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Storm of lies and Modi government: RSS's new McCarthian strategy, create fear in the name of nationalism
पुलवामा की आतंकी घटना (Pulwama terror incident) के साथ ही भाजपा अपने मैकार्थियन एजेण्डे को आगे बढ़ाते हुए नई कड़ी के तौर पर ''गद्दार बनाम देशभक्त'' की थीम (Theme of "Traitor Vs Patriot") पर प्रचार अभियान आरंभ कर चुकी है, इस थीम पर पहले वे आधिकारिक तौर पर 18फरवरी 2016 से तीन दिन तक यह अभियान पूरे देश में चला चुके हैं। इसे ''जन स्वाभिमान अभियान'' नाम दिया गया। इस अभियान के केन्द्र में अफजल गुरु, जेएनयू और कश्मीरी थे। इस बार पाक और कश्मीरी हैं।
''गद्दार बनाम देशभक्त'' के तहत जनता, बुद्धिजीवियों, कलाकारों और राजनीतिक दलों को बांटने का काम किया जाएगा
''गद्दार बनाम देशभक्त'' के तहत वर्गीकरण करके जनता को बांटने, बुद्धिजीवियों को बांटने, कलाकारों और राजनीतिक दलों को बांटने का काम किया जाएगा।
इस अभियान के दो लक्ष्य हैं, पहला, मोदी के लिए समर्थन और वोट जुटाना, इसके तहत बार-बार पूछा जा रहा है- आतंकियों के साथ हो या देशभक्तों के साथ हो। इसके जरिए विपक्ष को कलंकित करके आम जनता में विपक्ष विरोधी उन्माद पैदा करना लक्ष्य है।
इस अभियान का दूसरा लक्ष्य है आम जनता में वामविरोधी घृणा पैदा करना। वाम को देशद्रोही घोषित करना।
आरएसएस का नया पैंतरा उन्मादित भाषा में झूठ बोलो
आरएसएस का नया पैंतरा है उन्मादित भाषा में बोलो, झूठ बोलो। सभी किस्म के तथ्यों को खारिज करो, अफवाह का प्रचार करो।
उल्लेखनीय है मैकार्थियन प्रचारकों ने एक जमाने में समूचे अमेरिकी समाज को झूठ, अफवाह और उन्माद से इसी तरह डर भर दिया था। इसके लिए उन्होंने प्रत्येक हथकंडा अपनाया। ठीक यही मैकार्थियन रणनीति (McCarthian Strategy) आरएसएस के प्रचारक भारत में लागू कर रहे हैं।
RSS की नयी मैकार्थियन रणनीति है राष्ट्रवाद के नाम पर भय पैदा करो (Create fear in the name of nationalism),भय का दोहन करो।
क्या राष्ट्रवाद भय पैदा करने वाला तत्व है? (kya raashtravaad bhay paida karane vaala tatv hai?)
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राष्ट्रवाद कभी भय पैदा करने वाला तत्व नहीं रहा, राष्ट्रवाद कभी राजनीतिक विपक्ष का दमन करने वाला तत्व भी नहीं रहा, लेकिन आरएसएस नई आक्रामक रणनीति के रूप में राजनीति और मासकल्चर में राष्ट्रवाद का दमन के अस्त्र के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। वे राष्ट्रवाद के पक्ष-विपक्ष में जनता का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं।
भारत में मैकार्थीवाद का जन्मदाता कौन है?
(Bhaarat mein McCarthyism ka janmadaata kaun hai?)
आरएसएस को भारत में मैकार्थीवाद का जन्मदाता कहना चाहिए। संघ के लोग तकरीबन वे ही नियम, कायदे तरीके और विचारधारा के औजार इस्तेमाल कर रहे हैं जो एक जमाने में अमेरिका में मैकार्थीवाद के पक्षधरों ने इस्तेमाल किए थे। ये लोग हिटलर के नहीं मैकार्थी के मार्ग पर चल पड़े हैं।
मैकार्थीवादी तत्वों का प्रधान गुण क्या था?
मैकार्थीवादी तत्वों का प्रधान गुण था तर्क का विध्वंस, वे किसी भी कीमत पर तर्क को नहीं मानते, उनका प्रधान लक्ष्य है हर हालत में तर्क और विवेक की सत्ता पलटो। आप उनके सामने कितने भी प्रमाण पेश करो, वे तर्क नहीं मानते। उनका मानना है तर्क से सोचो मत, तर्क के आधार पर आचरण मत करो। तर्क जीवन का शत्रु है।
तकरीबन सारे टीवी चैनलों पर तकरीबन सभी सीनियर वकीलों ने बार-बार समझाने की कोशिश की है कानून की नजर में राष्ट्रद्रोह का मतलब क्या है, उसके पक्ष में दलीलें भी दी हैं लेकिन कहीं पर भी भाजपा-आरएसएस के प्रवक्ता मानने को राजी नहीं हुए, वे बार-बार तोते की तरह बोलते रहे हैं, ''जेएनयू के छात्रों ने नारे लगाए हैं भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी आजादी तक, अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं आदि, नारे लगाना राष्ट्रद्रोह हैं।''
उनका दूसरा बड़ा औजार है विपक्ष पर ऊल-जुलूल आरोप लगाना। भाजपा अध्यक्ष से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक सबने बिना किसी प्रमाण के सीधे विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और वामदलों पर जेएनयू के संदर्भ में जो कुछ कहा है वह शर्मनाक तो है ही, साथ ही हमें इसके पीछे चल रही राजनीतिक रणनीति को भी समझना चाहिए। वे आरएसएस के खिलाफ हर किस्म के प्रतिवाद को सीमित करना चाहते हैं, रोकना चाहते हैं।
टीवी चैनलों में आरएसएस का नाम सुनते ही उनके प्रवक्ता भड़क उठते हैं बोलने नहीं देते। यही हाल अन्य संस्थानों में हो रहा है। इस समूची रणनीति का लक्ष्य है राजनीतिक दमन।
संघ के द्वारा सभी विचारधाराओं खासकर लिबरल और वाम विचारधारा पर अहर्निश हमले जारी हैं। मोदी सरकार आने के बाद इस तरह के हमलों में हठात तेजी आई है। विश्वविद्यालयों से लेकर टीवी टॉक शो तक ये हमले बढ़ गए हैं। इन दिनों वामविरोधी विषवमन तेजी से बढ़ गया है।
संघ की नई मैकार्थियन रणनीति है राष्ट्रवाद के बहाने वाम पर हमला करो, उदारदलों पर हमले करो। वे सामाजिक विकास के लिए राष्ट्रवाद का प्रयोग नहीं कर रहे बल्कि राजनीतिक दमन के औजार के रूप में राष्ट्रवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं।
राष्ट्रवाद का राजनीतिक दमन के औजार के रूप में आक्रामक प्रयोग मैकार्थियन रणनीति है। जेएनयू पर उनका सबसे निराधार आरोप यह है कि जेएनयू वाम विश्वविद्यालय है, इसलिए उस पर राष्ट्रवाद के नाम से हमले करो। वाम को नष्ट करो। बदनाम करो। राजनीतिक विमर्श से तर्क को निकालकर उसकी जगह राष्ट्रोन्माद का इस्तेमाल करो, बार-बार कहो वाम राष्ट्रविरोधी है। इस समय तकरीबन हर चैनल में यही राग चल रहा है।
इसी तरह पाक के हाथ का हल्ला करके मोदी सरकार की आतंकवाद विरोधी मुहिम के खोखलेपन को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
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