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जस्टिस मार्कंडेय काटजू
मुझे इस बात का गहरा दुख है कि मणिपुर और यहां तक कि दिल्ली में भी मैती ( Meiteis ) और कुकी ( Kukis ) के बीच लड़ाई हुई है।
मैं बार-बार कहता रहा हूं कि वर्तमान ऐतिहासिक मोड़ पर भारत में सभी धार्मिक/जाति/भाषाई/नस्लीय/और जातीय समूहों के बीच एकता की सबसे अधिक आवश्यकता है।
मैं समझाता हूं कि यह एकता इतनी महत्वपूर्ण क्यों है।
हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य भारत का तेजी से औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण होना चाहिए, तभी हम गरीबी, बेरोजगारी, बाल कुपोषण, उचित स्वास्थ्य देखभाल और अच्छी शिक्षा की कमी आदि के अभिशाप को समाप्त कर सकते हैं।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तीन जरूरतें हैं (1) तकनीकी प्रतिभा का एक विशाल भण्डार (2) विशाल प्राकृतिक संसाधन, और (3) हमारे लोगों के बीच एकता।
हमारे पास पहले से ही पहले दो हैं। हमारे पास हजारों प्रतिभाशाली वैज्ञानिक, इंजीनियर, तकनीशियन, प्रबंधक आदि हैं। हमारे आईटी इंजीनियर बड़े पैमाने पर कैलिफोर्निया में सिलिकॉन वैली ( Silicon Valley) में काम कर रहे हैं, और अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विज्ञान, इंजीनियरिंग, गणित आदि में कई भारतीय प्रोफेसर हैंI साथ ही, भारत प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों भरपूर एक विशाल देश, लगभग एक महाद्वीप है।
लेकिन तीसरी चीज़, हमारे पास अपने लोगों के बीच एकता, की कमी है, और इसके बिना हम कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, और गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण आदि के लिए अभिशप्त रहेंगे।
अतः जो लोग हमारे लोगों के बीच नफरत और फूट फैलाते हैं, वे असली देशद्रोही हैं, और सभी देशभक्तों को उनका विरोध करना चाहिए।
मैं मैतेई और कुकी से यह समझने की अपील करता हूं कि वे भाई-बहन हैं। आपस में लड़ने के बजाय एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। फूट डालो और राज करो हमारे दुश्मनों की नीति है।
महाभारत के शांतिपर्व में भीष्म पितामह युधिष्ठिर से कहते हैं:
“भेदे गणाः विनश्यन्ति भिन्नास्तु सुजयI: परैः
तस्मात् संघ्यातायेगेन प्रयतरेण गणाः सदा”
अर्थात
“लोगों के बीच आंतरिक विभाजन के कारण ही गणराज्य नष्ट हुए है। यह तभी होता है जब लोगों के बीच आंतरिक विभाजन होते हैं I शत्रु ऐसे गण राज्य को आसानी से नष्ट कर सकता है। इसलिए एक गणराज्य को हमेशा अपने लोगों के बीच एकता और अच्छे संबंधों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।"
(Shantiparva of Mahabharata, Chapter 107/108, shloka 14 ).
मैं यह स्पष्ट कर देता हूं कि एकता का अर्थ यह नहीं है कि लोगों को अपने धर्म, भाषा या संस्कृति को छोड़ना पड़े। वे उन्हें बनाए रख सकते हैं, और फिर भी एकजुट हो सकते हैं, अगर शत्रुता के स्थान पर मैत्री और भाईचारा हो।
एक बगीचा सुंदर होता है क्योंकि इसमें विभिन्न रंगों के फूल होते हैं। यदि उसमें एक ही रंग के फूल हों तो वह सुंदर नहीं लगेगा।
विविधता प्रकृति का नियम है। कोई भी दो व्यक्ति हर तरह से एक जैसे नहीं होते, यहाँ तक कि एक जैसे जुड़वाँ ( identical twins ) भी नहीं। वास्तव में एक व्यक्ति के भीतर भी विविधता होती है। कभी वह एक तरह से सोचता या व्यवहार करता है, तो कभी दूसरे तरीके से।
संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध देश बन गया है, और इसका एक कारण इसकी विशाल विविधता भी थी। दुनिया भर के लोग, यूरोपीय, एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी, विभिन्न धर्मों, रीति-रिवाजों, भाषाओं, जातीयता आदि के साथ यहां आए, और इसे अपना घर बना लिया। लेकिन प्रगति में बाधाएँ पैदा करना तो दूर, इस विविधता ने इसे बहुत तेज कर दिया, क्योंकि अप्रवा सियों का प्रत्येक समूह अपने स्वयं के तकनीकी कौशल और ज्ञान लेकर आया, और जब इन्हें एक साथ रखा गया तो तेजी से प्रगति हुई।
(लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं)
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