हरिजन के 9 अगस्त 1942 के अंक में गांधीजी लिखते हैं, “मैंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी गतिविधियों के बारे में सुना है और मुझे यह भी पता है कि वह एक साम्प्रदायिक संगठन है”.
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जिस रचनाकार की हड्डियों में अच्छा इतिहासबोध होगा, वही अच्छा साहित्य लिख सकता है
वाराणसी, 12 अगस्त 2019. रविवार को बीएचयू में एनी बेसेंट हाल (Annie Besant Hall at BHU) में कला संकाय एवं प्रगतिशील लेखक संघ (Progressive writers association) द्वारा प्रख्यात कथाकार प्रेमचंद की याद में हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार एवं इतिहासविद प्रियंवद का एकल व्याख्यान आयोजित किया गया। अपने व्याख्यान में इतिहास और दर्शन के सम्बंधों पर चर्चा करते हुए प्रियंवदजी ने …
Read More »परम्परा, इतिहास, धर्मनिरपेक्षता पर हमलों के बीच गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर
August 7 is the death anniversary of Rabindranath Tagore सात अगस्त रवीन्द्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि है। टैगोर का कवि के रूप में जितना बड़ा योगदान है उतना ही आलोचना के क्षेत्र में भी योगदान है। आमतौर पर उनके कवि रूप को हम ज्यादा याद करते हैं। रवीन्द्र संगीत को याद करते हैं, लेकिन इन दिनों परम्परा, इतिहास, धर्मनिरपेक्षता आदि पर …
Read More »इतिहास की महाभारत हो या आज की, न जागे तो जनता का विनाश मुमकिन है
इतिहास प्रहसन नहीं/ अतीत में जाकर मिटाने से नहीं मिटेगा/ न मसखरों की लीला से पराजित होगा
इतिहास तो इतिहास है स्लेट पर लिखी इबारत नहीं लाइनें नहीं जो छोटी हो जायेंगी दूसरी लाईन पास खींचने से इतिहास प्रहसन नहीं अतीत में जाकर मिटाने से नहीं मिटेगा न मसखरों की लीला से पराजित होगा
Read More »अच्छे नहीं, अंधेरे दिनों की आहट
मोदी सरकार के सत्ता में आते ही संघ परिवार बड़ी मुस्तैदी से अपने उन एजेंडों के साथ सामने आ रहा है, जो काफी विवादित रहे हैं, इनका सम्बन्ध इतिहास, संस्कृति, नृतत्वशास्त्र, धर्मनिरपेक्षता तथा अकादमिक जगत में खास विचारधारा से लैस लोगों की तैनाती से है।
Read More »अतीत और इतिहास का द्वंद्व
इतिहासकार की पहली आवश्यकता है अज्ञान, अज्ञान जो उसके लिए चीजों को स्पष्ट और सरल बनाता है। जो चुनाव करता है और छोड़ता जाता है।’ शायद इसीलिए मध्य युग के बारे में हम पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है कि मानों वहां सब कुछ धर्म से अनुप्राणित हो रहा हो। मध्यकालीन इतिहास के तथ्य के रूप में हमें जो कुछ मिलता है उसका चुनाव ऐसे इतिहासकारों की ऐसी पीढ़ियों द्वारा किया गया था जिनके लिए धर्म का सिद्धांत और व्यवहार एक पेशा था।
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