On the Indo-US agreements, Bhim Singh has told Modi that India does not need guns to protect its culture.
भारत-अमेरिका के बीच तीन समझौतों पर भारत की शांति, गुटनिरपेक्ष प्रतिबद्धता की पृष्ठभूमि पर गम्भीर बहस की जरूरत-भीम सिंह
नई दिल्ली, 25 फरवरी 2020. नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं एक जाने माने कानूनविद प्रो. भीम सिंह ने, जो 1967 से 1973 में शांति मिशन के तहत मोटरसाइकिल पर पूरी दुनिया का दौरा कर चुके हैं, कहा कि अमेरिका और भारत के बीच आज हैदराबाद हाऊस में आज हुए 3 बिलियन डालर के रक्षा सहयोग से सम्बंधित तीन समझौतों ने पूरी दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत का नेतृत्व आज विश्व शांति के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन व पूर्ण निरस्त्रीकरण में अपना अद्वितीय योगदान को भूल गया है, जिससे दुनिया एकजुट होकर गरीबी, निरक्षरता और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ सके और एशिया, लेटिन अमेरिका, अफ्रीकी महाद्वीप में खासतौर पर तीसरी दुनिया के हर घर तक शिक्षा पहुंच सके।
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि आज भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौतों से दुनिया के सभी शांति पसंद को आश्चर्य हुआ है, जिन्हें 1947 में भारत की आजादी के समय से ही भारत और उसके नेतृत्व से बड़ी आशाएं हैं।
पैंथर्स सुप्रीमो ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प के बीच तथाकथित तीन समझौतों पर हस्ताक्षर से खासतौर पर तीसरी दुनिया नई पीढ़ी आदि को निराशा हुई है। भारत के प्रधानमंत्री को भारत को जवाब देना होगा कि उनकी सरकार का 64 प्रतिशत निरक्षरता को खत्म करके सभी लोगों, खासतौर पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को समानता, न्याय और आर्थिक सुरक्षा देने के सम्बंध में क्या योजना या मिशन है। उन्होंने कहा कि गरीबी हटाओ, सभी को न्याय और समानता के नारों का क्या हुआ? लाखों लोग जो अस्पतालों में खुले आसमान के नीचे पड़े हैं, इनकी चिकित्सा सुविधा क्या होगा?
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि क्या अमेरिका और भारत के बीच 3 बिलियन के रक्षा सहयोग का विस्तार से सम्बंधित समझौतों से भारत की निरक्षरता और सामाजिक जरूरतें पूरी हो सकेंगी। क्या हमें अमेरिकी फौजी हथियारों की जरूरत है, जबकि भारत को अन्तर्राष्ट्रीय शांति, पूर्ण निरस्त्रीकरण और शत प्रतिशत साक्षरता की जरूरत है। भारत को अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए बंदूकों की आवश्यकता नहीं है। हमें अपने सदियों पुराने मानवता की प्रतिबद्धता पर कायम रहने की जरूरत है, न कि अमेरिकी हथियारों की।
प्रो. भीम सिंह ने सवाल किया कि क्या आप उग्रवाद को किसी विशेष धर्म या देश से जोड़ सकते हैं? क्या दुनिया में उग्रवाद सिर्फ एक धर्म या देश के द्वारा चल रहा है। उग्रवाद को एक ही धर्म के साथ जोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति क्या संदेश देना चाहते हैं।
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