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गम्भीर समस्या है बचपन का मोटापा, स्कूल ऐसे कर सकते हैं बच्चों की मदद

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hastakshep
17 Sep 2019
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एक खबर के मुताबिक भारत में लगभग तीन करोड़ लोग मोटापे से पीड़ित हैं, लेकिन बचपन का मोटापा इधर नई समस्या बनकर उभरा है। बचपन का मोटापा (childhood obesity) एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में हर 5 में से एक स्कूली बच्चे को प्रभावित करता है। आनुवांशिकी और अन्य कारक बचपन के मोटापे में योगदान करते हैं। उस वातावरण, जहां बच्चे रहते हैं, सीखते हैं, और खेलते हैं, में बदलाव करके उन्हें स्वस्थ वजन प्राप्त करने और बनाए रखने में मदद की जा सकती हैं।

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अधिकांश बच्चे स्कूल में प्रतिदिन औसतन 6 से 7 घंटे बिताते हैं, जो उनके जागने के घंटों का एक बड़ा हिस्सा है। इसीलिए, बचपन के मोटापे को रोकने के लिए स्कूल एक प्राथमिकता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, मोटापे से प्रभावित बच्चों और किशोरों का प्रतिशत 1970 के दशक से तीन गुना अधिक हो गया है।

2015–2016 के आंकड़ों से पता चलता है कि संयुक्त राज्य में 6 से 19 वर्ष की आयु के हर 5 में से एक बच्चे और युवा में मोटापे की समस्या है।

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अमेरिकी सरकार के स्वास्त्य विभाग के जनसंख्या स्वास्थ्य विभाग, जीर्ण रोग निवारण और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (Division of Population Health, National Center for Chronic Disease Prevention and Health Promotion) पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक

कई कारक बचपन के मोटापे में योगदान करते हैं, जिनमें प्रमुख हैं :

जेनेटिक्स (Genetics);

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मेटाबॉलिज्म (Metabolism)- आपका शरीर भोजन और ऑक्सीजन को ऊर्जा में कैसे बदलता है इसका उपयोग कर सकता है;

भोजन और शारीरिक गतिविधि व्यवहार (Eating and physical activity behaviors);

समुदाय और पड़ोस की डिजाइन और सुरक्षा;

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कम नींद (Short sleep duration);

बचपन की नकारात्मक घटनाएं (Negative childhood events)।

आनुवंशिक कारकों को बदला नहीं जा सकता है। हालांकि, लोग और स्थान बच्चों को स्वस्थ वजन हासिल करने और उसे बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। उन स्थानों जहाँ युवा अपना समय बिताते हैं - जैसे घर, स्कूल, और कम्युनिटी के वातावरण में परिवर्तन करके युवाओं को पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना और शारीरिक रूप से सक्रिय होना आसान हो सकता है। स्कूल उन नीतियों और प्रथाओं को अपना सकते हैं जो युवा लोगों को अधिक फल और सब्जियां खाने में मदद और अतिरिक्त शर्करा या ठोस वसा में उच्च  खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों के सेवन में कमी करके और दैनिक गतिविधि को बढ़ाते हैं। इस प्रकार के स्कूल-आधारित और बाद के स्कूल कार्यक्रम और नीतियां (school-based and after-school programs and policies) लागत-प्रभावी और यहां तक कि लागत-बचत (cost-effective and even cost-saving) भी हो सकती हैं।

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स्कूलों में मोटापे पर ध्यान देना Addressing Obesity in Schools

What can be done at school to address childhood obesity

बचपन के मोटापे के प्रति स्कूलों में एक व्यापक दृष्टिकोण खासकर प्राथमिक और मध्य विद्यालय के छात्रों के लिए सर्वाधिक प्रभावी है। वैज्ञानिकों को इस बारे में कम पता है कि किशोरों के लिए स्कूल-आधारित मोटापा निवारण दृष्टिकोण का क्या प्रभाव है।

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एक व्यापक दृष्टिकोण (comprehensive approach) का मतलब है स्कूलों में पोषण और शारीरिक गतिविधि को संबोधित करना व माता-पिता, देखभाल करने वालों और अन्य समुदाय के सदस्यों (जैसे, बाल रोग विशेषज्ञों, स्कूल के बाद के कार्यक्रम प्रदाताओं) को शामिल करना। इस तरह के दृष्टिकोण का उद्देश्य सभी छात्रों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सहायता करना है। यह दृष्टिकोण छात्रों को उनके वजन की स्थिति या शरीर के आकार के अनुसार सिंगल आउट नहीं करता है।

छात्रों को मोटापे से संबंधित शर्मिंदगी से बचाने के लिए स्कूलों को न तो शारीरिक दिखावे पर जोर नहीं देना चाहिए और न मोटापे के बारे में नकारात्मक रूढ़ियों को मजबूत करना चाहिए।

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