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जो लोग कश्मीर के मुद्दे पर चुप हैं वे राष्ट्र-द्रोही हैं - कन्नन गोपीनाथन

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hastakshep
21 Oct 2019
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कश्मीरी अवाम के समर्थन में कैंडल लाइट प्रदर्शन में शामिल हुए आईएएस से इस्तीफ़ा देने वाले कन्नन गोपीनाथन... राजधानी में आईएएस से इस्तीफ़ा देने वाले कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीरी आवाम के मौलिक अधिकारों के हनन पर केंद्र सरकार के रवैये का किया विरोध… कन्नन ने एक बार फिर कहा कश्मीरी अवाम के मौलिक अधिकारों को बहाल करे सरकार.... कश्मीरी अवाम के समर्थन में परिवर्तन चौराहे पर कैंडल लाइट प्रदर्शन में शामिल हुए कन्नन गोपीनाथन

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लखनऊ, 21 अक्टूबर 2019. राजधानी के यूपी प्रेस क्लब में कश्मीर के सवाल को लेकर इस्तीफ़ा देने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन (Kannan Gopinathan, IAS officer who resigned over Kashmir question) ने एनएपीएम, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), लोक राजनीति मंच और रिहाई मंच द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित किया.

वरिष्ठ पत्रकार शहिरा नईम, सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती धुरु और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और अध्यक्षता रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने की.

उत्तर प्रदेश में हो रहे फर्जी एनकाउंटरों को लेकर आजमगढ़ और बाराबंकी के सन्दर्भ में रिपोर्ट भी जारी हुई. इस मौके पर आज़मगढ़ से आए हीरालाल यादव, जो कि अपने भाई जामवंत यादव जो बाराबंकी जेल में बंद है, की सुरक्षा को लेकर मंच के माध्यम से जनता से गुहार लगाई. कश्मीरी अवाम के सर्थन में परिवर्तन चौराहे पर कैंडल लाइट मौन प्रदर्शन कर लखनऊ वासियों ने अपनी एक जुटता ज़ाहिर की. इस मौके पर कन्नन गोपीनाथन भी मौजूद रहे.

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कन्नन गोपीनाथन के कहा कि हम सभी को मिल कर इस लोकतंत्र को बरक़रार रखना होगा और असहमति की आवाज़ों को जिंदा रखना होगा, तभी हम बेहतर देश बना सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ देश की जनता को खड़ा होना चाहिए था, जो नहीं हुआ इसलिए मुझे इस्तीफ़ा देकर संविधान और लोकतंत्र के लिए खड़ा होना पड़ा.

कन्नन ने कहा कि जो लोग कश्मीर के मुद्दे पर चुप हैं वे राष्ट्र-द्रोही हैं क्योंकि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खतरे में है और जो लोग इसके खिलाफ नहीं बोलेंगे वे लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश में शामिल माने जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि उसने कश्मीर में वह किया है जैसे माता-पिता अपने बच्चे को ठीक करने के लिए कड़वी दवा देने का काम करते हैं. किन्तु कड़वी दवा देने के बाद आप उनको रोने भी नहीं दें यह क्या उचित बात है? आज 77 दिन होने को आए हैं जब कश्मीर में पाबंदियां लगी हुई हैं. यदि यही काम हमारे प्रदेश के साथ किया गया होता तो भी क्या हम चुप बैठते? उन्होंने कहा कि शरीर के एक अंग को चोट लगती है तो दूसरें अंग को पता चलता है. किंतु कश्मीर के मामले में लोग गलती कर रहे हैं जो कह रहे हैं कि कश्मीर में क्या हो रहा है उससे उनको कोई मतलब नहीं. यह संकीर्ण सोच असल में राष्ट्र विरोधी सोच है.

उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि हम कश्मीर के लोगों को इस देश का मानते हैं कि नहीं? यदि हम कश्मीर के लोगों के हित की चिंता नहीं करेंगे तो वे पाकिस्तान की तरफ देखेंगे. आज यदि आप सरकार विरोधी कोई बात करिए तो आपको देश विरोधी बता दिया जाएगा. सरकार और देश में अंतर होता है सरकारें तो आती-जाती रहती हैं किंतु देश तो बना रहता है. यह फर्क समझने की बहुत जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व की विचारधारा से जुड़े लोगों का राष्ट्र निर्माण को लेकर एक विचार है जिसके लिए वे लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि इस विचार से जिन लोगों को दिक्कत है क्या वे भी उतना ही काम कर रहे हैं? सिर्फ शिकायत करने से काम नहीं चलेगा. यदि कोई चीज गलत लगती है तो उसे गलत कहना पड़ेगा. राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन बिल पर उन्होंने कहा कि बजाए अपने-अपने दस्तावेजों को जुटाने के चक्कर में ऐसी प्रक्रिया जिसमें धर्म के आधार पर भेदभाव हो को हमें नकार देना चाहिए.

कार्यक्रम में सृजन योगी आदियोग, डॉ एम डी खान, शकील कुरैशी, शबरोज़ मोहम्मदी, वीरेन्द्र कुमार गुप्ता, अबू अशरफ़ ज़ीशान, प्रदीप पाण्डेय, सचेन्द्र यादव, गोलू यादव, बाकेलाल यादव, फैसल, कलीम खान, डॉ मज़हर, शरद पटेल, गौरव सिंह, गंगेश, इमरान, नदीम, सरफ़राज़, के के शुक्ला, रुक्शाना, रुबीना, जीनत, डॉ. एस आर खान, दुर्गेश चौधरी, राजीव ध्यानी, परवेज़, अमित अम्बेडकर, वीरेन्द्र त्रिपाठी, एहसानुल हक मालिक, रीना, तारिक दुर्रानी, अजय शर्मा, आसिफ बर्नी, के के वत्स, अभिषेक पटेल, वैभव यादव.  फैसल खुर्रम, ताबिश खान, गुफरान सिद्दीकी, मोहम्मद आसिफ़, रफ़ीक सुल्तान, शालिनी, मनोज यादव, हमीदा, दीक्षा द्विवेदी, राम कुमार, नदीम अहमद, राजू गुप्ता, अधिवक्ता संतोष सिंह आदि मौजूद रहे.

Those who are silent on the issue of Kashmir are anti-national - Kannan Gopinathan

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