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भाजपा सांसद का हमला, मोदी सरकार ने मैक्रो-इकॉनॉमी को तबाह कर दिया, वित्तमंत्री को अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं

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hastakshep
26 Sep 2019
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पाकिस्तान के चार टुकड़े करने की चाहत रखने वाले सुब्रमण्यम स्वामी हाशिमपुरा नरसंहार के लिए पी. चिदंबरम को दण्डित कराना चाहते हैं !

नई दिल्ली, 26 सितम्बर 2019. अपने बयानों से हमेशा विवादों में रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने मोदी सरकार पर तगड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि सरकार ने पिछले पांच सालों में मैक्रो-इकोनॉमिक प्रणाली (Macro-economic system) को गड़बड़ कर दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में मांग पैदा करने के लिए सरकार को आयकर खत्म करना चाहिए था, क्योंकि कॉरपोरेट कर घटाने से अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा (Reducing corporate tax will not benefit the economy)

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अपनी ताजा किताब 'रीसेट - रिगेनिंग इंडियन्स इकॉनॉमिक लीगेसी' के लांचिंग के अवसर पर पूर्व केंद्रीय कानून और वाणिज्य मंत्री स्वामी ने भारत की अर्थव्यवस्था पर बात की। उन्होंने इसे वापस गति देने के तरीके भी सुझाए। उनकी इस किताब का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने के लिए सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए कदमों के आलोचक स्वामी ने भाजपा सरकार के पिछले पांच वर्षो को मैक्रो-इकॉनॉमी के लिए बुरा बताया।

स्वामी ने कहा,

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"सरकार पांच सालों में ऐसी चीजें करती रही है, जो मैक्रो-इकॉनॉमी के लिए बुरी हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराकर उज्जवला के जरिए मैक्रो-इकॉनॉमी में अच्छा काम किया है.. लेकिन मैक्रो-इकॉनॉमिक्स पूरी प्रणाली है.. और पूरी प्रणाली को गड़बड़ कर दिया गया है, जिसे दुरुस्त करने की जरूरत है और इसे कॉरपोरेट सेक्टर के लिए कर घटाने जैसे किसी एक उपाय से नहीं दुरुस्त किया जा सकता है।"

भाजपा सांसद ने कहा,

"आयकर घटाना एक बहुत ही प्रशंसनीय कदम होता, मध्य वर्ग बहुत खुश होता और वे पैसे बचाते। कॉरपोरेट सेक्टर के साथ दिक्कत यह है कि मांग कम है, इसलिए मांग तभी बढ़ सकती है, जब आम जनता सशक्त होती। आम जनता को सशक्त करने का मतलब आयकर को खत्म किया जाना चाहिए था। कॉरपोरेट कर घटाना निर्थक है। क्योंकि वे सिर्फ आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, लेकिन जब उसका कोई खरीददार नहीं है, फिर आपूर्ति बढ़ाने का कोई परिणाम नहीं मिलने वाला है।"

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इसके पहले अपनी किताब के बारे में अपनी बात रखते हुए स्वामी ने कहा,

"हमें हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक नई शुरुआत की जरूरत है। हमने मैक्रो वृद्धि स्तर पर परफार्म नहीं किया। बचत को सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया। यदि हमें बेरोजगारी समाप्त करनी है तो देश को अगले 10 वर्षो तक 10 प्रतिशत विकास दर की जरूरत।"

कई सारे कदमों के बाद भी आखिर स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ? मांग क्यों नहीं बढ़ी? इस सवाल के जवाब में स्वामी ने कहा,

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"क्योंकि हमारी भाजपा सरकार में जो वित्तमंत्री हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं है। यही समस्या है।"

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