पुलवामा के हमले (Pulwama attack) के बाद लगभग चार घंटे तक नरेन्द्र मोदी कॉर्बेट पार्क में (Narendra Modi at Corbett Park) सिनेमाघर अंदाज में, रंग-बिरंगी अलग-अलग पोशाकों में शूटिंग (Shooting) करते रहे। चार घंटे बाद बोले कि इस हमले के लिये पाकिस्तान को बख्शा नहीं जाएगा (Pakistan will not be spared)।
इसके दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री की बदले की सिनेमाई कार्रवाइयाँ शुरू हो गई। सिनेमाई, मतलब ऐसी कार्रवाइयाँ जो सिर्फ कोरे प्रचार के मतलब की है। उनका पाकिस्तान पर कोई वास्तविक असर नहीं पड़ता है।
मोदी सरकार ने पहला कदम उठाया – पाकिस्तान को एमएफएन ( मोस्ट फेवर्ड नेशन – Most favored nation) का दर्जा खत्म कर दिया। पाकिस्तान को एमएनएफ का दर्जा क्रमश: भारतीय उपमहादेश (indian subcontinent) को मुक्त व्यापार के क्षेत्र में तब्दील करने की भारत की कूटनीतिक मुहिम का हिस्सा था। इसे खत्म करके भारत ने इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों के ही कूटनीतिक औजारों को कम किया है। और कुछ नहीं। पाकिस्तान का इससे रत्ती भर भी बिगाड़ नहीं हुआ है ।
अब सारे झूठे चैनल चीख रहे हैं कि भारत ने अपनी तीन नदियों के पानी को पाकिस्तान जाने से रोक दिया। चैनलों ने यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि पानी रुक जाने से पाकिस्तान में त्राहिमाम शुरू हो गया है।
बाद में पता चला कि नितिन गडकरी ने ऐसा करने की धमकी दी है और कहा है कि वे इन नदियों पर बांध बना कर इनका पानी यमुना की ओर मोड़ देंगे। मतलब न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। कब बांध बनेगा और कब पाकिस्तान में पानी का प्रवाह बंद होगा ! यह अगले पचीस साल में भी हो पायेगा या नहीं, कोई नहीं जानता। लेकिन भारत के महान चैनलों की माने को अभी से पाकिस्तान में ‘त्राहिमाम’ शुरू हो चुका है।
मोदी ने ऐसा ही एक दूसरा करिश्मा किया है अजहर मसूद के बारे में। चैनलों के अनुसार इस अटैक के बाद ‘मसूद अब मरेगा, वह नहीं बचेगा’।
बाद में बताया गया कि अजहर मसूद पर भारत का यह अटैक है —‘एफआईआर अटैक’। भारत का एफआईआर का ब्रह्मास्त्र अचूक है, इसीलिये ‘अजहर तो मरेगा ही’ !
यह सब सुन कर क्या सचमुच आपको नहीं लगता कि भारत के चैनलों पर पागलों का कब्जा हो गया है !
राजनीति के प्रमादग्रस्त लोगों का एक विचित्र समूह है भाजपा
यह सच है कि भाजपा भारतीय राजनीति के क्षेत्र के प्रमादग्रस्त लोगों का एक विचित्र समूह है। प्रमाद में आदमी की पितृ-ग्रंथी लुप्त हो जाती है। फ्रायड ने बताया है कि पागलपन का पहला लक्षण पिता के बोध का अवलोप है। आधुनिक भारतीय राजनीति का मूल स्रोत भारत का स्वतंत्रता संग्राम है और आरएसएस उसी के अवबोध से पूरी तरह से कटे हुए पागलों का जमावड़ा है।
दुर्भाग्य से यह उन्मादित तत्वों का समूह अभी सत्ता के शीर्ष पर बैठ गया है और वह जिस प्रकार की तबाहियों और बर्बादियों का कारण बन सकता है, वही विगत पांच सालों में हम सब को देखने को मिला है।
मोदी ने अपनी शासन यात्रा का प्रारंभ लेखकों-बुद्धिजीवियों की हत्याओं से लेकर सारे मीडिया को अपनी मुट्ठी में कसने और ट्रौल्स का आनलाईन गुंडा वाहिनी से मां-बहन की भयंकर गालियों का राजनीतिक औजारों के रूपमें प्रयोग से किया था और आज तक भी वह सिर्फ और सिर्फ तमाम दमनकारी कामों को ही शासन का पर्याय मान कर चल रहा है।
सीआरपीएफ के डीआईजी एम डी दीनाकरण ने इस बात पर गहरी चिंता जाहिर की है कि कुछ हलकों से सीआरपीएफ के जवानों के शवों की छवियों को अजीब ढंग से विकृत करके प्रचारित किया जा रहा है ताकि देश में सांप्रदायिक उत्तेजना फैल सके।
डीआईजी ने जवानों की शहादत पर अपनी राजनीतिक गोटियां लाल करने वालों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि इन जवानों ने किसी के राजनीतिक हितों को साधने के लिये अपने प्राण नहीं दिये हैं।
मोदी शायद नहीं जानते कि सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों को देश की राजनीति के मोहरें बनाना देश की सुरक्षा के साथ एक खतरनाक खेल है।
विपक्ष पुलवामा के संदर्भ में एकजुट राष्ट्र की भावना की बात कर रहा था और मोदी इसपर चुनावी भाषणबाजी में रम गये। चुनाव-केंद्रित होने के कारण भाजपाई अंध-राष्ट्रवादी प्रचार में लेश मात्र भी ईमानदारी नहीं है। मोदी का ताबड़तोड़ अभियान इसके पीछे की उनकी कामना को पूरी तरह से बेपर्द कर दे रहा है। इसीलिये इसका मुंह के बल गिरना अवधारित है।
मोदी नहीं जानते कि लोगों के अवचेतन में उनके झूठ के बारे में बन चुकी अवधारणा लोगों को अब कुछ और ही सुना रही है। मोदी बदहवासी में लोगों की इस अवचेतन की भाषा के प्रति बेपरवाह हो गये हैं। इस बार उन्हें करारी चपत लगना तय है।
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