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राकेश सिंह राना की बगावत का असर दिखा अखिलेश पर, बोलते-बोलते बहके

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hastakshep
31 Jan 2017
राकेश सिंह राना की बगावत का असर दिखा अखिलेश पर, बोलते-बोलते बहके

हाथरस, 31 जनवरी। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बागी और मुलायम-शिवपाल खेमे के उम्मीदवार पूर्व एमएलसी राकेश सिंह राना (Former MLC Rakesh Singh Rana) का असर आज अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर साफ दिखाई दिया। अखिलेश राकेश सिंह राना का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोल गए।

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यूपी चुनाव (UP election) में कांग्रेस का साथ मिलने से समाजवादी पार्टी के मुखिया और सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अति आत्मविश्वास से भरे हैं।

चुनावी संग्राम में उतरे अखिलेश की मानें तो पहले थोड़ा बहुत कन्फ्यूजन था। लोग कह रहे थे कि सरकार कैसे बनेगी। लग रहा था कि 250 सीटें जीतेंगे। लेकिन अब कांग्रेस का हाथ साईकिल के हैंडल में लग गया है तो हम 300 से ऊपर सीटें जीतेंगे।

अखिलेश यादव ने साईकिल की लड़ाई में ऊपर वाले के भी साथ होने की बात कही। कहा ऊपर वाला हमारे साथ है। यही नही उन्होंने यूपी के चुनाव को देश की राजनीति का भविष्य तय करने वाला चुनाव बताया और कहा कि अब तो टीवी वाले भी कह रहे है कि यूपी में सरकार बनेगी तो समाजवादियों की। 

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यूपी के हाथरस जिले के क़स्बा सिकंदराराऊ में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा में अखिलेश यादव ने अपनी सरकार को बिना भेदभाव के सबसे ज्यादा काम करने वाली सरकार बताया। कहा कि अब यूपी में जानवरों के लिए भी एम्बूलेंस चलाएंगे। डॉक्टर और दवाई गांव पंहुचेगी। साथ ही एक करोड़ लोगों को पैशन देंगे। उन्होंने नोटबंदी से हुई परेशानी को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। कहा कि वादा किया था कि अच्छे दिन आएंगे लेकिन सब को लाइन में लगा दिया। लोगों को तकलीफें हुई परेशानी हुई और जान भी गयी। उन्होंने कहा कि इससे न तो काला धन कम हुआ न भ्रष्टाचार खत्म हुआ। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि काला धन और भ्रष्टाचार तभी खत्म होगा जब आप और हम चाहेंगे। बीजेपी के घोषणा पत्र को मुख्यमंत्री ने सपा के घोषणा पत्र की नक़ल बताया। 

बीएसपी की सरकार को अखिलेश यादव ने पत्थर वाली सरकार कहा और लोगों को सावधान किया कि मौका मिला तो सोचो कितने बड़े हाथी लगेंगे इस बार।

यही नही उन्होंने सिकंदराराऊ में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी यशपालसिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पूर्व एमएलसी तथा सपा नेता राकेश राना का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि जो लड़ाई में साथ नहीं है उसे हमारे साथ रहने की जरूरत नहीं है। लेकिन अखिलेश की इस बात का समाजवादी पार्टी के परंपरागत मतदाताओं का उल्टा असर हुआ।

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एक सपा कार्यकर्ता ने कहा कि शायद अखिलेश यादव भूल गए हैं कि जब वो मायावती के डर से दफ्तर से बाहर नहीं निकलते थे तब मुलायम सिंह यादव इन्हीं राकेश सिंह राना को अखिलेश का संरक्षक बनाकर बाहर भेजते थे।

एक सपा कार्यकर्ता ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने कई बार मायावती की सरकार के दौरान राकेश सिंह राना को ये हिदायत देकर अखिलेश के साथ भेजा कि बेटे को चोट न पहुंचे, उसका ध्यान रखना।

एक अन्य सपा कार्यकर्ता ने कहा कि जो अपने पिता का नहीं हुआ वो राकेश सिंह राना का कैसे हो जाएगा ?

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