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राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हिंदू साम्राज्यवादी झंडा कश्मीर और बंगाल में फहराने की तमन्ना

बौद्ध धर्म की आड़ में देश के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं?

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राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा- संघ परिवार के स्वजन मुख्यमंत्री लोकतंत्र विरोधी, राष्ट्रविरोधी ताकतों की शुक्रिया अदा कर रहे हैं

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राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा- राष्ट्रवाद का यह चेहरा क्यों राष्ट्रद्रोही होने लगा है, यह पहेली कोई बूझ लें।

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राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा- संसद में बीमा विधेयक अभी पेश होना है। खनन अधिनियम अभी संशोधित होना है। डील जो क्षत्रपों से हुआ है और देश जो केसरिया है, संघ का विकल्प जो अन्ना ब्रिगेड सत्ता के अंदर बाहर है या जो सत्याग्रह और हिंदुत्व का काकटेल है, कोई विधेयक अब संसद में अटकने वाला नहीं है। खुदरा बाजार जैसे ईटेलिंग है। जैसे निजीकरण निषेध के संकल्प के साथ रेलवे प्राइवेट है जैसे अर्थ व्यवस्था या डाउ कैमिकल्स है या फिर मनसेंटो और इमपैक्ट भोपाल गैस त्रासदी, सिख संहार, बाबरी विध्वंस, गुजरात नरसंहार, केदार जलप्रलय से ज्यादा खतरनाक रेडियोएक्टिव पोलोनियम 210 है, वैसे ही शत प्रतिशत पवित्र गाय देश की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा है जो केसरिया कश्मीर, केसरिया बंगाल, केसरिया पूर्वोत्तर के अलग- अलग आयाम में विधिवत हुस्न के लाख रंग हैं।

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#गीतामहोत्सव मध्ये

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#विकासगाथा हरिकथा अनंत

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हुआ यह है कि लीक बजट पेश होते न होते सरकार का बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का निर्णय अमल में आ गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इस संदर्भ में सोमवार को प्रेस नोट जारी किया। पिछले साल अध्यादेश के जरिये बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने की अनुमति दी गई थी। इसकी जगह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पेश किये जाने की संभावना है।

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केसरिया कारपोरेट सरकार ने संसद की कोई परवाह नहीं की जबकि बजट सत्र का सत्रावसान हुआ नहीं है।

औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के प्रेस नोट के अनुसार, 'सरकार ने बीमा क्षेत्र पर विदेशी निवेश नीति की समीक्षा की है. उसके अनुसार एकीकृत एफडीआई नीति संशोधित की गई है। यह 17 अप्रैल, 2014 से प्रभावी मानी जाएगी।'

मुक्त बाजार में हिंदू साम्राज्यवाद का विजयपताका जब विधर्मी कश्मीर घाटी में फहरा रहा है और इस लोकतंत्र उत्सव के लिए संघ परिवार के स्वजन मुख्यमंत्री लोकतंत्र विरोधी, राष्ट्रविरोधी ताकतों की शुक्रिया अदा कर रहे हैं और हिंदुत्व का अश्वमेध शत प्रतिशत हिंदुत्व के साथ-साथ देश को शत प्रतिशत एफडीआई बना देने पर तुला है, तो विशुद्धता और सनातन मूल्यों को लेकर उसके कंडोम पाखंड की चीरफाड़ भी होनी चाहिए।

एक तरफ तो फतवा है कि धर्मांतरण निषेध कानून हो वरना बंगाल और दूसरे राज्यों में हिंदू कोई रहेगा नहीं, तो दूसरी तरफ हिंदुत्व का यह मुक्तबाजारी कंडोम भी है और इस मुक्त बाजारी कंडोम की चालीस हजारी दौड़ ही राष्ट्रनिर्माण की हरिकथाअनंत है।

जहां बजरंगी उछलकूद दरअसल बेलगाम बुलरन है, मुनाफावसूली है और घर परिवार समाज जीवनयौवन जीवन यापन आजीविका आवश्यकताएं और इंद्रियां तक बाजार के हवाले हैं।

सांढ़ों की सींग से गूंथ गयी है हर गुलाब की खुशबू यहां।

अश्वमेधी घोड़ों के खुरों से बहने लगी हैं तमाम रक्त नदियां और जलस्रोत सारे सूख रहे हैं कि समुंदर और अंतरिक्ष तक परमाणु चूल्हा हैं।

तितलियों के परों में बांध दिये गये हैं परमाणु बम।

आपदाओं और महाआपदाओं को फैशनशो बना दिया गया है।

जनसंहारी नीतियों को अर्थव्यवस्था की सेहत और विकास दर में तब्दील करके इस नर्क में जन्नत का जलवा तामीर किया जा रहा है।

आज जनसत्ता के संपादकीय पेज पर अरविंद कुमार सेन ने लिखा है - बड़ी पूंजी के हित का बजट। यह आलेख जब भी यह आलेख जनसत्ता डाट काम पर उपलब्ध हो, पढ़ जरूर लें।

सेन ने आम बजट में सनहरे सपनों के आख्यान का जबर्दस्त खुलासा किया है। उनके मुताबिक इस बजट ने एक ही पैमाने पर उम्मीद से ज्यादा प्रदर्शन किया है, और वह है विदेशी पूंजी की राह आसान करना। उनके मुताबिक सरकार ने बजट में लोगों की खरीद क्षमता बढ़ाने के उपाय करने के बजाय देशी विदेशी पूंजी के मुनाफा बटोरने की राह आसान करने के जतन किये हैं।

इसी के मद्देनजर कल मैंने लिखाः

कारपोरेट द्वारा, कारपोरेट के लिए, कारपोरेट का बजट

बजट पर हमने लिखा-

डाउ कैमिकल्स का कमरतोड़ बजट

2015/02/28

बचत का यह फंडा फर्जीवाड़ा है, यह बजट शारदा फर्जीवाड़ा का हिंदुत्व संस्करण है-बजट पर प्रतिक्रिया

2015/02/28

UnionBudget2015 बजट में कंपनियों और अमीरों के लिए अरबों डालर का वारा न्यारा

2015/02/28

बजटपेश होने से पहले लिखाः

बजट- पेश होना है जनसंहार की नीतियों का कारपोरेट दस्तावेज

हमने बजट पर अपनी राय आपसे लगातार अर्थव्यवस्था को आम लोगों की रोजमर्रे की जिंदगी के मुकाबले खड़ा करके लिखा है।

इसमें कोई शकोसुबह नहीं है कि बाजार के हिसाब से बिजनेस फ्रेंडली सरकार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है कि सेनसेक्स बीसी तीस चालीस पार होकर पचास हजार तक पहुंच जायेगी। इकानामी तीन ट्रिलियन डालर तक पहुंच जायेगी।

हमारी फिक्र बस इतनी सी है कि इस तीन या दस ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था में चार फीसद के बजाये साढ़े आठ या दस फीसद विकास दर या शून्य वित्तीय घाटा, शून्य राजस्व घाटा, शून्य मुद्रास्फीति और पूंजी के लिए अबाध दरवाजों, कर छूट थोक और घटती ब्याज दरों, लिस्टिंग, निवेश, विनिवेश, निजीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चाक चौबंद इंतजाम में नब्वे फीसद जनगण के भूखे पेट, खाली हाथ के मसले कैसे हल होंगे और सुनहले सपने अच्छे दिनों के हकीकत कब बनेंगे।

हिंदू साम्राज्यवादी झंडा कश्मीर और बंगाल में फहराने की तमन्ना अब राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता नजर आ रहा है। केसरिया हुए बंगाल में बांग्लादेशी राष्ट्रीयता का तूफान उठने लगा है तो संघ परिवार के मुख्यमंत्री खुलेआम पाकिस्तान और अलगाववादी ताकतों की लोकतंत्र में सकारात्मक भूमिका का बारंबार चर्चा करके राजकाज जम्मू से शुरु कर रहे हैं।

दूसरी तरफ हाल यह है कि जिस अफजल गुरु की फांसी के लिए संघ परिवार ने जमीन आसमान एक कर दिया था, उसी संघ परिवार के सत्ता सहयोगी  का धमाल यह कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार गठन के दूसरे दिन ही नया तूफान आ खड़ा हुआ है। एक बार फिर सहयोगी दल भाजपा को ही नहीं बल्कि समूचे देश को लज्जित करते हुए पीडीपी के विधायकों ने केंद्र सरकार से आतंकवादी और संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू के शव के अवशेष मांगे हैं।

राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह फिर एकाकार हो रहा है। राष्ट्रवाद का यह चेहरा क्यों राष्ट्रद्रोही होने लगा है, यह पहेली कोई बूझ लें।

लीक कारपोरेट बजट पेश करने के बाद मौद्रिक कवायद से संघ परिवार का हिंदुत्व बाजार का कायाकल्प कंडोम करने में लगा है और उसकी केसरिया कारपोरेट सरकार मॉनिटरी पॉलिसी बनाने की नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसे लेकर आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच 20 फरवरी को समझौता हुआ है।

पलाश विश्वास

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