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जैन साहित्‍य की राम कथा त्‍याग, तपस्‍या का आदर्श है –डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’

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hastakshep
16 Oct 2019
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अशोक वाजपेयी को तो हक नहीं कि वे कहें कि हिंदी विश्वविद्यालय में कोई काम नहीं हुआ

हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र का आयोजन : जैन साहित्‍य में रामकथा (Ramkatha in Jain literature) विषय पर डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ का व्‍याख्‍यान Dr. Yogendra Nath Sharma 'Arun' lecture

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जैन साहित्‍य की राम कथा त्‍याग, तपस्‍या का आदर्श है  – डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’

वर्धा, 15 अक्‍टूबर 2019: महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र (Hindi Teaching Learning Center at Mahatma Gandhi International Hindi University) के तत्‍वावधान में आयोजित जैन राम काव्‍य के निष्‍णात विद्वान डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने जैन साहित्‍य में रामकथा विषय पर विशेष व्‍याख्‍यान में जैन साहित्‍य में राम कथा के अनेक प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि जैन साहित्‍य में 63 पूज्‍य पुरुषों को शलाका पुरुष बताया गया है। राम को लोक रक्षक के रूप में और कृष्‍ण को लोकरंजक के रूप में माना गया है। जैन साहित्‍य में सीता, लक्ष्मण और भरत को आदर्श के रूप में प्रस्‍तुत किया गया है। राम कथा में उक्‍त पात्र त्‍याग और तपस्‍या के आदर्श के उदाहरण हैं। उनका कहना था कि जैन धर्म में अवतारवाद को नहीं माना जाता और हिंसा को कोई स्‍थान नहीं है । इसलिए जैन राम कथा में रावण की हत्‍या का प्रसंग नहीं आता। उन्‍होंने स्‍वयंभू और तुलसी  के राम पात्रों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि स्‍वयंभू नारीत्‍व के प्रति समर्पित कवि हैं। उन्‍होंने कहा कि जैन और अन्‍य साहित्‍य में अपभ्रंश को लेकर अधिक अनुसंधानपरक काम करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय से अपेक्षा की कि तुलनात्‍मक अध्‍ययन के माध्‍यम से दोनों पर काम होना चाहिए।

अध्‍यक्षीय उदबोधन में विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि अपभ्रंश के बिना साहित्‍य को देखा और समझा नहीं जा सकता। राम कथा वास्‍तव में भारत की कथा है जिसमें भारत का समस्‍त दर्शन प्रदर्शित होता है।

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उन्‍होंने राम कथा के प्रसंगों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि मानव जीवन के व्‍यवस्‍थापन की कहानी है राम कथा। अपभ्रंश को लेकर डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ का आग्रह स्‍वीकार करते हुए कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि अपभ्रंश पर काम नहीं हुआ है।  हम विश्‍वविद्यालय की ओर से डॉ. शर्मा के व्‍याख्‍यानों की रिकार्डिंग कर उसे ऑन लाइन शोधार्थियों और अध्‍येताओं को उपलब्‍ध कराएंगे।

कार्यक्रम में स्‍वागत वक्‍तव्‍य हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र के निदेशक प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह ने दिया।  इस अवसर पर प्रो. शर्मा का कुलपति की ओर से शॉल, श्रीफल और चरखा प्रदान कर स्‍वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय तिवारी ने किया तथा आभार ज्ञापन हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र के सहायक निदेशक डॉ. रूपेश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर विभिन्‍न विद्यापीठों के अधिष्‍ठाता, विभागाध्‍यक्ष, अध्‍यापक,शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।

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