विशेष आलेख गुलामी की पीड़ा : भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रासंगिकता मनोज कुमार झा/वीणा भाटिया “आवहु सब मिल रोवहु भारत भाई हा! हा!! भारत दुर्दशा देखि ना जाई।” ये पंक्तियां आधुनिक हिंदी के प्रवर्तक भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘भारत दुर्दशा’ की हैं। भारतीय नवजागरण और खासकर हिंदी नवजागरण के अग्रदूत के रूप में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने पहली बार अंग्रेजी राज पर …
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हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर कवि वीरेन डंगवाल का लंबी बीमारी के बाद निधन
वीरेन डंगवाल के जाने से हिंदी कविता में एक बड़ा शून्य पैदा हुआ है मुंह के कैंसर से वीरेन डंगवाल ने बेहद लंबी लड़ाई लड़ी नई दिल्ली। हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर कवि वीरेन डंगवाल का आज सुबह बरेली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत वीरेन डंगवाल अपनी शक्तिशाली कविताओं के साथ-साथ अपनी जनपक्षधरता, फक्कडपन …
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