पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से महिलाओं में डिप्रेशन के अलावा टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा
पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम पर जागरूकता के लिए वॉकाथॉन
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर। देश में पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) महिलाओं के बीच इसके फैलने की बढ़ती घटनाओं पर जनजागृति लाने के उद्देश्य से 'फेस ऑफ कॉन्फिडेंस' वॉकाथॉन का आयोजन किया गया जिसमें 250 स्त्री रोग विशेषज्ञों एवं चिकित्सा विशेषज्ञओं ने हिस्सा लिया। बेयर जायडस फार्मा ने दिल्ली गायनाकोलॉजिस्ट फोरम और दिल्ली गायनाकोलॉजिस्ट फोरम (दक्षिण) के सहयोग से नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 'फेस ऑफ कॉन्फिडेंस' वॉकाथॉन का आयोजन किया जिसमें करीब 250 गायनाकोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्सपटर्स ने हार्मोन्स से होने वाली गड़बड़ी से होने वाले रोग पीसीओएस पर विचार-विमर्श किया।
क्यों होता है पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
Why is polycystic ovarian syndrome
पीसीओएस हार्मोन्स में असंतुलन से होता है, जो दुनिया भर में मां बनने की उम्र वाली 5 महिलाओं में से 1 महिला को प्रभावित करता है। इस सिंड्रोम की पहचान महिलों के शरीर में पुरुष हार्मोन, एंड्रोजन की अधिकता से होती है, जिसके कारण चेहरे पर मुहांसे हो जाते हैं, अनचाहे बाल आ जाते है और वजन बढ़ जाता है। महिला की लाइफस्टाइल में बदलाव लाने के लिए सरकार की ओर से पहले से किए जा रहे प्रयासों को रफ्तार देने के लिए बेयर जाइडस फार्मा की ओर से वॉकाथॉन का आयोजन किया गया था।
वॉकाथॉन में महिलाओं को पीसीओएस की जानकारी दी गई और यह भी बताया गया कि वह इसे किस तरह मैनेज कर सकती हैं।
साइलेंट डिसआर्डर माना जाता है पीसीओएस को
PCOS is considered silent disorder
मशहूर गायनाकोलॉजिस्ट और दिल्ली गायनाकोलॉजिस्ट फोरम की महासचिव डॉ. शारदा जैन ने कहा, "पीसीओएस को आमतौर पर साइलेंट डिसआर्डर माना जाता है। इससे पीड़ित आधी से ज्यादा महिलाओं में इसकी पहचान नहीं होती। इससे महिलाओं में डिप्रेशन के अलावा टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा और गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानियां बढ़ जाती हैं। लाइफस्टाइल में किए गए बदलाव, जिसमें पौष्टिक और संतुलित भोजन और व्यायाम शामिल हैं, से विशेष तौर पर महिलाएं पीसीओएस से अपना बचाव कर सकती है।
दिल्ली गायनाकोलॉजिस्ट फोरम (साउथ) की अध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी आहूजा ने कहा कि हाइपरएंड्रोजेनिक लक्षण किसी भी व्यक्ति के शरीर पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। इससे महिलाओं में मनोवैज्ञानिक रूप से अवसाद और बेचैनी होती है। इसका पता इसलिए नहीं चलता क्योंकि बहुत सी महिलाओं को इस सिंड्रोम की जानकारी नहीं होती और सबसे बड़ा तथ्य यह है कि इससे प्रभावित महिलाओं को किसी तरह का दर्द नहीं होता।
बेयर जाइडस फार्मा के प्रबंध निदेशक मनोज सक्सेना ने वॉकाथॉन के बारे में कहा, "हम चाहते हैं कि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं की बेहतर जानकारी हो और वह अपनी सेहत और बेहतर रहन-सहन के संबंध में सोच-विचार कर फैसला ले सकें। पीसीओएस की जल्दी पहचान और इलाज से सेहतमंद रहने में मदद सुनिश्चित होती है और आत्मविश्वास बरकरार रहता है। 'फेस ऑफ कॉन्फिडेंस' वॉकाथॉन का उद्देश्य इस लक्ष्य को प्राप्त करना है।"
क्या यह ख़बर/ लेख आपको पसंद आया ? कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट भी करें और शेयर भी करें ताकि ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे
कृपया हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें
PCOS in Hindi, polycystic ovarian syndrome in Hindi, Awareness on Polycystic Ovarian Syndrome,