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Whom is Rajnath Singh attacking with a nuclear bomb? To Pakistan or Modi-Shah?
भारत के “कड़ी निन्दा मंत्री” माफ कीजिएगा भारत के रक्षा मंत्री माननीय राजनाथ सिंह ने हाल ही में कह दिया कि ‘भारत की परमाणु नीति’ ‘नो फर्स्ट यूज’ ('India's nuclear policy' 'no first use') की है। लेकिन भविष्य में इसे लेकर क्या होगा यह तत्कालीन परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।’
यूं तो राजनाथ सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं (नरेंद्र मोदी और अमित शाह से भी वरिष्ठ) लेकिन उनके इस बयान को लेकर मीडिया द्वारा शौर्य वक्तव्य बताकर हल्ला-गुल्ला मचाने के बावजूद वैसा उन्माद पैदा नहीं हुआ, जैसा कि मोदी-शाह की जोड़ी कर सकती है। न तो भारत के नाकारा विपक्ष ने ये सवाल उठाया कि इतना बड़ा कूटनीतिक वक्तव्य देने से पहले क्या राजनाथ सिंह ने देश के अंदर कोई आम सहमति बनाई और न सरकार की तरफ से राजनाथ सिंह के समर्थन में कोई लामबंदी हुई, लिहाजा राजनाथ सिंह का परमाणु बम “कड़ी निन्दा” की तरह पुनः फुस्स पटाखा साबित हुआ।
राजनाथ सिंह का यह विस्फोटक बयान लगभग ऐसे वक्त आया जब संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि शिमला समझौते का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे और बहुत सलीके से भारत के खिलाफ पाकिस्तान की रणनीति की अंतर्राष्ट्रीय पटल पर हवा निकाल रहे थे। हालांकि राजनाथ सिंह, पढ़े-लिखे और अपने नेताओं मोदी-शाह के मुकाबले ज्यादा ज्ञानवान और संयत् समझे जाते हैं, लेकिन ऐसा बयान देते वक्त वह कोई भूल कर गए या अपने ही नेताओं पर सर्जिकल स्ट्राईक कर रहे थे, यह समझ से परे है, क्योंकि सिंह साहब मोदी 2.0 में काफी तनावग्रस्त मालूम पड़ते हैं, तो हो भी सकता है उनकी मंशा पाकिस्तान को डराने की कम अपने ही नोताओं पर सर्जिकल स्ट्राईक की ज्यादा रही हो।
मजे की बात यह है कि नाभिकीय अप्रसार और नाभिकीय नि:शस्त्रीकरण पर आयोजित सुरक्षा परिषद की शिखर बैठक (Security Council summit held on nuclear non-proliferation and nuclear disarmament) के संबंध में भारत के दृष्टिकोण और संदर्शों का उल्लेख करते हुए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को संबोधित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि का सितम्बर 24, 2009 को लिखा गया पत्र भारत के विदेश मंत्रालय की वेब साइट (Web site of Ministry of External Affairs of India) पर उपलब्ध है, जिसमें कहा गया है कि
“हम नाभिकीय परीक्षणों पर स्वैच्छिक और एकपक्षीय स्थगन जारी रखने के प्रति वचनबद्ध हैं। हम नाभिकीय शस्त्रों की होड़ सहित किसी भी प्रकार के शस्त्रों की होड़ में शामिल नहीं हैं। हमने अपने सामरिक स्वायत्तता के संबंध में हमेशा ही वैश्विक जिम्मेदारियों के अनुरूप कार्य किया है। हम नाभिकीय शस्त्रों का प्रथम प्रयोग नहीं करने संबंधी अपनी नीति की भी पुष्टि करते हैं।”
परमाणु हथियारों पर 'नो फर्स्ट यूज़' नीति भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की बनाई हुई है। अटल जी ने कहा था कि हम इन हथियारों का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ आक्रमण के लिए नहीं करना चाहते। ये आत्मरक्षा के हथियार हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत को कोई नाभिकीय धमकी न देने पाए।
हालांकि राजनाथ सिंह पहले ऐसे भाजपाई नहीं हैं जिन्होंने परमाणु बम पर ऐसा विस्फोटक बयान दिया है। इसी तरह का बयान तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी वर्ष 2016 में दिया था, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय को सफाई देनी पड़ी थी कि यह पर्रिकर का व्यक्तिगत बयान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव प्रचार में कह चुके हैं कि हमने भी परमाणु बम क्या दीवाली पर फोड़ने के लिए रखे हुए हैं। लेकिन चुनाव में नरेंद्र मोदी बहुत कुछ कहते हैं जिसका न कोई सिर होता है न पैर, लिहाजा उनके उस वक्तव्य को घर में घुसकर मारने जैसा ही चुनावी जुमला समझा गया और अंतर्राष्ट्रीय फलक पर चर्चा नहीं हुई। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की नाजुक स्थिति के समय, जब पाकिस्तान हमारे खिलाफ अनर्गल प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, राजनाथ सिंह का ऐसा वक्तव्य मुसीबत बन सकता है बशर्ते राजनाथ सिंह वास्तव में पाकिस्तान को डरा रहे हों।
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राजनाथजी के बयान का इस्तेमाल अब पाकिस्तान खुद को विक्टिम और भारत को आक्रांता बताने के लिए कर सकता है और उसने इस पिच पर बैटिंग करना शुरू कर भी दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जब पिछले शनिवार को मीडिया से बात कर रहे थे, तो उन्होंने कहा कि ‘परमाणु हथियारों पर दिए गए भारतीय रक्षा मंत्री के बयान का अर्थ और समय बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह भारत के गैर जिम्मेदाराना और युद्ध समर्थक रवैये को दर्शाता है।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, कि ‘पाकिस्तान न्यूनतम परमाणु प्रतिरोधी क्षमता बरकरार रखेगा।’
यानी अभी तक हम, जो पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र कहा करते थे वही पाकिस्तान, अब राजनाथ सिंह के पहलू में छिपकर भारत को युद्ध समर्थक और खुद को पीड़ित बता रहा है, साथ ही धमकी भी दे रहा है कि उसके भी परमाणु बम तैयार हैं। वो तो गनीमत है कि राजनाथ सिंह की बातों को न तो भारत सरकार और न ही दुनिया गंभीरता से लेती है, वरना ऐसा विस्फोटक बयान भारत के लिए एक मुसीबत बन सकता था।
इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हमने उन पं. नेहरू को भुला दिया जिन्होंने पंचशील और गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत देकर भारत को सारी दुनिया में सम्मान दिलाया। इसीलिए जब प्रेस कांफ्रेस में शाह महमूद कुरैशी कह रहे थे कि “नरेंद्र मोदी और उनकी अगुवाई वाली सरकार ने पंडित नेहरू के भारत को ‘दफन’ कर दिया है। अब भारत की नीति ‘डोभाल डॉक्ट्रीन (सिद्धांत)’ के इर्द-गिर्द घूम रही है,“ तब वह केवल भारत पर तंज ही नहीं कस रहे थे बल्कि सचेत भी कर रहे थे कि जिन्नाह-सावरकर के जिस सिद्धांत पर चलते हुए 70 सालों में पाकिस्तान का जो हश्र हुआ है, वही हश्र भारत का भी होगा अगर वो नेहरू का रास्ता छोड़कर जिन्नाह-सावरकर के रास्ते पर चलेगा (जो वो मोदी-शाह की अगुआई में चल भी पड़ा है)।
अमलेन्दु उपाध्याय
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक व टीवी पैनलिस्ट हैं।)