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सिर्फ पूंजीपतियों के संकट की परवाह, लॉक डाउन ने छीन लिया 5 करोड़ का रोजगार

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hastakshep
27 Mar 2020
कोरोना को हराने के लिए लॉकडाउन का 'जनता कर्फ्यू' की तरह करो दिल से पालन

Only concerned about the crisis of the capitalists, the lock down snatched 5 crores jobs

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आज फिर मौसम बिगड़ गया है। उत्तराखण्ड में कल से आंधी बारिश जारी है। राजस्थान में ओलावृष्टि की खबर है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर को अर्थ व्यवस्था के संकट के नाम सिर्फ पूंजी और पूंजीपतियों के संकट की परवाह है। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट (Repo rate and reverse repo rate) घटाने से समूची अर्थ व्यवस्था और उत्पादन प्रणाली ठप होने की स्थिति में आम जनता को कोई फायदा नहीं होगा।

Due to this lock down, the livelihood of at least 5 crore laborers of the unorganized sector has been snatched away.

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इस लॉक डाउन से असंगठित क्षेत्र के कम से कम 5 करोड़ मजदूरों की रोजी रोटी छिन गयी है। अब महानगरों से वे खदेड़े जा रहे हैं। घर लौटने का साधन नहीं है। इन करोड़ों लोगों की न पीएम, न वित्त मंत्री और न रिजर्व बैंक को कोई परवाह है। किसानों और कृषि संकट की तो 70 साल से किसी को कोई परवाह नहीं है।

कृषि उत्पादन बर्बाद, औद्योगिक उत्पादन ठप। ऐसे में देश की 99 फीसद जनता के लिए भारी संकट खड़ा हो गया है।

Lock down has made banks worse

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आयकर में 5 लाख तक छूट के बहाने सारी रियायतें खत्म करके बचत को सिरे से खत्म कर दिया गया है। बैंक एनपीए की वजह से डूब रहे हैं। इस लॉक डाउन से तो बैंकों की हालत और खराब हुई है। बचत का ब्याज घटते-घटते 3 प्रतिशत हो गया है। लेन देन शुल्क को जोड़े, आयकर कटौती और टैक्स को देखें तो बैंक में जमा से कुछ फायदा नहीं है बल्कि जमा की कोई सुरक्षा नहीं है। बैंक डूबा तो जमा वापस नहीं होगा। बैंकों से लोग पैसा निकलना शुरू करेंगे तो बैंकिंग प्रणाली भी ध्वस्त होने वाली है।

हम बात बार कह रहे हैं कि लॉक डाउन से कोरोना दो तीन महीने के लिए भले टल जाए, संक्रमित लोगों की पहचान और जांच के बिना, बिना आइसोलेशन बेड और वेंटिलेशन के इसे व्यापक पैमाने पर फैलने से रोका नहीं जा सकता।

5 दशक की पत्रकारिता के अनुभव के मद्देनजर बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूँ कि इस लॉक डाउन से देश की अर्थ व्यवस्था दो तीन महीने में खत्म हो जाएगी।
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पलाश विश्वास जन्म 18 मई 1958 एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक। उपन्यास अमेरिका से सावधान कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती। सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं- फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित। 2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग पलाश विश्वास

जन्म 18 मई 1958

एम ए अंग्रेजी साहित्य, डीएसबी कालेज नैनीताल, कुमाऊं विश्वविद्यालय

दैनिक आवाज, प्रभात खबर, अमर उजाला, जागरण के बाद जनसत्ता में 1991 से 2016 तक सम्पादकीय में सेवारत रहने के उपरांत रिटायर होकर उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर में अपने गांव में बस गए और फिलहाल मासिक साहित्यिक पत्रिका प्रेरणा अंशु के कार्यकारी संपादक।

उपन्यास अमेरिका से सावधान

कहानी संग्रह- अंडे सेंते लोग, ईश्वर की गलती।

सम्पादन- अनसुनी आवाज - मास्टर प्रताप सिंह

चाहे तो परिचय में यह भी जोड़ सकते हैं-

फीचर फिल्मों वसीयत और इमेजिनरी लाइन के लिए संवाद लेखन

मणिपुर डायरी और लालगढ़ डायरी

हिन्दी के अलावा अंग्रेजी औऱ बंगला में भी नियमित लेखन

अंग्रेजी में विश्वभर के अखबारों में लेख प्रकाशित।

2003 से तीनों भाषाओं में ब्लॉग

इस वजह से स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह फेल हो गयी है। टीवी, कैंसर, मधुमेह, दिल और गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित लोगों का इलाज बन्द हो गया है।

दूसरी बीमारियों और दुर्घटना के शिकार लोगों का इलाज भी थम गया है।

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शहरों में फिर भी जरूरी सेवाओं और जरूरतों की कुछ न कुछ व्यवस्था हो जाएगी। लेकिन कस्बो और शहरों से दूर गांवों में आज तीसरे दिन से ही जरूरी चीजों और सेवाओं की भारी किल्लत हो गई है।

दो तीन महीने लॉक डाउन रहा तो करोड़ों लोगों के लिए रोजी रोटी के संकट में मर जाने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं बचेगा।

सरकार को इन करोड़ों आम लोगों की कोई परवाह नही है।

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मजदूरों और किसानों, गांवों की कोई परवाह नहीं है।

पलाश विश्वास

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