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भारत की अभी क्या स्थिति है (What is the situation of India), इसे आज के ‘टेलिग्राफ़’ (Telegraph India) की ख़बरों से जाना जा सकता है। चारों ओर झूठ और धोखाधड़ी का ऐसा साम्राज्य हो गया है कि देश की सभी सर्वोच्च और पवित्र माने जाने वाली संस्थाएँ पूरी तरह से कलंकित दिखाई देने लगी है।
-अरुण माहेश्वरी
‘टेलिग्राफ़’ में सबसे पहली ख़बर तो चुनाव आयोग के बारे में है। ‘अचरज है चुनाव आयोग और उसका धीरज’ (The wonder that is EC and its patience)। इस रिपोर्ट में पूरे विस्तार से बताया गया है कि कैसे चुनाव आयोग प्रधानमंत्री और अमित शाह के चुनावी प्रचार में किये जा रहे कदाचारों की शिकायतों को दबा कर सीधे तौर पर इनके दलालों की भूमिका अदा करने लगा है।
https://epaper.telegraphindia.com/imageview_266518_154711754_4_undefined_25-04-2019_1_i_1_sf.html
प्रथम पृष्ठ की ही दूसरी दिलचस्प ख़बर है नरेन्द्र मोदी की - ओबामा से उनकी लंगोटिया यारी की, जिसे उन्होंने अक्षय कुमार (Akshay Kumar) को बताया है। इसमें ओबामा मोदी से पूछ रहा है - (अबे) तूने क्या पहना है ?
मोदी ने अक्षय के सामने यह हांका था कि ओबामा से उसके आपस में ‘तू तड़ी’ करके बुलाने का संबंध है।
अंग्रेज़ी में तो ‘तू’ का कोई शब्द नहीं है, इसीलिये मोदी की माने तो कहना होगा - वे मोदी से हिंदी में बात करते हैं !
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बहरहाल, इसमें तीसरी ख़बर है सेना के पूर्व अधिकारियों के राष्ट्रपति के नाम लिखे पत्र से एएनआई चैनल के द्वारा की गयी छेड़-छाड़ की। अर्थात् मीडिया के पतन (Collapse of media) की। यह पत्र मोदी के द्वारा चुनाव में सेना के राजनीतिकरण के बारे में था।
एएनआई चैनल की संपादक वही स्मिता प्रकाश है जिसने इसके पहले मोदी के पक्ष में ऐसे ही विकृतिकरण के अनेक कारनामें किये हैं। सेना के इन अधिकारियों ने स्मिता प्रकाश की इस शैतानी के ख़िलाफ़ एएनआई के सहभागी रायटर्स को लंबा पत्र लिख कर इस महिला पत्रकार की अनैतिकताओं को पेश किया है। ‘टेलिग्राफ’ ने जब उससे उसकी इन करतूतों का जवाब माँगा तो उसके पास सफ़ाई का एक शब्द नहीं था। फ़ोन पर सिर्फ इतना कहा कि मैं इस पर कुछ नहीं कहूँगी।
https://www.telegraphindia.com/india/veterans-write-to-reuters-about-ani-s-report/cid/1689378
‘टेलिग्राफ’ के इसी प्रथम पृष्ठ की चौथी बड़ी ख़बर सुप्रीम कोर्ट के बारे में है।
सुप्रीम कोर्ट तो मोदी के चक्कर में अभी किसी दलदल से कम बुरी जगह नहीं लगती है। जैसे वहाँ सब कुछ सड़ चुका है। मुख्य न्यायाधीश पर कामुक हरकतों का एक आरोप है जिस पर अब तक सही ढंग से जाँच ही नहीं हुई है कि इसी बीच एक और सनसनीख़ेज़ मामला उत्सव बैंस नाम के वकील ने तैयार कर दिया है। बिल्कुल संघी कुत्सित साज़िशों की तरह इस व्यक्ति ने बाक़ायदा एफिडेविट के साथ यह कहानी पेश की है कि मुख्य न्यायाधीश को फँसाने के लिये कितने बड़े स्तर पर एक साज़िश रची जा रही है। और सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए देश की सभी जाँच एजेंसियों के प्रमुखों को इसकी तह में जाने के काम में लगा दिया है। इन दोनों मामलों में ही न्यायाधीश अरुण मिश्रा शामिल है जिन्हें कुछ समय पहले तक मोदी-शाह से जोड़ कर देखा जा रहा था।
इस प्रकार, जिन जांच एजेंसियों को मोदी पहले ही भ्रष्ट कर चुके हैं, अब वे एक सर्वोच्च स्तर की साज़िश के सनसनी मामले की जाँच का नया खेल शुरू करेगी !
कुल मिला कर, मोदी कंपनी ने देश में चारों ओर झूठ और विश्वासघात की जो गंदगी फैला दी है, ऐन चुनाव के पहले वह किस प्रकार बुरी तरह से बजबजाने लगी है, आज के ‘टेलिग्राफ़’ का पहला पृष्ठ इसकी पूरी गवाही देता है। पूरे अख़बार में इनकी विस्तृत ख़बरों को पढ़ कर कोई भी भला आदमी सिहर उठेगा।