सरकारी कर्मचारियों से डरी रमन सरकार, नहीं मिल रहे डाक मतपत्र
डाक मतपत्र देने में जानबूझकर किया जा रहा है विलंब
5 साल तक कर्मचारी विरोधी रही रमन सरकार कर्मचारियों को मतदान से रोकना चाहती है
डाक मतपत्र की उपलब्धता में बाधायें खड़ी शासकीय कर्मचारियों को मताधिकार से वंचित करने की नापाक साजिश
रायपुर/14 नवंबर 2018। डाक मतपत्र की अनुपलब्धता से शासकीय कर्मचारी को मताधिकार से वंचित करने की साजिश का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को डाक मतपत्र उपलब्ध नहीं करवा कर उनको मतदान से वंचित करने की साजिश की जा रही है।
श्री त्रिवेदी ने कहा नियमानुसार प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों से डाक मत पत्र हेतु आवेदन फॉर्म लिए जाते हैं और द्वितीय चरण के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें डाक मतपत्र दे दिए जाते हैं। प्रशिक्षण के द्वितीय चरण में जहां-जहां चुनाव होने हैं उन सभी जिलों के एक ही शिकायत सामने निकल कर आ रही है कि कर्मचारियों को द्वितीय प्रशिक्षण के दौरान डाक मतपत्र का वितरण नहीं किया गया। कर्मचारियों के द्वारा मांग किए जाने पर अधिकारियों द्वारा उन्हें बाद में डाक मतपत्र दिए जाने की बात कह कर गुमराह किया जा रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिला मुख्यालय से 80-90 किलोमीटर की दूरी पर कार्यरत कर्मचारी बाद में बुलाए जाने पर डाक मत पत्र लेने हेतु जिला मुख्यालय कैसे आएंगे और क्यों आएंगे? क्योंकि ना तो उन्हें इस हेतु कोई अवकाश दिया जाता है और ना ही किसी प्रकार का कोई मानदेय अब इसमें दो बातें।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा क्योंकि शिक्षाकर्मी और प्रदेश सरकार के कर्मचारी रमन सिंह सरकार से असंतुष्ट है, नाराज हैं इस सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण या सरकार जानबूझकर कर्मचारियों को मतदान न करने देने और मतदान करने से हतोत्साहित करने के लिए इस तरीके की साजिश रच रही है। पहले चरण के चुनाव के दौरान ध्यान दें। प्रतिशत से अधिक मतदान शासकीय कर्मचारियों ने किया है। मत पत्र लेने के लिए कर्मचारियों की जिस प्रकार से धूप में कतार लग रही है और कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार चाहती ही रहेगी कर्मचारी मतदान करें। यदि शिकायत सामने आई है कि कर्मचारियों को उनका आवेदन जो डाक मतपत्र हेतु दिया गया था उसे लौटा कर उसी विधानसभा में जमा करने को कहा जा रहा है जबकि इसके पूर्व के चुनाव में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि हजारों शासकीय कर्मचारी जिनकी चुनाव में ड्यूटी लगी है, उन्हें विधानसभा 2018 के चुनावों में भी अपने मताधिकार का उपयोग करने से वंचित होने का संकट उत्पन्न हो गया था, क्योंकि शासकीय मुद्रणालय राजनांदगांव में डाक मतपत्रों की छपाई समय पर नहीं हो पायी थी। डाक मतपत्र क्योंकि एक गोपनीय एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे बाहर किसी प्रिंटिंग प्रेस आदि से नहीं छपाया जा सकता। यह निर्वाचन आयोग की और शासकीय मुद्राणालय राजनांदगांव की घोर लापरवाही का नतीजा है कि चुनाव की आवश्यक ड्यूटी में जाने को मजबूर शासकीय कर्मचारियों को डाक मतपत्र उपलब्ध नहीं हो पाये हैं।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि डाक मतपत्र नहीं मिलने और मिलने की प्रक्रिया में कठिनाई होने से छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संगठनों ने चिंता जाहिर की है और कहा है कि चुनाव ड्यूटी पर जाने वाले कर्मचारियों को यदि डाक मतपत्र उपलब्ध नहीं कराये गये तो वे अपने मताधिकार के उपयोग से वंचित हो जायेंगे। ऐसी स्थिति में इसके लिये कौन जिम्मेदार है? यह प्रश्न कांग्रेस पार्टी कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री ने शासकीय मुद्राणालय और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि डाक मतपत्र के समय पर छपाई नहीं हो पाना और उसे चुनाव ड्यूटी पर जाने वाले कर्मचारियों को समय पर वितरित नहीं किया जाना एक गंभीर अपराध है, यह एक षड़यंत्र है। क्योंकि शासकीय कर्मचारी चाहे वे फील्ड में कार्य कर रहे हो या मंत्रालय में कार्य कर रहे हो, सभी के मन में रोष है कि 5 वर्ष में एक बार अपने पसंद की सरकार चुनने का अवसर मिलता है और इस अवसर को निर्वाचन आयोग तथा शासकीय मुद्राणालय की लापरवाही के कारण वंचित होना पड़ रहा है जो दुर्भाग्यजनक है। चुनाव में किन्हीं-किन्हीं विधानसभा क्षेत्र में 100-50 वोटों की मार्जिंन से चुनाव का निर्णय होता है।
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