जब बहुसंख्यक के ऊपर अल्पसंख्यक के खतरे का हव्वा खड़ा किया जाता है तो वह फासीवाद होता है. मैंने अंग्रेजी में आरएसएस-जमाते इस्लामी पर एक लेख पोस्ट किया है.
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सांप्रदायिकता अंग्रेजों ने फैलाई. मुस्लिम आक्रांता के रूप में प्रवेश किए लेकिन वह जमाना था जब तलवार से सल्तनतें कायम होती थीं, अशोक-समुद्रगुप्त; गोरी-बाबर; ... . क्या आप समुद्र गुप्त के अफगानिस्तान तक सीमा विस्तार के समर्थक हैं? उतना ही जायज मुस्लिम आक्रांताओं का सीमा विस्तार या राज्य की स्थापना है. अंग्रेजों की तरह लूट कर ले नहीं गये यहीं की सर-जमीं में रहे-खपे.
मुगल काल में ही भारत सोने की चिड़िया बना. नए शिल्प आए, तरबूज-खरबूज जैसी तमाम सब्जियों और फल की नई फसलें शुरू हुईं. लेकिन सवाल यह है कि छात्र धर्म वाले इस देश के रणबांकुरे क्या कर रहे थे? क्यों नादिरशाह जैसा कोई चरवाहा 200 घुड़सवारों के साथ पेशावर से बंगाल तक रौंद डालता है?
जिस समाज में शस्त्र और शास्त्र का अधिकार एक अति-सूक्ष्म अल्पसंख्यकों तक सीमित हो; जो समाज अपने बहुसंख्यक कामगार समुदाय को जानवरों से भी बदतर मानता हो और शासक वर्ग आसक्त और ऐय्याश हो उस समाज को हर नादिरशाह रौंद सकता था.
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सांप्रदायिकता की नींव अंग्रेजों ने डाली और उसे हिंदुस्तानी एजेंट मिल गए.
ईश मिश्र
The British laid the foundation of communalism and got Hindustani agents.