पहले राहुल गांधी संसद में बोलते थे अब संसद राहुल गांधी बोलेगी
राहुल गांधी संसद में : लोकतंत्र में संसद ही क़ीमती नहीं है, सड़क भी है। सड़क गरम होगी तो उसकी आँच संसद भी महसूस करेगा। भारत का संसदीय इतिहास जिसे कांग्रेस ने रचा है, सड़क की अहमियत से लदा पड़ा है।
पहले राहुल गांधी संसद में बोलते थे अब संसद राहुल गांधी बोलेगी
राहुल गांधी संसद से बाहर !
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राहुल गांधी “अब” संसद में नहीं रहेंगे ! यह आधा सच है। सच तो यह है कि अब संसद में राहुल गांधी सबसे ज्यादा रहेंगे। पहले राहुल गांधी संसद में बोलते थे अब संसद राहुल गांधी बोलेगी। यह प्राकृतिक सच है। एक उदाहरण सुन लीजिए - सत्तर के दशक में असम जल रहा था। असम गण परिषद का आंदोलन ज़ोरों पर था, गण परिषद ने दबाव बना कर, विधायिका ( विधान सभा और संसद के दोनों सदनों से अपने प्रतिनिधि वापस बुला लिए थे। यह लम्बा अंतराल रहा आंदोलन तक़रीबन पंद्रह साल चला। देश की संसद में असम का कोई प्रतिनिधि नहीं, लेकिन असम संसद में छाया रहा। कोई दिन ऐसा नहीं होता था, जब सदन में असम पर चर्चा न हो।
यह कोई भविष्यवाणी नहीं है, यह सियासी पेंच है
कल से संसद में राहुल गांधी की “उपस्थिति “दमदारी से होगी, पक्ष प्रतिपक्ष दोनों बग़ैर राहुल गांधी बोले अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में दिक़्क़त महसूस करेंगे। कल से देश की संसद में राहुल गांधी जेरे बहस होंगे।
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और राहुल गांधी ?
कांग्रेस का इतिहास प्रतिबद्धता पर ओठंगा है। अब राहुल गांधी अपने व्यक्तित्व के सारे खाँचे तोड़ कर मुहावरा बन चुके हैं। खेल देखिए -
-राहुल गांधी पप्पू है !
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(पप्पू ने ऐसा घसीट कर लेथारा कि पप्पू का बोलना बंद हो गया)
- राहुल गांधी परिवार समेत ई डी समेत तमाम एजेंसियों के सामने बुलाये गये, नतीजा देश ने देखा !
- राहुल गांधी लोंगो से दूर रहते हैं। राहुल निकल पड़े भारत भ्रमण पर, इस “पैदल पथी” ने देश का नहीं दुनिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया। देश दौड़ पड़ा - हमारा बेटा है, भाई है, सबरी ने बेर पकड़ा दिया - भूखे हो न ? करुणा बांध तोड़ कर छलक पड़ी यह तो सब का है, डग भरते बच्चे बस्ता फेंक कर राहुल गांधी के पीछे दौड़ पड़े।
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- अब संसद से बाहर कर दो
- लेकिन सड़क का क्या करोगे हुज़ूर ?
लोकतंत्र में संसद ही क़ीमती नहीं है, सड़क भी है। सड़क गरम होगी तो उसकी आँच संसद भी महसूस करेगा। भारत का संसदीय इतिहास जिसे कांग्रेस ने रचा है, सड़क की अहमियत से लदा पड़ा है। महात्मा गांधी का इतिहास मील का पत्थर बन कर तना खड़ा है। किसी ओहदे पर नहीं थे (17 में कांग्रेस के सदस्य बने, 34में कांग्रेस से अलग हो गये) लेकिन अंग्रेज़ी साम्राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने रहे।
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राहुल गांधी तो समस्याओं के अंबार के सामने खड़े हैं, कहीं भी हाथ लगायेंगे धुँआ उठेगा। बेरोज़गार, युवजन, त्रस्त किसान, बेसहारा मजूर, और सामाजिक उथल पुथल का दरका हुआ घरौंदा। विषय उठेंगे।
चंचल
(वरिष्ठ पत्रकार चंचल जी की एफबी पोस्ट का किंचित् संपादित रूप साभार)
Earlier Rahul Gandhi used to speak in Parliament, now Parliament will speak Rahul Gandhi