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अब ओमिक्रॉन का डर (Omicron fears now)
देशबन्धु का संपादकीय
कोरोना की दूसरी लहर से बेहाल, निढाल हो चुके देश को पिछले कुछ महीनों से राहत मिलती दिख रही है। कोरोना से संक्रमितों और मृतकों की गिनती (Counting of corona infected and dead) में कमी आ रही है, अस्पताल के बाहर लंबी कतारें नहीं हैं, न ही रोजाना ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग को लेकर हाहाकार (Outcry over demand for oxygen cylinder) है। देश में लॉकडाउन नहीं है, बहुत से कार्यालय, संस्थान खुल चुके हैं। लोगों की आवाजाही बढ़ गई है, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं। टीकाकरण भी हो ही रहा है। कुल मिलाकर जनजीवन पटरी पर लौट रहा है और इससे उम्मीद बंधी है कि अब देश को आर्थिक रूप से भी थोड़ा संभलने का मौका मिलेगा। लेकिन अब कोरोना के नए रूप ने एक बार फिर डर की दस्तक दे दी है। इस नए रूप का नाम है ओमिक्रान।
ओमिक्रॉन : वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे तकनीकी शब्दावली में 'चिंता वाला वेरिएंट' (वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न/वीओसी- variant of concern) बताते हुए इसे 'ओमिक्रॉन' नाम दिया है। इस वेरिएंट के पहले मामले की जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से मिली थी। इसके अलावा बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग और इज़रायल में भी इस वेरिएंट की पहचान हुई है।
इस वेरिएंट के सामने आने के बाद दुनिया के कई देशों ने दक्षिणी अफ्रीका से आने-जाने पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया है। अमेरिका और ब्रिटेन के साथ-साथ यूरोपीय संघ के देशों और स्विट्ज़रलैंड ने भी कई दक्षिणी अफ्रीकी देशों से आने-जाने वाले विमानों पर अस्थायी रोक लगा दी है। जापान, ईरान, ब्राजील आदि देशों ने भी द.अफ्रीका से आने वाले यात्रियों के लिए नियम सख्त कर दिए हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने जल्दबाज़ी में यात्रा प्रतिबंध लगाने वाले देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि इन देशों को 'ख़तरों को देखकर वैज्ञानिक नज़रिया' अपनाना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने कहा है कि उनके देश से आने-जाने वाले विमानों पर लगाए गए ये प्रतिबंध 'अनुचित' हैं। उन्होंने कहा कि आवाजाही पर लगाए गए ये प्रतिबंध डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानदंडों और मानकों के पूरी तरह खिलाफ़ हैं।
कोरोना के नए वेरिएंट मिलने की खबर से दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में घबराहट (Panic in the stock markets around the world due to the news of getting new variants of Corona)
वैसे कोरोना के नए वेरिएंट मिलने की ख़बर (News of getting new variants of Corona) से दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में शुक्रवार को तेज़ गिरावट दर्ज की गई है। जब भी इस तरह की कोई आपात स्थिति बनती है तो उसका सीधा अर्थव्यवस्था पर पड़ता ही है और शेयर बाजार में तो लोगों की डर और मजबूरी का फायदा उठाकर ही लाभ कमाया जाता है। इसलिए ओमिक्रॉन पर डर का माहौल बनाने से पहले डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक नजरिया वाली बात पर भी गौर करना चाहिए। इस साल की शुरुआत में बीटा वेरिएंट भी चिंता का कारण बना था क्योंकि ये प्रतिरक्षा तंत्र से बच निकलने में ज़्यादा माहिर था। लेकिन बाद में डेल्टा वेरिएंट पूरी दुनिया में फैल गया और बड़ी परेशानी का कारण बना। अब ओमिक्रॉन क्या असर डालता है, यह कुछ दिनों में पता चल ही जाएगा।
दुनिया की बुनियादी व्यवस्था को ही हिलाकर रख दिया कोरोना ने
कोरोना ने दुनिया की बुनियादी व्यवस्था और ढांचे को ही हिलाकर रख दिया है। मनुष्य सामाजिक प्राणी होते हुए भी समाज से कटकर रहने पर मजबूर कर दिया गया है। कोरोना काल में सावधानियों की आड़ में सरकारों को मनमाने फैसले लेने और निरंकुश शासन करने की छूट मिल गई। दुनिया को जान का डर बतलाकर न जाने कितने ऐसे फैसले ले लिए गए होंगे, जिनका प्रभाव हमारी भावी पीढ़ियों पर पड़ेगा। दमनकारी कानूनों के बेजा इस्तेमाल से लेकर दवाओं का मनचाहा प्रयोग इंसानी जीवन पर किया गया और इंसान जान बचाने की खातिर इन प्रयोगों के आगे नतमस्तक होता रहा।
भारत में लॉकडाउन (Lockdown in India) से लेकर ताली-थाली बजाने, दीए जलाने और टीकोत्सव मनाने जैसे काम सरकार ने किए। इसके बावजूद अकाल मौतों का दर्द आम जनता को सहना पड़ा। अब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि दुनिया में कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर चिंता (Concerns about new variants of Corona) जताई जा रही है। ऐसे में हमें सावधान रहने की जरूरत है।
संसद में नरेंद्र मोदी ने कहा (Narendra Modi said in Parliament) कि पिछले सत्र के बाद कोरोना की विकट स्थिति में भी देश ने 100 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लगाए हैं। इस दिशा में हम और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट की खबरें हमें और सतर्क रहने को कहती हैं। मैं सभी लोगों और अपने संसद के साथियों से आग्रह करता हूं कि वे सतर्क रहें।
प्रधानमंत्री का फोकस अब भी अपनी सरकार का प्रचार ही है
प्रधानमंत्री की इन बातों से समझा जा सकता है कि उनका फोकस अब भी अपनी सरकार का प्रचार ही है। वे कोरोना टीके लगाने का श्रेय लेना चाहते हैं, लेकिन ऑक्सीजन की कमी (lack of oxygen) और लचर स्वास्थ्य सुविधाओं पर जवाब नहीं देना चाहते। प्रधानमंत्री सतर्क रहने कह रहे हैं, जबकि अभी उ.प्र. समेत पांच राज्यों के चुनावों में वे चाहेंगे कि जहां कहीं उनकी रैली हो, लोगों की भीड़ उमड़े। प. बंगाल चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था और उसके बाद देश ने कोरोना की दूसरी लहर देखी थी। अब फिर से चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में जनता को ही अपने लिए सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि सरकार की चिंता केवल शब्दों तक ही सीमित है।
देशबन्धु के संपादकीय का संपादित रूप साभार