स्वप्निल को कभी स्वप्न में भी ख़याल नहीं रहा होगा कि खूंखार कवि अनिल जनविजय के रहते मुझ सा नौसिखिया उनकी कविताओं की समीक्षा लिख मारेगा और उसकी धज कुछ ऐसी होगी कि आज 40 साल बाद भी किसी पत्रिका में छपी वो समीक्षा उनके पास सुरक्षित है। कुछ दिन पहले रंगकर्मी और हिंदी सिनेमा में अपना तम्बू ताने नन्दलाल …
Read More »Tag Archives: कविता
अँधियारे पाख की इक कविता है जिसने चाँद बचा रक्खा है ..
और फिर से छतों से तुम्हें प्यार हो जायेगा…
सेल्फी की क्रांति रीतिकालीन साहित्य को ही जन्म देगी
एय मेरी तुलू ए नूर .. तू बढ़ और छा जा अबद की काली रवायतों पर ..
बेटी दिवस की शुभकामनाएं, Happy Daughter's Day 2018, Daughter's Day, daughters day in india, daughters day quotes from mother, daughters day quotes, daughters day quotes in hindi, daughter day Wishes WhatsApp Messages Quotes,
Read More »यह खुद बेहद डरे हुए हैं ….इस नंगी औरत से ….
यह खुद बेहद डरे हुए हैं ....इस नंगी औरत से ....
Read More »पंजाबी कविता का ध्रुवतारा : शिव कुमार बटालवी
विरह शिव कुमार बटालवी की कविता का मूल स्वर है, क्योंकि इसे अपने जीवन में उन्होंने भोगा था। वे कविता में क्रांति, व्यवस्था-परिवर्तन आदि की बातें नहीं करते थे, बल्कि मनुष्य के स्वभाव, प्रेम, विरह और मनुष्यता की बात करते थे।
Read More »वहाँ पानी नहीं है : दर्द को जुबान देती कविताएँ
‘वहाँ पानी नहीं है’ दिविक रमेश का नवीनतम कविता-संग्रह है। इसके पूर्व इनके नौ कविता-संग्रह आ चुके हैं। ‘गेहूँ घर आया है’ इनकी चुनी हुई कविताओं का प्रतिनिधि संग्रह है। गत वर्ष ‘माँ गाँव में है’ संग्रह आया और बहुचर्चित हुआ। प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह ने दिविक रमेश को वृहत्तर सरोकार का कवि बताते हुए लिखा है कि लेखन के …
Read More »वह लड़की जो मोटरसाइकिल चलाती है
अजमेर। ‘‘हमारी दुनिया में इतने रंग और जटिलताएं हैं कि उन्हें समेटना हो तो कविता करने से सरल कोई तरीका नहीं हो सकता। यह आवश्यक नहीं कि जो आसानी से समझ आ जाए वह अच्छी और जो समझना जटिल हो वह खराब कविता है या इसके विपरीत भी। जो कविता समय की जटिलता को समेटती है वो कविता है। सामाजिक …
Read More »क्यों बदल गई कविता
जसबीर चावला क्यों नहीं झील सी आँखों में डूबती गालों के तिल पर अटकती अधरों जुल्फों में उलझती नहीं टाँकती अब जूड़े मे फूल सहज प्रेम करना भूली क्या कविता बदल गई है कविता गुस्सा गुबार उलाहना बनी है कविता पाखण्ड की परतें उधेड़ रही है ताल ठोंक व्यवस्था के विरुद्ध खड़ी है कटघरे में खड़ा करती उठी उँगली है …
Read More »समझ और सरोकार कविता का हासिल
भोपाल में प्रलेसं के दो दिवसीय कविता शिविर में तमाम प्रतिभागियों ने न केवल अपनी कविता को मांजना सीखा बल्कि कविता और वैचारिकी के रिश्ते को उन्होंने बारीकी से समझा। आपाधापी और जल्दबाजी के इस दौर में जहां ठहरकर सीखने, समझने की प्रक्रिया धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है, प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेसं) की मध्य प्रदेश इकाई ने फरवरी 2017 …
Read More »युग बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती है कविता – प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल
Poetry paves the way for era change – Prof. Shriprakash Shukla संभावना का ‘‘कविता और जीवन’’ विषयक व्याख्यान बनास जन के विशेषांक ‘‘फिर से मीरा’’ का विमोचन डॉ. कनक जैन चित्तौड़गढ़ 13 अक्टूबर। कविता अपने जीवन में सत्ता से हमेशा टकराती है क्योंकि कविता ही वह विधा है जो युग बदलाव की संरचना का मार्ग प्रशस्त करती है। कविता संवेदना …
Read More »साहित्य की दुनिया और विभेदीकरण
साहित्य का मतलब क्या है? | What is meant by literature? साहित्य शब्द सुनते ही हमारे जेहन में जिस तरह की छवि बनती है वह कविता, कहानी और उपन्यास की ही होती है। क्या साहित्य महज यही है या साहित्य की सीमा में और भी विधाएं शामिल होती हैं। साहित्य का अपना क्या चरित्र है और साहित्य व्यापक स्तर पर …
Read More »ताकि बहारें बनी रहे इन फिज़ाओं में, जबकि गेहूँ के खेत में विदेशी घुसपैठ है!
पलाश विश्वास सच की चुनौतियों का सामना करने वाले समझदार लोग ही दुनिया के हालात बदल सकते हैं और अंध भक्तों की फौजों से अगर समता सामाजिक न्याय आधारित समाज की स्थापना हो जाती, तो गौतम बुद्ध के बाद इतना अरसा नहीं बीतता और इतने इतने पुरखों का किया धरा माटी में मिला नहीं होता और हम लोग इस दुनिया …
Read More »कविता की ज़रूरत और कविता के सरोकार
कविता कार्यशाला इन्दौर। म. प्र. प्रगतिशील लेखक संघ की अशोकनगर इकाई ने दिनांक 5-6 अक्टूबर, 2014 को दो दिवसीय कविता कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में नई पीढ़ी के 20 से अधिक कवियों ने भागीदारी की। ये सब ऐसे कवि थे जिनकी कवितायें अभी किसी पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुई हैं। पहले दिन कविता कार्यशाला में भोपाल से आये …
Read More »