देश में जो कमजोर नेतृत्व खड़ा किया गया, उसी का ही खामियाजा देश और समाज भुगत रहा है। जब देश पर रोजी-रोटी का गंभीर सकंट पैदा हो गया हो, संविधान की रक्षा को बनाये गये सभी तंत्र ध्वस्त कर दिये गये हों, ऐसे में विपक्ष नाम की चीज देश में न दिखाई देने का मतलब सारे दल डरे हुए हैं।
हां! कांग्रेस मोदी और अमित शाह से टकराने का प्रयास कर रही है, पर कांग्रेस का जो पुराना इतिहास रहा है उस पर जनता विश्वास करने को तैयार नहीं। यही वजह है कि मोदी और शाह हर कार्यक्रम में एक रणनीति के तहत कांग्रेस को ही टारगेट करते हैं।
आज की परिस्थिति से यह तो साबित हो गया है कि विपक्ष में न तो मोदी-शाह से टकराने का दम है और न ही इस विपक्ष से देश और समाज के भले की कोई उम्मीद की जा सकती है।
यह भी स्पष्ट हो चुका है कि यदि मोदी-शाह की जोड़ी के सामने खड़ा न हुआ गया तो ये दोनों देश और समाज को पूरी तरह से तबाह करके ही चैन से बैठेंगे। हिन्दुत्व की आड़ में ये लोग देश की संवैधानिक संरचना को पूरी तरह से ध्वस्त करने पर लगे हैं। सीबीआई प्रकरण कैसे हुआ, धारा 370 कैसे हटी, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद प्रकरण में फैसला कैसे आया, यह किसी से छिपा नहीं हुआ है। जस्टिस लोया, पत्रकार गौरी लंकेश मामला सबके सामने हैं।
वजह जो भी हो आज भाजपा उस स्थिति में है, जहां आजादी मिलने के बाद कांग्रेस थी। मोदी की भाजपा की जड़ें आज इतनी मजबूत हो चुकी हैं जितनी उस समय नेहरू की कांग्रेस की थी। जो लोग देश और समाज को लेकर चिंतित हैं, यदि वे वास्तव में देश और समाज को बचाना चाहते हैं तो इस विपक्ष को पूरी तरह से भूलना होगा। जैसे डॉ. राम मनोहर लोहिया ने जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्र देव, कर्पूरी ठाकुर जैसे सोशलिस्टों को साथ लेकर कांग्रेस की गलत नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला था। ऐसे ही आंदोलनों में तपे युवा नेतृत्व को निखारकर देश का नेतृत्व तैयार करना होगा।
जो लोग देश और समाज को समय पर छोड़ने के पक्षधर हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। आज का युवा भले ही भटका हुआ हो पर आने वाले समय में जब वह प्रताड़ित होगा तो आज के स्थापित लोगों को इन सब बातों के लिए जिम्मेदार बताएगा और यह सच भी होगा।

आज के स्वार्थ के दौर में यदि कोई देश और समाज की जिम्मेदारियों से बचकर अपने निजी स्वार्थ में लगा हुआ तो सबसे अधिक नुकसान वह अपने बच्चों का ही कर रहा है।
जो लोग यह समझ रहे हैं कि वे अपने परिवार को सुरक्षित कर जा रहे हैं तो तो उन्हें यह भी समझ लेना चाहिए कि उनका यह कृत्य सबसे अधिक नुकसान उनके ही परिवार का कर रहा है। यदि देश में अराजकता फैलेगी, जाति और धर्म के नाम पर वैमनस्यता फैलेगी, रोजी और रोटी का घोर संकट पैदा होगा तो फिर कौन नहीं प्रभावित होगा ? एक बार को मान भी लिया जाए कि कुछ लोग अपने परिवार के लिए सब कुछ जोड़कर जाएंगे।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब देश में भुखमरी फैलती है तो वह अराजकता का रूप लेती है और उस व्यवस्था में सबसे अधिक प्रभावित संपन्न लोग ही होते हैं। यह आदिकाल से चला आ रहा है कि जो लोग शोषक होते हैं एक दिन वह शोषितों के टारगेट पर भी आ जाते हैं। यदि ऐसे ही अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही से बचते रहे तो कब तक शोषितों को चुप रखोगे। एक दिन तो यह ज्वालामुखी फूटेगा ही। सोचिए कि जिस दिन ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा ?
चरण सिंह राजपूत
अत्यंत सही विवरण