पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनवा प्रांत में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेआई) की मांग पर पाठ्यक्रमों से सारा धर्मनिरपेक्ष कंटेंट हटा दिया गया है।
जी हाँ! यह दावा जमात-ए-इस्लामी (जेआई)के चीफ प्रोफेसर इब्राहीम खान ने स्वयं किया है।
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित समाचारपत्र THE EXPRESS TRIBUNE की एक ख़बर के मुताबिक पाकिस्तान के पेशावर में नेशनल एसोसिएशन फॉर एजुकेशन द्वारा role of curriculums in uplifting nations विषय पर आयोजित एक सेमिनार के बाद अख़बार के साथ बातचीत में जमात-ए-इस्लामी (जेआई)के चीफ प्रोफेसर इब्राहीम खान ने कहा कि खैबर पख्तूनवा की प्रांतीय सरकार ने उनकी मांग पर पाठ्यक्रमों से सारा सेक्युलर कंटेंट हटा लिया है।
खान ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी की सिफारिशों के आधार पर, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सभी धर्मनिरपेक्ष सामग्री को अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी द्वारा पेश किए गए पाठ्यक्रम से हटा दिया है।
उन्होंने कहा कि पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान, पवित्र कुरान के कई सूराह और धार्मिक नेताओं पर आधारित कई सबक सरकारी स्कूलों और साथ ही विभिन्न निजी स्कूलों में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम से हटा दिए गए थे।
खान ने कहा, जब जमात-ए-इस्लामी ने पीटीआई के साथ गठबंधन किया था, तब पहली मांग उन्होंने यही की थी कि वे धर्मनिरपेक्ष सामग्री को हटा दें और वह सामग्री जोड़ दें जो पिछली सरकार ने हटाया था।
श्री खान ने अफसोस जताया कि पिछली सरकार ने ख़लीफाऔर उनके इतिहास को छोड़कर राणा रंजीत सिंह, राजादाहिर और खान अब्दुल गफ्फार खान की जीवनियों को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया।
प्रोफेसर खान ने कहा
"संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने अपने पाठ्यपुस्तकों में अपने इतिहास को कभी भी परिवर्तित नहीं किया है या अपने इतिहास के कुछ हिस्सों को हटाया है ... तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस्लामी इतिहास के बारे में क्यों नहीं पता होना चाहिए?" ।
All secular content removed from courses on demand of radical organization