कृषि मंत्रालय की वेबसाइट से क्यों गायब हैं देश के प्रथम कृषि मंत्री पंजाबराव देशमुख ?
इस देश में जो मेहनत करता है, वह नीच जाति कहा जाता है…
नालायक ही पैदा हुए हैं विश्वविद्यालय, शोध संस्थानों में…
1943 में बंगाल में अनुमानित रूप से भूख, कुपोषण और बीमारी से 21 से 30 लाख लोग मर गए थे।
1947 में देश स्वतंत्र हुआ। किसान के बेटे पंजाब राव देशमुख 1952 से 1962 तक कृषि मंत्री रहे। खेती वाली जमीन रजवाड़ों के हाथ से निकलकर पिछड़े वर्ग के लोगों के हाथ आ गई, जो पहले खेत में श्रम करते थे, खेत उनका नहीं हुआ करता था।
हरित क्रांति आई। अनाज का आयात करने वाला भारत पूरी तरह से कृषि क्षेत्र में आत्म निर्भर हो गया।
अब किसान बदहाल बर्बाद और तबाह है। इस देश में अगर किसी ने वास्तव में पूर्ण मनोयोग से काम किया है तो वह किसान ही है, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों की थोड़ी बहुत भूमिका मानी जा सकती है।
बाकी विश्ववविद्यालय, शोध संस्थानों में नालायक ही पैदा हुए हैं जिसकी वजह से मोबाइल से लगायत कम्प्यूटर और राफेल विमान तक भारत भीख पर ही निर्भर है।
किसान का अनाज रखने को गोदाम नहीं, कैसे बिके फसल ?
मध्य प्रदेश ने बड़ी खूबसूरत भावन्तर योजना पेश की। सरकार ने इसका खूब गुणगान किया। लेकिन भावन्तर में अनाज बिके तब तो? मर खपकर किसान कोशिश तो करता है कि भावन्तर में अनाज बिक जाए, लेकिन बहुत कम सफल हो पाता।
किसानों का अनाज रखने को गोदाम नहीं है।
यह केवल मध्य प्रदेश की स्थिति नहीं है। कभी दाल किसान मरते हैं, कभी टमाटर, लहसुन, अदरक, गन्ना, संतरा किसान।
सरसों के तेल से अब कोई नहीं मर रहा ?
अटल बिहारी वाजपेयी के काल में सरसों के तेल में आर्जीमोन आ गया था। याद है न, कैसे आया? माना जाता है कि सरसों तेल और जैतून का तेल ही ऐसा होता है जिससे हर्ट की बीमारी नहीं होती। जैतून तेल, घी का भी डेढा महंगा है।
दिल्ली के एक इलाके से आर्जीमोन चलाया गया। तमाम लोग सरसों के तेल से मर गए। अब न तो किसी सरसों में आर्जीमोन से मिलता जुलता बीज सरसों के खेत में अचानक उग जा रहा है, न सरसों के तेल से कोई मर रहा है।
कहा जाता है कि उस दौरान सरकार ने बड़े पैमाने पर सोयाबीन तेल और पाम ऑयल आयात कर लिया था। सरसों के तेल से मौतों की खबर के बीच कारोबारियों ने पाम ऑयल और सोयाबीन तेल निपटाया और करोड़ों रुपये पीट लिए थे।
कृषि मंत्रालय की वेबसाइट से पंजाबराव देशमुख क्यों गायब हैं
पंजाब राव देशमुख को कोई नहीं जानता, न याद करता है। कृषि मंत्रालय की वेबसाइट से पंजाबराव देशमुख गायब हैं। उसमें पहले कृषि मंत्री के रूप में राजेंद्र प्रसाद, जयरामदास दौलतराम, केएम मुंशी, रफी अहमद किदवई, अजित प्रसाद जैन, एसके पाटिल को 1963 तक कृषि मंत्री के रूप में दिखाया गया है। मौजूदा मंत्री राधा मोहन सिंह हैं।
वहीं पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ की वेबसाइट (Website of Punjab Rao Deshmukh Krishi Vidyapeeth) पर लिखा गया है कि जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल (Jawaharlal Nehru Cabinet) में वह देश के पहले कृषि मंत्री थे। भारत कृषक समाज बनाने के साथ वह ओबीसी फेडरेशन के अध्यक्ष भी रहे।
अमरावती जिले की सरकारी वेबसाइट पर दिखाया गया है कि देशमुख 1952 से 1962 तक केंद्रीय कृषि मंत्री थे।
अगर सरकार किसी अच्छे भले व्यक्ति को ही गायब कर दे, उसका अस्तित्व खत्म कर दे तो गेहूं, दाल और सरसों की क्या औकात है? किसानों की अभी बहुत दुर्दशा होनी बाकी है। इस देश में जो मेहनत करता है, वह नीच जाति कहा जाता है, सदियों पुराना यह कलंक व जातीय व्यवस्था माथे पर चिपकी हुई है।
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