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मोदी को अपनी नीच जाति का इल्हाम यूपी-बिहार के चुनाव में ही क्यों हुआ ?

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सही अर्थों में पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ना पड़ेगा मीडिया की आज़ादी को

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Why did Modi become aware of his low caste only in UP-Bihar elections?

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नई दिल्ली, 8 मई। जनता दल यू के अध्यक्ष, शरद यादव ने कहा है कि देश की बहुत सारी मीडिया कंपनियों ने दोनों ही बड़ी पार्टियों से थैली पकड़ ली है।  कहते हैं कि इसी कारण से भाजपा की मर्ज़ी के हिसाब से ख़बरों को छापा जाता है और उसका प्रसारण किया जाता है। उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिये बनारस के बेनियाबाग में सभा करने की अनुमति न मिलने पर चुनाव आयोग के खिलाफ़ भाजपा नेताओं के धरने की निन्दा की और कहा कि वे भी बनारस गये थे और उनको भी सभा करने की अनुमति नहीं मिली थी लेकिन चुनाव आयोग जैसी एक निष्पक्ष संस्था के खिलाफ़ धरने पर बैठने की कोई ज़रूरत नहीं थी। उन्होंने मीडिया कंपनियों, खासकर टेलिविजन चैनलों की आलोचना की और कहा कि भाजपा की मर्ज़ी की ख़बरें छापने का कोई औचित्य नहीं है।

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शरद यादव की आज की प्रेस वार्ता लगभग पूरी तरह से नरेन्द्र मोदी के तथाकथित झूठे बयानोँ और मीडिया कंपनियों के मालिकों को समर्पित था। उन्होंने कहा कि चुनाव सर्वे के नाम पर टी वी चैनल उन पार्टियों का प्रचार करते हैं जो उनको पैसे देते हैं।

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उन्होंने कहा कि मीडिया के मालिकों की कृपा से नरेन्द्र मोदी के पक्ष में जो हवा बनायी गयी थी, उसकी पोल खुल चुकी है और अब भाजपा वाले ज़मीन पर आ गये हैं। इसीलिये चुनाव आयोग जैसी स्वतन्त्र संस्था के खिलाफ़ अभियान चला रहे हैं और मीडिया उनको गैर वाज़िब प्रचार दे रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया की स्वतन्त्रता आज वास्तव मे मालिको की स्वतंत्रता हो गयी है। मीडिया की आज़ादी को सही अर्थों में पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ना पड़ेगा। आज की स्थिति बहुत खराब है क्योंकि मीडिया के नाम पर पूंजीपति सरकारों से लाभ ले रहे हैं , चुनाव के दौरान सभी पार्टियों से पैकेज ले रहे हैं और जनता को राजनीतिक सच्चाई से गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने फिर कहा कि मीडिया समूहों में काम करने वाले पत्रकार ईमानदार हैं। लेकिन उनको मालिक बेवजह नौकरी से निकाल देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पत्रकारों की भर्ती और बर्खास्तगी की घटनायें बहुत ज़्यादा होती हैं।

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शरद यादव ने कहा कि अगर मीडिया कम्पनियां सही अर्थों मे निष्पक्ष हो जाएँ तो चुनाव सुधार क लक्ष्य साठ प्रतिशत से ज़्यादा हासिल कर लिया जाएगा। लेकिन इसके लिए मालिकों की नहीं पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा को सुनिश्चित करना पड़ेगा। शरद यादव ने कहा कि वे घंटों भाषण करते हैं लेकिन उसमें से एकाध वाक्य निकलाकर उसका अर्थ का अनर्थ करके छाप दिया जाता है। बताने लगे कि पिछले दिनों उनके हवाले से खबर छपी थी कि उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार को जातिवादी करार दिया था। यह बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने की घटना है।

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उन्होंने प्रियंका गांधी के नीच राजनीति वाले मामले भी ज़िक्र किया और आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी ने उसको बिल्कुल गलत तरीके से उठाया।

उन्होंने इस बात पर भी एतराज़ जताया कि नरेन्द्र मोदी अपने आपको एकाएक पिछड़ी जाति का बताने लगे हैं। श्री यादव ने नरेन्द्र मोदी को याद दिलाया कि पिछड़ों के उत्थान राजनीतिकरण बहुत आसान नहीं है और वह नरेन्द्र मोदी के बस की बात नहीं है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया ने पिछड़ी जातियों की राजनीति की थी और उनके उत्थान की बात की थी। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पूरा जीवन पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिये लगा दिया। नरेंद्र मोदी को तो उसकी समझ भी नहीं है।

शरद यादव ने धमकी दी कि नरेन्द्र मोदी की जाति के कुछ लोगों को एक दिन प्रेस के सामने बैठा देंगे और साबित कर देंगे कि नरेंद्र मोदी पिछड़ी जाति के नहीं हैं। बार-बार कहते रहे कि नरेंद्र मोदी को अपनी नीच जाति का इल्हाम उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावों के लिए ही क्यों हुआ।

शेष नारायण सिंह

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