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शोध एक जैविक कर्म की प्रक्रिया है - प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल

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hastakshep
28 Oct 2019
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अशोक वाजपेयी को तो हक नहीं कि वे कहें कि हिंदी विश्वविद्यालय में कोई काम नहीं हुआ

शोध एक जैविक कर्म की प्रक्रिया है - प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल

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शोध एवं प्लेगरिज्म’ पर विशेष व्‍याख्‍यान Special lecture on 'Research and plagiarism'

वर्धा, 28 अक्टूबर 2019:  महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के भाषा विद्यापीठ तथा अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल ने कहा है कि शोध एक जैविक कर्म वाली प्रक्रिया है क्योंकि प्लेगरिज्म की उत्पत्ति (Origins of plagiarism) तभी होती है जब उसमें जैविक कर्म का अभाव हो।

प्रो. शुक्ल 22 व 23 अक्‍टूबर 2019 को हिंदी विश्‍वविद्यालय के समता भवन के माधव राव सप्रे सभाकक्ष में ‘शोध एवं प्लेगरिज्म’ विषय पर दो दिवसीय व्याख्यानमाला कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शोध एक नियोजित, सोद्‍देश्य एवं लक्ष्यबद्ध गतिविधि है।

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कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो. शुक्ल ने ‘प्लेगरिज्म से हम कैसे बचें और यह हमारे आसपास तक न पहुंच पाए’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्लेगरिज्म वस्तुत: एक सुनियोजित सामाजिक अपराध है। यह एक बीमारी जरूर है लेकिन यदि शोधार्थी थोड़ी सावधानी बरतें तो यह बीमारी उन्हें छू भी नहीं सकती। यदि आपको अपने शोध कार्य की क्रियाविधि का ज्ञान है तो बहुत दिक्कत नहीं आएगी। यदि शोध की प्रक्रिया का नियमत:, पूरी निष्‍ठा और ईमानदारी के साथ शोधार्थी बनने के संकल्प के साथ पालन किया जाए तो वह समय दूर नहीं जब हम गर्व से कह सकेंगे कि हम प्लेगरिज्ममुक्‍त परिसर में रहते हैं।

कार्यक्रम के पहले दिन की शुरूआत जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे के स्वागत वक्‍तव्य से हुई जिसमें उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए कहा कि यह विषय इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे केवल यूजीसी ही नहीं बल्कि पूरा देश जूझ रहा है।

पहले दिन के कार्यक्रम  की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि शोध की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। शोध में मौलिकता के प्रश्‍न की बात कभी-कभी धोखा लगती है।

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प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापन मान

वविज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र प्रताप यादव ने किया। इस दो दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर एवं बुधवारी शोध समन्वयक डॉ. अख्तर आलम ने किया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने की।

इस कार्यक्रम में भारी संख्या में शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।

 

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