#SurgicalStrike का सबूत माँगना #देशद्रोह, #SurgicalStrike के नाम पर वोट माँगना #देशप्रेम
वह पिटाई ही क्या जिसके बाद उसे साबित करने की ज़रूरत पड़े?
मसीहुद्दीन संजरी
लड़ाई के बाद पिटने वाले की चीख़ का जो प्रभाव होता है वह मारने वाले के चिल्लाने का नहीं। वह पिटाई ही क्या जिसके बाद उसे साबित करने की ज़रूरत पड़े? अगली बार इसका ध्यान रखा जाए तो विवादास्पद बहसों के लिए कोई जगह नहीं रहेगी।
फिर भी लड़ार्इ वही बेहतर है जिसके बाद जनता सुख चैन से जी सके चाहे वह सर्जिकल हो या नान सर्जिकल।
सेना दुश्मन से लड़ेगी, अपनी जान जोखिम में डाल कर देश की रक्षा करेगी और कुछ लोग वही ज़िम्मेदारी हवन करवा कर पूरी करेंगे। काम का बंटवारा कितना शानदार है। वर्ण व्यवस्था अपना काम बखूबी अंजाम दे रही है।
हर सरकार के काम करने का अपना तरीका होता है। पहले पाकिस्तान चिल्लाता था कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक करता है और भारत इनकार करता था। अब भारत दावा करता है कि हमने सर्जिकल स्ट्राइक की तो पाकिस्तान उसे झूठ बताता है।
सभी सरकारों की अपनी अपनी रणनीति और उपलब्धियां भी होती हैं।
मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक से कश्मीर और कश्मीरियों पर होने वाली बहस पर विजय पाई है।
अब बंसल की आत्महत्या और सुसाइड नोट में अमित शाह का नाम किसको याद है?
झारखंड में किसानों की हत्या पर चिल्लाते रहिए, मीडिया व्यस्त है। बेरोज़गारी, गरीबी, किसानों की आत्म हत्या, शिक्षा–स्कालरशिप पर बाद में बात होगी अभी फुर्सत नहीं है।
है न अभूतपूर्व स्ट्राइकǃ फिर लोग मानते क्यों नहीं कि ऐसी स्ट्राइक पहले कभी नहीं हुई?