सरदार उधम सिंह (26 दिसम्बर 1899 — 31 जुलाई 1940)
Udham Singh was a great nationalist and socialist revolutionary
31 जुलाई को शहीद-ए-आज़म उधम सिंह का शहादत दिवस था. इसी दिन 1940 में उन्हें इंग्लैण्ड में फांसी दी गयी थी, क्योंकि उन्होंने पंजाब के पूर्व गवर्नर माइकल ओडवायर को जनरल डायर द्वारा जलियांवाले बाग़ में किये गए जनसंहार को उचित ठहराया था, की गोली मार कर हत्या की थी।
उधम सिंह के पिता का नाम चूहड़ राम था जो उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटिआली गाँव के निवासी थे तथा जाटव (चमार) जाति के थे। वह काम की तलाश में पटियाला (पंजाब) चले गए थे। वहां पर उन्होंने सिख धर्म अपना लिया था और उन का नाम टहल सिंह हो गया था। वहीँ पर 26 दिसंबर, 1899 को उधम सिंह का जन्म हुआ था।
5-6 वर्ष की आयु में ही उधम सिंह के माता पिता का देहांत हो गया था। अनाथ हो जाने पर उधम सिंह और उन के भाई अमृतसर में अनाथालय में चले गए। वहीँ उन की शिक्षा दीक्षा हुयी। वहीँ उधम सिंह ने जलियाँ वाले बाग़ में 13 अप्रैल , 1919 को जनरल डायर द्वारा किये गए जनसंहार को अपनी आँखों से देखा था और उन्हों ने उसी वक्त इस का बदला लेने की शपथ खायी थी।
उधम सिंह, भगत सिंह की क्रांतिकारी गतिविधियों से बहुत प्रभावित थे। वह भगत सिंह को अपना करीबी दोस्त मानते थे। इसी लिए वह भगत सिंह को फांसी दिए जाने के बाद अक्सर यह कहते थे कि मेरा दोस्त मुझे छोड़ कर चला गया है। मुझे जल्दी जा कर उस से मिलना है। इसी लिए उन्हों ने 13 मार्च, 1940 को माइकल ओडवायर को कैक्सटन हाल में गोली मार दी थी।उधम सिंह यद्यपि दलित सिख थे, परन्तु वह किसी एक धर्म को नहीं मानते थे। इसी लिए उन्हों ने अपना नाम राम मोहमद आज़ाद रख लिया था। अदालत में मुकदमे के दौरान उन्हों ने ईश्वर की शपथ लेने के स्थान पर “हीर ” वारिस शाह जो कि’ हीर- रांझा ” का प्रेम किस्सा है, की शपथ ली थी।
आखिरकार कत्ल के मामले में उधम सिंह को फांसी की सजा हुयी और 31 जुलाई 1940 को उसे फांसी हो गई।
उधम सिंह एक महान राष्ट्रवादी और समाजवादी क्रांतिकारी थे।
पंजाब में कम्बोज लोग उधम सिंह के कम्बोज होने का दावा करते हैं. उन्होंने इस बात को सुनाम (पटियाला) में उसके घर लगाये गए बोर्ड में भी लिखी है।
एस आर दारापुरी
Udham Singh, was a revolutionary belonging to the Ghadar Party best known for his assassination in London of Michael O’ Dwyer, the former lieutenant governor of the Punjab in India, on 13 March 1940. The assassination was in revenge for the Jallianwala Bagh massacre in Amritsar in 1919.
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