“में कहता हूँ आँखिन देखी” की तर्ज़ पर यह एक पूर्व संघ-कार्यकर्ता कारसेवक की आपबीती है “मैं एक कारसेवक था” (Main Ek Karsewak Tha book by Bhanwar Meghwanshi)। यह किताब उन सब को पढ़नी चाहिए, जो संघ को भीतर से समझना चाहते हैं। ख़ासतौर पर संघ के कार्यकर्ताओं को ! यह क़िताब संगठन निर्माण की उन बारीकियों के बारे में …
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