विमर्शमूलक विखंडन और कोरी उकसावेबाजी में विभाजन की रेखा बहुत महीन होती है अरुंधति रॉय की किताब ‘एक था डॉक्टर और एक था संत‘, (Arundhati Roy’s book Ek Tha Doctor Ek Tha Sant) की समीक्षा अरुंधति रॉय की किताब ‘एक था डॉक्टर और एक था संत‘, (Arundhati Roy’s book Ek Tha Doctor Ek Tha Sant,) लगभग एक सांस में ही …
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निराशा के कर्तव्य : लोहिया के इस भाषण को बार-बार पढ़ने की दरकार है
डॉ. लोहिया की पुण्य तिथि पर एकजुट हुए समाजवादी व वांमपंथी
Socialist and Leftist united on the death anniversary of DR. Lohia सिंगरौली। बैढन स्थित किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच के कार्यालय पर डॉ. लोहिया की 47 वीं पुण्य तिथि पर रविवार शाम को 4 बजे से एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में डॉ. लोहिया के विचारों और कार्यशैली को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का …
Read More »क्या सचमुच पूँजीवाद के विरोधी थे लोहिया?
लोहिया, आंबेडकर और गाँधी (भाग-2) | Lohia, Ambedkar and Gandhi लोहिया न जाति से ऊपर उठे थे और न धर्म से (यह आलेख रोशन प्रेमयोगी के उपन्यास ‘आजादी: टूटी फूटी’ की समीक्षा नहीं हैं, पर उसके बहाने लोहिया के समाजवाद की आलोचना है।) लोहिया के विचारों को लेकर कुछ सवाल उभरते हैं। मसलन, यह सच है कि सिर्फ संसद में …
Read More »थैंक यू मोदीजी, इस बार तो बच गए डॉ. लोहिया!
हर साल 26 जनवरी January 26 आती है. हर बार पद्म पुरस्कार Padma awards व भारत रत्न Bharat Ratna को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती है. लोग शिकायत करते पाए जाते हैं कि इस शख्स को क्यों दिया गया, उस शख्स को क्यों नहीं दिया गया? गड़े मुर्दे भी खूब उखाड़े जाते हैं. बार-बार की शिकायत दोहराई जाती है कि …
Read More »आज लोहिया होते तो गैर भाजपावाद का आह्वान करते
अगर आज लोहिया होते तो… ‘जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं.’ गैर-कांग्रेसवाद के जनक और समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया का यह कथन आज की सरकारों के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 1960 के दशक में जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकारों के लिए था. लोहिया युग पुरुष थे और ऐसे लोगों का चिंतन …
Read More »वैकल्पिक राजनीति के गुनाहगार- “आप” के पाप
आम आदमी पार्टी (आप) को वैकल्पिक राजनीति की वाहक बताने वालों का दावा शुरू से ही खोखला है। वह हास्यास्पद भी है - क्योंकि ‘आप’ सीधे नवउदारवाद की कोख से पैदा होने वाली पार्टी है। इस पार्टी में सस्ते सत्ता-स्वार्थ की खींचतान के चलते कुछ लोग फिर से वैकल्पिक राजनीति का वास्ता दे रहे हैं। यह पहले से चल रही लबारपंती का एक और विस्तार है।
Read More »जाति और धर्म की राजनीति विरासत में मिली है लोहिया के उत्तराधिकारियों को
लोहिया, आंबेडकर और गाँधी (भाग-3) (यह आलेख रोशन प्रेमयोगी के उपन्यास ‘आजादी : टूटी फूटी’ की समीक्षा नहीं हैं, पर उसके बहाने लोहिया के समाजवाद की आलोचना है।) उपन्यास में जो लोहिया आंबेडकर-गाँधी विवाद को देश तथा समाज की लड़ाई न मानकर दो नेताओं का अन्तर्द्वन्द्व और हितों का टकराव मान रहे थे, वे दलितों की लड़ाई में विरोधी के …
Read More »पं. नेहरू के शिष्य थे डॉ. लोहिया
गरीब आदमी की पक्षधरता की राजनीति की बुनियाद डाली थी नेहरू और लोहिया ने Nehru and Lohia had laid the foundation for the politics of favoritism of the poor. आजकल देश के दो सबसे बड़े राज्यों में डॉ. राम मनोहर लोहिया के अनुयायियों की सरकार है। उत्तर प्रदेश और बिहार के समाजवादी मुख्यमंत्रियों की सरकारें दावा करती पायी जाती हैं …
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