क्या है जलवायु परिवर्तनऔर क्या है स्वास्थ्य व नागरिक सुविधाओं पर इसका प्रभाव
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What is the climate change
पिछले पचास वर्षों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रकृति के साथ जबर्दस्त खिलवाड़ किया है। दरअसल जिसे हम विकास कह रहे हैं, वह प्रकृति के लिए विनाश साबित हो रहा है और कुल मिलाकर इस विकास की कीमत पूरी दनिया के प्राणियों, जल, वायु और मौसम को चुकानी पड़ रही है।
बिजली उत्पादन के लिए कोयला का प्रयोग, जीवाश्म ईंधन का अंधाधुंध उपयोग ने भारी संख्या में कार्बन डाई ऑक्साइड और ग्रीनङउस गैसों का उत्पादन किया है, जिसके चलते वैश्विक जलवायु प्रभावित हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक फैक्ट शीट के मुताबिक पिछले 130 वर्षों में मनुष्य ने दुनिया को लगभग 0.85 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया है। इसके चलते सागर का स्तर बढ़ा है, हिमनद पिघल रहे हैं, और वर्षा का पैटर्न बदल रहा है। मौसम के परिवर्तन की अत्यधिक घटनाएं घटित हो रही हैं।
वैश्विक स्तर पर 1960 के बाद से मौसम संबंधित प्रकृतिक आपदाओं में तीन गुना वृद्धि हुई है। डब्ल्यूएचओ की फैक्टशीट के मुताबिक इन आपदाओं में प्रति वर्ष 60,000 से ज्यादा मौतें हुईं हैं, खासकर विकासशील देशों में।
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Responsibility of government or the citizens to control climate change
जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए नागरिकों और सरकार दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
समुद्र के बढ़ते जलस्तर और तेजी से घटित होती मौसम की घटनाओं का स्वास्थ्य और अन्य जरूरू सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इतना ही नहीं समुद्र तल का स्तर बढ़ने से धरती पर जनसंख्या घनत्व बढ़ेगा, जो कि नई तरीके की आर्थिक परेशानियों को भी बढ़ाएगा, क्योंकि दुनिया की लगभग आधी आबादी समुद्र के 60 किलोमीटर के दायरे में रहती है। जाहिर है समुद्र का जल स्तर बढ़ने पर समुद्र तट के नजदीक रहने वाले लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर होंगे, जिसका सीधा प्रभाव दुनिया की अर्थव्यवस्था, नागरिक सुविधाओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा।
First Global Conference on Air Pollution and Health
संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की जलवायु परिवर्तन पर हाल में जारी की गई नवीनतम रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि वैश्विक तापमान उम्मीद से अधिक तेज गति से बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन में समय रहते कटौती के लिए कदम नहीं उठाए जाते तो इसका विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। आईपीसीसी ने वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो के बजाय 1.5 डिग्री से. रखने पर जोर दिया है।
इस वर्ष डब्ल्यूएचओ वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पहला वैश्विक सम्मेलन आगामी 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 2018 को आयोजित करेगा ताकि सरकारों और भागीदारों को वायु गुणवत्ता में सुधार और जलवायु परिवर्तन में सुधार के वैश्विक प्रयासों में एक साथ लाया जा सके।
पेरिस समझौते की समीक्षा के लिए इस वर्ष दिसंबर में पोलैंड में दुनिया भर के नेता एकत्रित होंगे। ग्लोबल वार्मिंग के लिए वायु प्रदूषण भी एक जिम्मेदार कारक है।