दिन दहाड़े घर में घुसते अंधेरे !! यह मोदी और उनकी भाजपा का न्यू इंडिया है
Darkness entering the house in broad daylight!! This is the New India of Modi and his BJP. विभाजन एक जगह नहीं रुकते - वे चूल्हे और चौके तक आते हैं ; खंडवा एक झांकी है - काफी कुछ अभी बाकी है।
अतीक अशरफ वृतांत पर बाद में कभी। अभी उनके बारे में जो न माफिया हैं न उनका नाम इनसे मिलता जुलता है।
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जून 2020 में इंदौर के अखबार में एक अत्यंत डरावनी खबर छपी थी। खबर यह थी कि एक स्कूल में परीक्षाओं के लिए मुस्लिम समुदाय से जुड़े छात्रों को बाकी सभी छात्र-छात्राओं से अलग बिठाया गया। ऐसा चोरी छुपे या दुबके दुबके नहीं किया गया था - स्कूल प्रबंधन ने स्कूल की गेट के बाहर बाकायदा नोटिस चिपकाकर किया था और कोई चूक न हो जाए इसके लिए गेट पर ही एक स्पेशल गार्ड बिठा दिया था।
अखबार में इसकी खबर छपने और उसे पढ़ने के बाद जिन्हें चौंकना था, वे चौंके मगर जिन्हें इसमें अपना एजेंडा आगे बढ़ता दिखा वे चुप रहे। इस तरह की बेहूदगी करने वाले स्कूल प्रबन्धन के खिलाफ कोई कार्यवाही की बात तो खैर कुछ ज्यादा ही दूर की बात थी। उल्लेखनीय इस बर्ताब के प्रति आम इन्दौरियों की बेरुखी थी जिसने एक प्रकार से इसका अनुमोदन ही किया था।
यह डरावनी खबर क्यों थी?
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हम जैसे कुछ ही थे जिन्होंने तब इस खबर का संज्ञान लिया था और लिखा था कि; "यह तीन कारणों से डरावनी खबर है - पहली तो इसलिए कि जो आज मुसलमानों को बाहर बिठाये जाने पर प्रमुदित हैं वे लिखकर रख लें कि यह विखंडन और अलगाव सिर्फ यहीं तक नहीं रुकेगा - अगली खबर लड़कियों को बाहर बिठाये जाने की आएगी, क्योंकि वे जन्मना अपवित्र और शूद्रातिशूद्र हैं। उसके बाद नंबर (गाँवों में आ भी चुका है) दलितों, आदिवासियों और शूद्रों का आयेगा। इसमें सरनेम का पुंछल्ला नहीं देखा जाएगा - मनु की बनाई कैटगरी अंतिम सत्य होगी। तीसरा नंबर हिन्दुस्तान, जिसे संविधान में भारत दैट इज इंडिया कहा गया है, का आएगा। नहीं बचेगा वह भी। विश्वास नहीं होता न ? हरियाणा और दिल्ली के बीच खींची दीवारें देख लें, दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वाला केजरीवाल देख लें।
अभी ये आमुख भर हैं कथा तो अभी बाँची जानी है। यह खंजर जो आज मुसलमानों के लिए लहरा रहा है वह सारे मुकाबले और सेमी फाइनल जीतने के बाद फाइनल खेलने लौटेगा खुद अपने घर। नहीं बचेगा उसको थामने वाले के मुंह और पोतड़े पोंछने वाला माँ का आँचल भी। उसे भी मिलेगी स्त्री होने के गुनाह की शास्त्र सम्मत सजा। गोद दी जायेंगी, दड़बे में बन्द होने से ना करने वाली बहनें, बेटियां बिस्तर की बंधुआ बनने में नानुकुर करने वाली पत्नियां।"
डरावनी बात यह है कि यह आशंकाएं सच निकलीं। खंजर अब घर में घुसने लगा है।
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इसी इंदौर से 170 किलोमीटर दूर खंडवा के पिपलोद इलाके के गाँव बामन्दा में एक भाई बहुत दिनों के बाद अपनी बहन से मिलने के लिए उसके घर गया। भाई बहन घर में बैठकर बात कर ही रहे थे कि स्वयंभू संस्कृति रक्षकों का झुण्ड उनके घर के अन्दर आ घुसा। भाई बहिन दोनों की निर्ममता के साथ पिटाई लगाई और बाहर लाकर दोनों को पेड़ से बाँध दिया। वे दोनों चिल्ला-चिल्लाकर बताते रहे कि वे भाई बहन हैं, मगर भीड़ को जिस तरह तैयार किया गया है उसमें जो भीड़ या उसके सरदार ने बोल दिया वही अंतिम सच है।
बहन का पति किसी काम के सिलसिले में गाँव से बाहर था - उसे किसी ने फोन पर इस मारपीट की सूचना दी। वह फोन पर लाख बताता रहा कि जिसे पकड़ा है वह मेरी पत्नी का भाई ही है - मगर उसकी भी नहीं सुनी गयी और कोई दो घंटे तक, तब तक पिटाई चलती ही रही जब तक पुलिस नहीं पहुँच गयी।
बताया जाता है कि पुलिस ने तीन-चार लोगों की गिरफ्तारी कर ली है। मुकदमे कायम कर लिए हैं। ध्यान रहे पीड़ित और हमलावर दोनों पक्ष एक ही समुदाय के हैं।
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यह मोदी और उनकी भाजपा का न्यू इंडिया है। यही वे संस्कारवान भारतीय हैं जिन्हें बड़े मनोयोग से संघ और उसका मीडिया संस्कारित कर रहा है।
एक कोने में लगी आग पर प्रफुल्लित होने वालों के घरों के अंदर तक आग दाखिल हो चुकी है। लाड़ली लक्ष्मियों और लाड़ली बहनाओं का अपने भाईयों से मेलमिलाप भी अब उनकी पिटाई और उससे भी आगे की यातनाओं का कारण बन सकता है। विभाजन एक जगह नहीं रुकते - वे चूल्हे और चौके तक आते हैं ; खंडवा एक झांकी है - काफी कुछ अभी बाकी है।
बादल सरोज
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सम्पादक लोकजतन, संयुक्त सचिव अखिल भारतीय किसान सभा
Darkness entering the house in broad daylight!! This is the New India of Modi and his BJP.