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Varicose vein problem also occurs due to change of hormones in women
क्या है वेरीकोज वेन की समस्या |What is the problem of vericose vein
नई दिल्ली, 19 नवंबर। हार्मोन में आए बदलावों के कारण महिलाओं को कई तरह के रोग अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। देखा जाए तो अधिकांश समस्याएं महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या फिर बाद में होनी शुरू हो जाती है। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान या मोटापे की वजह से महिलाओं के पैरों की रक्त धमनियां मोटी-मोटी हो जाती हैं और उनमें सूजन भी आ जाती है। इस समस्या को वेरीकोज वेन के नाम से जाना जाता है। इसी कारण पीड़ित का चलना-फिरना और खड़ा होना दूभर हो जाता है। जिससे उनके नियमित कार्य दुष्प्रभावित होने लगते हैं।
फोर्टिस हास्पिटल, वंसतकुंज, नई दिल्ली के हेड इंटरवेशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि कई लोग इस समस्या को कॉस्मेटिक समस्या समझने लगते हैं और इसकी जांच कराने में विलंब करते रहते हैं, जिसके कारण समस्या आगे जाकर एक गंभीर रूप धारण कर लेती है।
कैसे होती है वेरीकोज वेन की समस्या? How is the problem of vericose vein?
डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि यह समस्या किसी को भी और कभी भी हो सकती है, लेकिन अधिकांशतः यह रोग महिलाओं में देखा गया है वो भी गर्भावस्था के दौरान। कई बार इन धमनियों में भयानक खुजली होने लगती है और अधिक खुजला देने के कारण वहां घाव या अल्सर बन जाता है।
क्या होती हैं वेरीकोज वेन | vericose vein
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डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि वेरीकोज वेन वे रक्तवाहिनी होती हैं जो कि मोटी होकर फैल जाती हैं। खासकर पैरों की रक्त वाहिनियों में यह समस्या पाई जाती है। यह अधिकतर पैर के पिछले हिस्से में दिखाई देता है। दरअसल, यह इसलिए होता है क्योंकि हमारी रक्त धमनियों में वाल्व मौजूद होते हैं जो कि रक्त को विपरीत दिशा में प्रवाहित होने से रोकते हैं। पैरों की मांसपेशियां गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को कम करने के लिए धमनियों को पंप करती हैं ताकि पैरों से रक्त ह्रदय तक पहुंचता रहे और विपरीत दिशा में न प्रवाहित हो। लेकिन, जब ये धमनियां वेरीकोज हो जाती हैं तो वाल्व सही ढंग से कार्य नहीं कर पाते और रक्त का प्रवाह विपरीत दिशा में अधिक होने लगता है। परिणामस्वरूप ये धमनियां फैलने लगती हैं और देखने में पैरों की धमनियां अजीब सी सूजी और फूली हुई प्रतीत होती हैं। इसके कई और कारण भी हैं जैसे:- मोटापा, मेनोपौज, आनुवांशिक, बढ़ती उम्र, गर्भावस्था आदि।
क्या है वेरीकोज वेन समस्या की पहचान |symptoms of vericose vein Problems
वेरीकोज वेन की पहचान निम्न प्रकार से होती है जैसे:-
(अ) पैरों का भारी होना,
(आ) खुजली, एड़ी में सूजन,
(इ) प्रभावित रक्तवाहिनियों का नीले रंग में बदलना,
(ई) पैरों का लाल होना, रूखापन आदि, कभी-कभी उस भाग से रक्तस्राव होना।
(उ) पैरों में अजीब से निशान पड़ जाना।
वेरीकोज वेन में क्या करें क्या ना करें | What to Do & not to do in vericose vein
डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि इस समस्या का निदान करने के लिए विशिष्ट रूप से कुछ जुराबें तैयार की जाती हैं जो कि सूजन को कम करने में मदद करती हैं। पैरों में पुष्टिकरों की मात्रा बढ़ाती हैं और रक्तप्रवाह के क्रम को सही करती हैं। इससे दर्द भी कम होता है।
दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाइयां लेने की भी सलाह दी जाती है लेकिन इनसे दुष्प्रभाव भी अधिक होते हैं।
व्यायाम करने से भी कुछ हद तक आराम पाया जा सकता है। सलाह दी जाती है कि पीड़ित बैठते समय पैरों को सीधा खींचे और व्यायाम करे।
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डॉ.प्रदीप मुले हेड इंटरवेशनल रेडियोलोजिस्ट फोर्टिस हास्पिटल वंसतकुंज, नई दिल्ली |
वेरीकोज वेन का इलाज - रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन
vericose vein Cure - Radio Frequency Ablation
डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि वेरीकोज वेन का इलाज रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन से किया जाता है। इसमें सर्जरी के दौरान धमनियों के अतिरिक्त फैलाव को काटकर हटाया जाता है, लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं जैसे-घाव का बनना, निशान पड़ना, रक्तस्राव होना, संक्रमण आदि। फिर इसके दोबारा उत्पन्न होने के पूरे आसार होते हैं।
डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि अब रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की मदद से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यह एक शल्यरहित प्रक्रिया होती है जो कि लेजर या रेडियोफ्रीक्वेंसी की मदद से प्रभावित धमनियों तक किरणें डाली जाती हैं जिससे वे सही दिशा में रक्त प्रवाहित करने लगती हैं। इसमें एक सूक्ष्म छिद्र द्वारा नसों में पतली नली डालकर इलाज किया जाता है। इस तकनीक में इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट त्वचा पर एक सूक्ष्म छिद्र से घुटने के ऊपर या नीचे की नसों में पतली नली डालता है। इस नली के ऊपरी हिस्से में इलेक्ट्रोड होते हैं जो कि नसों की कोशिकाओं को गरम करते हैं जिससे मोटी नसें सूख जाती हैं और वेरीकोज वेन धीरे-धीरे ठीक हो जाती हैं।
सुविधाजनक व डे केयर है रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन
डॉ.प्रदीप मुले बताते हैं कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन से किसी तरह का पैरों में ऑपरेशन का कोई निशान नहीं पड़ता। रोगी को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होती। प्रक्रिया के 3-5 घंटों में घर जा सकता है। इस प्रक्रिया में सर्जरी की अपेक्षा खर्चा भी कम आता है। दर्द और वेरीकोज वेन जल्दी ठीक हो जाता है। इसमें रक्तस्राव का कोई खतरा नहीं होता है।
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( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय परामर्श नहीं है। यह समाचारों में उपलब्ध सामग्री के अध्ययन के आधार पर जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई अव्यावसायिक रिपोर्ट मात्र है। आप इस समाचार के आधार पर कोई निर्णय कतई नहीं ले सकते। स्वयं डॉक्टर न बनें किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें।)
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