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कमलनाथ : छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री या मध्य प्रदेश के ? विकास में पक्षपात अशोभनीय

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hastakshep
05 Oct 2019
कमलनाथ : छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री या मध्य प्रदेश के ? विकास में पक्षपात अशोभनीय

लोकतंत्र में विकास का कोई पैमाना नहीं है और इसकी एक सबसे बड़ी वजह है कि मुखिया मुख की तरह एक समान व्यवहार नहीं करता। आर्थिक तंगी से जूझ रहे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने अपने गृह नगर छिंदवाड़ा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए एक झटके में 1445 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत (Rs 1445 crore approved for Super Specialty Hospital in Chhindwara) कर दी। ये रकम प्रदेश में अब तक बनाये गए किसी भी मेडिकल कालेज के निर्माण राशि के मुकाबले तीन गुना अधिक है। आपको बता दें कि भोपाल में एम्स की लागत भी 900 करोड़ से अधिक नहीं है।

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राजनीति में इसी तरह के पक्षपात के कारण प्रदेश का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है। प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कालेज ग्वालियर से जुड़े सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का काम सिर्फ 300 करोड़ रूपये न मिलने के कारण रुका है। दुर्भाग्य ये है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में बैठे ग्वालियर के तीन-तीन मंत्री इस पक्षपात के खिलाफ एक आवाज भी नहीं उठा पा रहे हैं।

ग्वालियर को अपना परिवार मानने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस विषय में अभी तक अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या छिंदवाड़ा भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर से भी ज्यादा बड़ा शहर है ? क्या छिंदवाड़ा को अचानक प्रदेश के बड़े शहरों से भी बड़ा मान लिया गया है ?

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छिंदवाड़ा को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में मेडिकल कालेज के लिए 160 करोड़ रूपये की राशि दी थी, इसके बावजूद वे वहां डाक्टरों की कमी पूरी नहीं कर पाए। मुझे लगता है कि लोकसभा चुनावों में जैसे-तैसे जीती कांग्रेस को लेकर कमलनाथ आतंकित हैं और उन्हें अपना गढ़ ढहता नजर आ रहा है, इसीलिए उन्होंने आँखें बंद कर छिंदवाड़ा को एक मुश्त 1445 करोड़ रूपये की राशि दे दी।

हम विकास के विरोधी नहीं हैं लेकिन एकांगी विकास को किसी भी रूप में स्वीकार करने वाले भी नहीं हैं।

इस मुद्दे पर जिन नेताओं की बोलती बंद हैं वे मुमकिन है कि मुख्यमंत्री जी का लिहाज करते हों, मुमकिन है कि डरते हों, मुमकिन है कि उनमें साहस की कमी हो, लेकिन सबल विपक्ष को तो कुछ बोलना चाहिए।

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मुख्यमंत्री जी से सवाल किया जाना चाहिए कि छिंदवाड़ा के जिस अस्पताल के निर्माण के लिए आठ महीने पहले कुल 800 करोड़ रूपये मांगे गए थे, उसी के लिए अब 1445 करोड़ रूपये क्यों मांगे और दिए गए ?

प्रदेश में हाल ही में एक दर्जन नए मेडिकल कालेज खोलने की स्वीकृति मिली है, क्या प्रदेश सरकार के पास इन नए मेडिकल कॉलेजों के लिए खजाने में पैसा है ? शायद नहीं। फिर छिंदवाड़ा पर इतनी मेहरबानी क्यों ?

प्रदेश में चहुमुखी विकास के लिए एक समेकित नीति की आवश्यकता है। मनमानी से कोई विकास नहीं किया जाना चाहिए। ग्वालियर में एक हजार बिस्तर के अस्पताल की कवायद 1980 से चल रही है। ग्वालियर को आजतक इस परियोजना के लिए पूरा पैसा नहीं मिला और छिंदवाड़ा को आठ महीने में ही 1445 करोड़ रूपये मिल गए।

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विकास का कोई पैमाना है भी या नहीं ? Is there any scale of development or not?

publive-image राकेश अचल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

ग्वालियर के सांसद और विधायकों को इस अन्याय के खिलाफ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपनी आवाज बुलंद करना चाहिए। इसी एकजुटता के अभाव के कारण विकास की दौड़ में लगातार पिछड़ रहा है। दुर्भाग्य से अब केंद्र में भी ग्वालियर की पक्षधरता करने वाले अकेले नरेंद्र सिंह हैं उनका भी विकास को लेकर अपना नजरिया है। विपक्ष के साथ उन्हें भी पटरी बैठते हुए किसी ने आजतक नहीं देखा।

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दुर्भाग्य ये है कि अब प्रशासन में भी बिना रीढ़ के अधिकारी बैठे हैं। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव तक की हिम्मत नहीं है जो वो मुख्यमंत्री जी को समझा सके कि ये पक्षपात समस्याएं खड़ी करने वाला है और इस पर अम्ल नहीं किया जाना चाहिए।

विसंगतियां विकास की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। Anomalies are the biggest enemy of development.

विसंगति ये भी है कि जिसे जो काम करना है वो उसे करने के लिए तैयार नहीं है। मै आशा करता हूँ कि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश के समग्र विकास के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करेंगे ,यदि वे ऐसा नहीं करते तो वे न सिर्फ संविधान की शपथ की उपेक्षा करते हैं बल्कि जनभावनाओं का भी अपमान करते हैं।

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राकेश अचल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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