नीतीश कुमार और उनके साथी नेताओं ने राजद के खिलाफ मोर्चा खोलकर साफ कर दिया है कि उनकी भाजपा से लड़ने में कोई गहरी दिलचस्पी नहीं है। कम से कम नीतीश बाबू पर साम्प्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष में कोई भरोसा नहीं किया जा सकता।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा विपक्ष को खत्म करने की दीर्घकालीन रणनीति पर काम कर रही है।जगह-जगह विपक्षी नेताओं को दलबदल कराना ,खरीदना,और तोडना, सीबीआई और अन्य संस्थाओं मदद लेना, विपक्ष के खिलाफ मीडिया का गुंडों के रूप में इस्तेमाल करना आदि हरकतें बताती हैं कि मोदी को विपक्षरहित लोकतंत्र पसंद है।
दोषी लालू यादव के साथ समझौता और मात्र एफआईआर वाले तेजस्वी यादव के साथ नाराजगी ! कमाल की घटिया राजनीति पढ़ी है नीतीश बाबू! भाजपा के साथ जाना है तो सबसे पहले सभी जदयू विधायक इस्तीफ़ा दें और आप भी इस्तीफ़ा दें और फिर से चुनकर आएं।
लालू -कांग्रेस के कंधे पर सवार होकर जदयू के लोग बिहार के विधायक बने हैं जरा भाजपा के कंधे पर सवार होकर पहले चुनाव जीतकर आएं फिर देखते हैं कितना दम है नीतीश की ईमानदारी में !
बेहतर यही होगा कि नीतीश कुमार राजद से नाता तोड़ लें! राजद पापी दल है! भ्रष्टतम दल है!
नीतीश बाबू यह बताओ लालू यादव से पहले जब समझौता किया था तब राजद क्या भ्रष्ट दल नहीं था। तेजस्वी को लालू की तरह भ्रष्ट होने में अभी समय लगेगा! सिर्फ इतना बता दो लालू क्या तेजस्वी से कम भ्रष्ट थे जो पहले समझौता किया था ! नीतीश मंडली सच सच बताए कितने में भाजपा के हाथों बिकने का सौदा हुआ है ? यदि कोई सौदा नहीं हुआ तो फिर यह चकल्लस क्यों मची है?
नीतीश कुमार जानते हैं फासिज्म सबसे खतरनाक होता है, फासिस्ट नेता महाभ्रष्ट होता है। इसके बावजूद यदि आरएसएस की गोद में जाने का मन है तो नीतीश खुशी खुशी जाएं ! बस इतना बता दें कि भाजपा क्या भ्रष्टाचारियों का दल नहीं है ? क्या नोटबंदी के नाम पर भाजपा के नेताओं और भाजपा समर्थक दलालों ने अरबों की लूट नहीं की है ?